
भारत-UK का ऐतिहासिक FTA साइन: ब्रिटेन की कारें, व्हिस्की, कपड़े हिंदुस्तान में होंगे सस्ते, व्यापार होगा दोगुना; जानिए और किन चीजों के दामों पर असर होगा

भारत और यूके के झंडे एक साथ लहरा रहे हैं, जो दोनों देशों के बीच हुए ऐतिहासिक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को दर्शाते हैं.
भारत-UK का ऐतिहासिक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) साइन: एक लंबी बातचीत और इंतजार के बाद, भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) ने आज, 24 जुलाई 2025 को एक ऐतिहासिक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. इस समझौते पर साल 2022 से लगातार बातचीत चल रही थी, और अब जाकर यह संपन्न हुआ है. इस महत्वपूर्ण समझौते पर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटिश व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके यूके समकक्ष कीर स्टार्मर की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए. यह FTA दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा और आर्थिक विकास को गति देगा.
भारत में UK से आने वाली कौन सी चीजें सस्ती होंगी?
इस एग्रीमेंट का सीधा फायदा भारतीय उपभोक्ताओं को मिलेगा, क्योंकि UK से आयात होने वाले कई सामान सस्ते हो जाएंगे. अब तक इन सामानों पर लगने वाला औसत टैरिफ 15% से घटकर 3% हो जाएगा. वहीं, 85% सामान 10 सालों में पूरी तरह से टैरिफ-मुक्त हो जाएंगे. इससे कई चीजें सस्ती होंगी:
- व्हिस्की और जिन: यूके से आयात होने वाली स्कॉच व्हिस्की और जिन पर भारत का टैरिफ 150% से घटकर 75% हो जाएगा. बाद में, समझौते के दसवें साल तक इसे और घटाकर 40% कर दिया जाएगा. इसका एक सीधा उदाहरण यह है कि अगर आप ₹5000 की स्कॉच व्हिस्की की बोतल खरीदते थे, तो वह आपको लगभग ₹3500 में मिल सकती है.
- लग्जरी कारें: UK की लग्जरी कारें, जैसे जगुआर लैंड रोवर (Jaguar Land Rover) और रोल्स-रॉयस (Rolls-Royce), भारत में सस्ती होंगी. इन पर लगने वाला 100% टैरिफ कोटा सिस्टम के तहत 10% तक आ जाएगा. इससे ये कारें 20-30% तक सस्ती हो सकती हैं, जो लग्जरी कार खरीदने का सपना देखने वालों के लिए अच्छी खबर है.
- खाद्य और पेय पदार्थ: यूके से आयात होने वाले सैल्मन, लैंब, चॉकलेट, बिस्किट और सॉफ्ट ड्रिंक्स पर टैरिफ कम होगा. इससे ये उत्पाद भारतीय बाजार में सस्ते और आसानी से उपलब्ध होंगे.
- कॉस्मेटिक्स और मेडिकल डिवाइस: यूके के कॉस्मेटिक्स, मेडिकल उपकरण और एयरोस्पेस पार्ट्स पर भी कम टैरिफ लगेगा. टैरिफ 15% से घटकर 3% पर आ जाएगा, जिससे ये सामान भारत में किफायती दरों पर मिलेंगे.
- फैशन और कपड़े: ब्रिटेन से आने वाले ब्रांडेड कपड़े, फैशन प्रोडक्ट्स और होमवेयर भी सस्ते होंगे. वहीं, फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक्स भी कम कीमत पर मिलेंगे, जिससे भारतीय बाजार में विविधता और किफायती विकल्प बढ़ेंगे.
भारत के किन-किन सेक्टर्स को मिलेगा फायदा?
FTA से भारत के कौन से सेक्टर बढ़ेंगे? यह समझौता भारत के कई प्रमुख सेक्टर्स के लिए बड़े फायदे लेकर आएगा. टेक्सटाइल से लेकर इंजीनियरिंग, मेडिकल और केमिकल जैसे सेक्टर्स को इससे बूस्ट मिलेगा.
- टेक्सटाइल सेक्टर: यूके में भारतीय कपड़ों और होम टेक्सटाइल्स (जैसे चादर, परदे) पर लगने वाला 8-12% टैक्स अब पूरी तरह खत्म हो जाएगा. इससे हमारे कपड़े बांग्लादेश और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धी देशों के मुकाबले सस्ते और ज्यादा प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे. तिरुप्पुर, सूरत और लुधियाना जैसे प्रमुख एक्सपोर्ट हब में अगले तीन साल में 40% तक की ग्रोथ हो सकती है, जिससे हजारों नए रोजगार पैदा होंगे.
- गहने और चमड़े का सामान: भारत से यूके जाने वाली ज्वेलरी और चमड़े के सामान (जैसे बैग, जूते) पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा. इससे छोटे व्यवसायों (MSME) और लग्जरी ब्रांड्स को बड़ा फायदा होगा. यह यूके के रास्ते यूरोप में भारत के व्यापारिक दबदबे को भी बढ़ाएगा.
