
इंडियन रेलवे का नया नियम: अब 4 नहीं... 24 घंटे पहले बनेगा रिजर्वेशन चार्ट, वेटिंग टिकट वालों को स्लीपर-AC कोच में यात्रा की अनुमति नहीं; जानें सभी बदलाव

भारतीय रेलवे ने ट्रेन यात्रा के अनुभव को बेहतर बनाने, अंतिम समय की अनिश्चितता को कम करने और आरक्षित कोचों में व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से प्रतीक्षा सूची (Waiting List) वाले यात्रियों के लिए कई नए और महत्वपूर्ण नियम लागू किए हैं। इन बदलावों का सीधा असर लाखों यात्रियों पर पड़ेगा। इन नियमों में रिजर्वेशन चार्ट तैयार करने के समय, आरक्षित डिब्बों में यात्रा करने के अधिकार और टिकटों के ऑटो-अपग्रेडेशन की प्रक्रिया में बड़े संशोधन शामिल हैं।
अब 24 घंटे पहले ही पता चल जाएगी सीट की स्थिति, चार्ट बनाने का समय बदला
रेलवे ने यात्रियों को सबसे बड़ी राहत देते हुए रिजर्वेशन चार्ट तैयार करने के समय में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब तक, ट्रेनों का पहला रिजर्वेशन चार्ट ट्रेन के चलने से केवल 4 घंटे पहले ही बनाया जाता था, जिससे वेटिंग टिकट वाले यात्रियों को अंतिम समय तक अपनी टिकट की स्थिति (कन्फर्म हुई या नहीं) को लेकर अनिश्चितता बनी रहती थी।
अब नए नियम के तहत, पहला रिजर्वेशन चार्ट ट्रेन के निर्धारित प्रस्थान समय से 24 घंटे पहले ही तैयार कर दिया जाएगा। इस बड़े बदलाव से वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों को अपनी टिकट की स्थिति की जानकारी एक दिन पहले ही मिल जाएगी, जिससे वे अपनी आगे की यात्रा की योजना अधिक सुगमता और बेहतर तरीके से बना सकेंगे। यदि टिकट कन्फर्म नहीं होता है, तो उन्हें यात्रा के अन्य विकल्प तलाशने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह नियम 6 जून, 2025 से प्रायोगिक तौर पर बीकानेर डिवीजन में लागू कर दिया गया है और इसकी सफलता के आधार पर धीरे-धीरे इसे देशभर के अन्य डिवीजनों में भी लागू किया जाएगा।
रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस नए नियम से तत्काल टिकट बुकिंग की प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा; वह पहले की तरह ही यात्रा से एक दिन पहले होगी और उसका चार्ट निर्धारित समय पर बनेगा।
वेटिंग टिकट पर स्लीपर-AC कोच में सफर करना प्रतिबंधित, लगेगा भारी जुर्माना
1 मई, 2025 से लागू हुए एक अन्य महत्वपूर्ण और कड़े नियम के अनुसार, प्रतीक्षा सूची (Waiting List) टिकट वाले यात्रियों को अब स्लीपर या वातानुकूलित (AC) कोचों में यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी। यदि कोई यात्री वेटिंग टिकट पर स्लीपर या एसी कोच में यात्रा करता हुआ पाया जाता है, तो उसे बिना टिकट यात्रा करने वाला माना जाएगा और उस पर जुर्माना लगाया जाएगा।
- एसी कोच के लिए जुर्माना: ₹440
- स्लीपर कोच के लिए जुर्माना: ₹250
इसके अतिरिक्त, यात्री को ट्रेन के शुरुआती स्टेशन से लेकर उस स्टेशन तक का पूरा किराया भी देना होगा, जहां वह यात्रा करते हुए पकड़ा गया है। रेलवे ने बताया कि IRCTC की वेबसाइट या ऐप के जरिए बुक किए गए ई-टिकट कन्फर्म न होने की स्थिति में अपने आप रद्द हो जाते हैं और यात्री को उसका रिफंड मिल जाता है। लेकिन, रेलवे काउंटरों से खरीदे गए प्रतीक्षा सूची वाले टिकट (काउंटर टिकट) का इस्तेमाल लोग अक्सर आरक्षित कोचों में चढ़ने के लिए करते हैं, जिससे कन्फर्म टिकट वाले यात्रियों को भारी असुविधा और परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसी गंभीर समस्या को रोकने और आरक्षित कोचों में केवल वैध टिकट धारकों की यात्रा सुनिश्चित करने के लिए यह नियम सख्ती से लागू किया गया है।
