राष्ट्रीय

काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास: इतिहास से भी पुराने विश्वनाथ मंदिर को मुग़लों ने 4 बार तोडा

काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास: इतिहास से भी पुराने विश्वनाथ मंदिर को मुग़लों ने 4 बार तोडा
x
History of Kashi Vishwanath Temple and Gyanvapi Masjid: काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर से सती हुई ज्ञानवापी मस्जिद की वीडियो ग्राफी को लेकर मुसलमान बवाल मचाए हुए हैं

काशी विश्वनाथ मंदिर का असली इतिहास: वाराणसी में इतिहास से भी पुराने बाबा विश्वनाथ मंदिर और उसी मंदिर में बना विवादित ढांचा जिसे लोग ज्ञानवापी मस्जिद कहते हैं इस समय बहुत चर्चित विषय बना हुआ है. अपने बाबा का 350 साल से इंतज़ार कर रहे नंदी की कहानी भी सोशल मिडिया में बताई जा रही है. आज हम आपको ज्ञानवापी मस्जिद का असली इतिहास बताने जा रहे हैं. कुछ लोगों के लिए इसे स्वीकार करना मुश्किल होगा लेकिन इतिहास को कितना भी बदल दिया जाए एक न एक दिन सच सामने निकलकर आ ही जाता है.

ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि मां श्रृंगार गौरी मंदिर और ज्ञान वापी मस्जिद को लेकर विवाद क्यों है। (Maa Shringar Gauri Mandir and Gyan Vapi Masjid controversy)

Maa Shringar Gauri aur Gyan Vapi Masjid Vivad: "दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने विश्व वैदिक सनातन संघ के जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में 18 अगस्त 2021 को वाराणसी जिला अदालत में केस दाखिल किया था। राखी सिंह बनाम सरकार उत्तर प्रदेश केस के माध्यम से मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और विग्रहों की सुरक्षा की मांग की गई थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अजय कुमार मिश्रा को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करने का आदेश दिया"

मां श्रृंगार गौरी मंदिर का इतिहास (History of Maa Shringar Gauri Temple)

Maa Shringar Gauri Mandir Ka Itihas: ज्ञानवापी मस्जिद और मां श्रृंगार गौरी मंदिर का विवाद: असल में मां श्रृंगार गौरी मंदिर बहुत प्राचीन मंदिर है, आदि अनादि काल में काशी का ज्योतिर्लिंग आदि विशेश्वर लिंग के नाम से था। वही मां श्रृंगार गौरी भी विराजमान थी। मुगलों के समय इसका अस्तित्व बदला और वही से कुछ दूर काशी विश्वनाथ की स्थापना हुई। इस दौरान श्रृंगार गौरी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में आ गई। जिसे प्रशासन ने 1998 बंद कर दिया। इस मंदिर के दर्शन पूजन के लिए प्रयासरत्न गुलशन कपूर को 2004 में सफलता मिली। प्रशासन ने केवल एक दिन चैत नवरात्रि के चतुर्थी को दर्शन पूजन की अनुमति दिया। तब से अब तक जनमानस चैत नवरात्रि चतुर्थी के दिन मां की पूजा करते है। याचिका दायर करने वाली महिलाओं का कहना है कि हिन्दुओं को रोज उनके भगवान के दर्शन करने का अधिकार है, मां श्रृंगार गौरी के दर्शन उनका मौलिक अधिकार है.इसके लिए किसी विशेष दिन की जरूरत नहीं है यह रोज और सभी के लिए खुला रहना चाहिए

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास (History of Kashi Vishwanath Temple)

Kashi Vishvnath Mandir Ka Itihas: काशी या वाराणसी या फिर कहे बनारस तीनों एक ही हैं. बनारस इतिहास से भी पुरना दुनिया का सबसे प्रचीन शहर है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव कैलाश छोड़कर यहां रहने के लिए पहुंचे थे. बनारस में जो काशी विश्वनाथ मंदिर है उसे मुग़ल आक्रांतों ने एक-दो बार नहीं 4 बार तोडा था.