- इंजीनियरिंग सामान और ऑटो पार्ट्स: यूके ने भारतीय मशीनरी, इंजीनियरिंग टूल्स और ऑटो पार्ट्स (जैसे कार के पुर्जे) पर लगने वाला इम्पोर्ट टैक्स खत्म कर दिया है. इससे भारत, यूके और यूरोप की इंडस्ट्रियल सप्लाई चेन और मजबूत होगी. पुणे, चेन्नई और गुड़गांव जैसे मैन्युफैक्चरिंग हब को इसका सीधा फायदा मिलेगा.
- दवाइयां और मेडिकल डिवाइस: भारतीय फार्मा कंपनियों को यूके में जेनेरिक दवाइयों के लिए आसान रजिस्ट्रेशन प्रोसेस मिलेगी. इससे भारत की दवाइयां यूके की हेल्थ सर्विस (NHS) में आसानी से पहुंचेंगी और दवाओं का अप्रूवल भी जल्दी मिलेगा, जिससे भारतीय फार्मा सेक्टर को बड़ा बाजार मिलेगा.
- खाने-पीने का सामान, चाय, मसाले और समुद्री प्रोडक्ट्स: बासमती चावल, झींगा जैसे समुद्री उत्पाद, प्रीमियम चाय और मसालों पर यूके का इम्पोर्ट टैक्स खत्म हो जाएगा. इससे असम, गुजरात, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे इलाकों की एक्सपोर्ट इंडस्ट्री को बड़ा बूस्ट मिलेगा.
- केमिकल्स और स्पेशलिटी मटेरियल्स: एग्रोकेमिकल्स, प्लास्टिक और स्पेशल केमिकल्स पर टैक्स कम होने से गुजरात और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख हब से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. इस डील के तहत भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक यूके में अपने केमिकल निर्यात को दोगुना कर दे.
- ग्रीन एनर्जी और क्लीनटेक: यह समझौता रिन्यूएबल एनर्जी में जॉइंट वेंचर्स का रास्ता खोलेगा, जिसमें सोलर, ग्रीन हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) इन्फ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं. यूके भारत के क्लीन एनर्जी सेक्टर में और निवेश करेगा, जिससे नई टेक्नोलॉजीज का सह-विकास (co-development) होगा.
इस डील से भारत की अर्थव्यवस्था को क्या फायदा होगा?
- निर्यात में बढ़ोतरी: अब भारत के 99% सामानों को यूके में शून्य टैरिफ पर निर्यात किया जाएगा. इससे टेक्सटाइल, चमड़ा, रत्न-आभूषण, मरीन प्रोडक्ट्स और इंजीनियरिंग सामान जैसे क्षेत्रों को बड़ा फायदा होगा. अनुमान है कि भारत का यूके को निर्यात 2030 तक 29 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, जिससे व्यापार संतुलन भी सुधरेगा.
- रोजगार बढ़ेगा: टेक्सटाइल और चमड़ा जैसे श्रम-आधारित सेक्टर्स में नई नौकरियां पैदा होंगी. विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि टेक्सटाइल सेक्टर में रोजगार दोगुना हो सकता है, जिससे लाखों लोगों को सीधा फायदा मिलेगा.
- MSME को बढ़ावा: भारत के 6 करोड़ से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को इस समझौते से फायदा होगा. ये MSME भारत के 40% निर्यात में योगदान करते हैं. इस एग्रीमेंट से उन्हें नए बाजार और बेहतर मार्जिन मिलेंगे, जिससे उनकी विकास दर तेज होगी.
- निवेश में बढ़ोतरी: यूके की कंपनियां भारत में आईटी, फाइनेंशियल सर्विसेज और ग्रीन टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में अपना निवेश बढ़ाएंगी. यह भारत के मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर को मजबूत करेगा और नई पूंजी लाएगा.
- आर्थिक विकास: यह डील 2030 तक भारत-यूके व्यापार को सालाना 15% तक बढ़ाने में मदद करेगी. यह भारत के 100 बिलियन डॉलर के व्यापार लक्ष्य को हासिल करने में भी अहम भूमिका निभाएगी, जिससे देश की समग्र आर्थिक वृद्धि में योगदान होगा.
भारत-UK FTA कब लागू होगा?
यह समझौता आज, 24 जुलाई 2025 को साइन हुआ है, लेकिन इसे तुरंत लागू नहीं किया जाएगा. इसे पूरी तरह से लागू होने में लगभग एक साल लग सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस समझौते को भारत की केंद्रीय कैबिनेट और यूके की संसद दोनों से मंजूरी मिलनी जरूरी है. भारत की केंद्रीय कैबिनेट से इसे पहले ही मंजूरी मिल चुकी है, अब यूके की संसद की मंजूरी का इंतजार है.
भारत और यूके के बीच इस एग्रीमेंट को लेकर बातचीत 13 जनवरी 2022 को शुरू हुई थी, जो लगभग साढ़े तीन साल बाद पूरी हुई है. यह दिखाता है कि इस तरह के बड़े व्यापार समझौतों को अंतिम रूप देने में कितना समय और प्रयास लगता है. साल 2014 से भारत ने मॉरीशस, यूएई, ऑस्ट्रेलिया और ईएफटीए (यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन) जैसे देशों और समूहों के साथ पहले ही तीन ऐसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके अलावा, भारत यूरोपीय यूनियन (EU) के साथ भी इसी तरह के समझौतों पर सक्रिय रूप से बातचीत कर रहा है, जो वैश्विक व्यापार में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है.
Rewa Riyasat News
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