टिकट बुकिंग पर OTP सत्यापन हुआ अनिवार्य
साथ ही, 1 मई, 2025 से ही IRCTC की वेबसाइट या ऐप से बुक किए जाने वाले प्रत्येक ट्रेन टिकट के लिए OTP-आधारित मोबाइल सत्यापन को भी अनिवार्य कर दिया गया है। इस सुरक्षा उपाय का मुख्य उद्देश्य टिकट बुकिंग प्रणाली को अधिक सुरक्षित बनाना और दलालों द्वारा इसके दुरुपयोग को रोकना है।
ऑटो-अपग्रेड: अब स्लीपर क्लास से सीधे फर्स्ट AC में अपग्रेडेशन नहीं
भारतीय रेलवे ने 21 मई, 2025 को टिकटों की ऑटो-अपग्रेड (Auto-Upgradation) प्रक्रिया में भी कुछ बड़े और महत्वपूर्ण बदलाव किए थे। नए नियमों के तहत, अब स्लीपर क्लास (SL) के प्रतीक्षा सूची वाले टिकटों को सीधे तौर पर फर्स्ट AC (1A) में अपग्रेड नहीं किया जाएगा, भले ही फर्स्ट AC कोच में बर्थ खाली क्यों न हों।
नए नियम के अनुसार, अब स्लीपर क्लास के टिकट को अधिकतम केवल दो श्रेणी (Two Classes) ऊपर तक ही अपग्रेड किया जाएगा।
उदाहरण के लिए, यदि आपका टिकट स्लीपर क्लास (SL) में प्रतीक्षा सूची में है, तो उसे अधिकतम थर्ड AC (3A) या सेकेंड AC (2A) में ही अपग्रेड किया जा सकता है। फर्स्ट एसी (1A) में नहीं।
इसी तरह, थर्ड AC (3A) के टिकट को अधिकतम फर्स्ट AC (1A) में अपग्रेड किया जा सकता है। यह महत्वपूर्ण बदलाव आरक्षित कोचों में सीटों के आवंटन को अधिक व्यवस्थित और तार्किक बनाने तथा उच्च श्रेणी के कोचों में अनावश्यक भीड़ को नियंत्रित करने के उद्देश्य से किया गया है। सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉरमेशन सिस्टम (CRIS) इस नए नियम को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए अपने सॉफ्टवेयर को अपडेट कर रहा है।
अपग्रेडेशन और रिफंड से जुड़े अन्य नियम
यात्रियों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ऑटो-अपग्रेड की सुविधा का लाभ केवल तभी मिलेगा, जब उन्होंने टिकट बुकिंग करते समय 'ऑटो-अपग्रेड' विकल्प को चुना हो या उसे डिफॉल्ट रूप से ‘हां’ (Yes) पर छोड़ा हो। यदि टिकट अपग्रेड हो भी जाता है, तो यात्री का PNR नंबर वही रहता है। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि कोई अपग्रेड किया गया टिकट किसी कारणवश रद्द किया जाता है, तो रिफंड की गणना हमेशा मूल बुकिंग श्रेणी (जैसे स्लीपर क्लास) के किराए के आधार पर ही की जाएगी, न कि अपग्रेडेड श्रेणी (जैसे 2A या 3A) के आधार पर।
बिना टिकट यात्रा करने के संभावित परिणाम
यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे हमेशा वैध टिकट के साथ ही यात्रा करें। बिना टिकट यात्रा करते पाए जाने पर TTE द्वारा जुर्माना वसूला जा सकता है, जुर्माना न भरने पर RPF (रेलवे सुरक्षा बल) को सौंपा जा सकता है, जो आपको अगले स्टेशन पर ट्रेन से उतार सकती है और आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है, जिसमें कोर्ट में पेशी, भारी जुर्माना या जेल की सजा भी हो सकती है।