भगवान शिव की नगरी काशी में 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रमुख बाबा विश्वनाथ मंदिर आदिकाल से मौजूद है. किसी को नहीं मालूम की सबसे पहला काशी विश्वनाथ मंदिर किसने बनवाया था. यह प्राचीन काल से अस्तित्व में था.

  • 1100 ईसा पूर्व (1100BC) में जब ईसा मसीह भी पैदा नहीं हुए थे उनके 1100 साल पहले की बात है. मतलब आज से 3120 साल पहले राजा हरिश्चन्द्र ने काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था, और उनके बाद सम्राट विक्रमादित्य ने भी मंदिर का जीर्णोद्धार क़िया था.
  • सन 1194 में मुग़लिया इस्लामिक आतंकी मुहम्मद गौरी ने बाबा विश्वनाथ मंदिर को लूटने के बाद उस प्राचीन मंदिर को तोड़ डाला था. बाद में फिर से राजाओं ने काशी विश्वनाथ मंदिर को बनवाया लेकिन दूसरे मुग़ल आक्रामकारी जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने सन 1447 ने मंदिर तोड़ दिया।
  • सन 1585 में फिर से राजा टोडरमल की मदद से पं. नारायण भट्ट द्वारा फिर से भव्य मंदिर का निर्माण करवाया गया
  • सन 1632 में शाहजहां ने हुक्म दिया कि काशी विश्वनाथ मंदिर तोड़ दिया जाए, इसके लिए मुग़लों की सेना बनारस आई लेकिन विश्वनाथ मंदिर के केंद्र को तोड़ नहीं पाई मगर काशी के अन्य 63 प्राचीन मंदिरों को तोड़ डाला गया
  • सन 1669 में औरंगजेब ने मंदिर तोड़ डाला और यहां ज्ञानवापी मस्जिद बनवा दी. ब्राम्हणों को काट डाला, उनके जनेऊ तोड़ डाले उन्हें जबरन मुस्लमान बना दिया, फिर 1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होकर ने दोबारा मंदिर बनवाया।

ज्ञानवापी मस्जिद का असली इतिहास (Real History of Gyanvapi Mosque)

Gyanvapi Masjid Ka Itihas: 1632 में औरंगजेब ने जो ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई उसपर हिन्दुओं ने 1809 में वापस से अपना अधिकार जमा लिया, 30 सितम्बर 1810 के दिन बनारस के जिला दंडाधिकारी मि. वाटसन ने वाइस प्रेसिडेंट इन कौंसिल को पत्र लिखकर ज्ञानवापी मस्जिद को हिन्दुओं को सौंपने के लिए कहा, लेकिन यह कभी सम्भव नहीं हुआ.

अब ज्ञानवापी मस्जिद में कैद मां श्रृंगार गौरी को लेकर याचिका लगाई गई है. जिसके लिए कोर्ट ने सबूत जुटाने के लिए वीडियो ग्राफी का आर्डर दिए थे लेकिन वहां के मुसलमान कोर्ट के आदेश के खिलाफ हैं.बवाल मचाए हुए हैं. डर यही है कि कहीं सदियों से छुपाया गया सच दुनिया के सामने न आ जाए. ज्ञानवापी मस्जिद से पहले वहां मां श्रृंगार गौरी का मंदिर था और आज भी है. जिसे दोबारा से प्राप्त करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है.

ये भी जानिए

मुग़ल इस्लामिक आक्रांतों ने ऐसे ही श्री कृष्ण जन्म भूमि में प्राचीन मंदिर को 3 बार तोडा था, और अंत में वहां भी मस्जिद बना दी थी. श्री श्रीकृष्ण जन्म भूमि का इतिहास जानने के लिए यहां क्लिक करें

ऐसे ही इतिहास के बारे में ज्ञान लेने के लिए और रोजाना के डेली न्यूज़ अपडेट्स पाने के लिए RewaRiyasat.com को फॉलो करते रहें




Next Story