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अढ़ाई दिन का झोपड़ा का इतिहास, क्या है ढाई दिन का झोपड़ा जहां हिन्दुओं ने मंदिर होने का दावा किया है

अढ़ाई दिन का झोपड़ा का इतिहास, क्या है ढाई दिन का झोपड़ा जहां हिन्दुओं ने मंदिर होने का दावा किया है
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Adhai Din Ka jhopra Ka Iithas: ढाई दिन का झोपड़ा कहां है, किसने बनवया था, इसका नाम ढाई दिन का झोपड़ा क्यों है आइये सारे सवालों के जवाब जानते हैं

Dhai Din Ka jhopra Ka Iithas: देश में इस समय मंदिर मस्जिद को लेकर बवाल चल रहा है, हिन्दू संगठन उस हर एक मस्जिद पर सवाल खड़े कर रहे हैं जिन्हे कभी मंदिर तोड़कर बनवया गया था, काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में बनी विवादित ज्ञानवापी इमारत के बाद अब ढाई दिन का झोपड़ा पर हिन्दू संगठन मंदिर होने का दावा कर रहे हैं. ढाई दिन का झोपड़ा का विवाद समझने से पहले हम ढाई दिन के झोपड़े के इतिहास को ढाई मिनट में ही समझ लेंगे।


क्या है अढ़ाई दिन का झोपड़ा

What Is Adhai Din Ka Jhopra: ढाई दिन का झोपड़ा एक दरगाह है, जिसपर हिन्दू संगठन यह सवाल खड़े कर रहे हैं कि इसे भी प्राचीन हिन्दू मंदिर तोड़कर बनाया गया था.

ढाई दिन का झोपड़ा कहां स्थित है

Whare Adhai Din Ka Jhopra Is Situated: ढाई दिन का झोपड़ा अजमेर शरीफ की दरगाह में मौजूद है, जो राजस्थान के अजमेर में मौजूद है

ढाई दिन का झोपड़ा का इतिहास


History Of Adhai Din Ka Jhopra: कुछ लोग ढाई दिन के झोपड़े को इंग्लिश में Adhai Din Ka Jhopra तो कुछ Dhai Din Ka jhopra कहते हैं. दोनों एक ही है इस लिए आप कन्फ्यूज नहीं होइएगा। अब ढाई दिन का झोपड़ा के असली इतिहास में आते हैं, ढाई दिन का झोपड़ा 800 से भी ज़्यादा साल पुराना है, जो अजमेर में खाव्जा मोईनुद्दीन चिश्ती दरगाह में स्थापित है।

ढाई दिन का झोपड़ा किसने बनवाया था

Who Built Adhai Din Ka Jhopra: इसे भी अफगान से आए इस्लामिक आक्रांता मुहमद गोरी ने बनवाया था, मुहम्मद गोरी भारत में इस्लामिक शासन चाहता था और हिन्दुओं से नफरत करता था इसी लिए उसे जो भी मंदिर दिखाई देते थे वो उन्हें तोड़कर वहां अपने मजहबी ढांचे खड़े कर देता था. सन 1192 में मुहम्मद गोरी ने ढाई दिन का झोपड़ा का निर्माण करवाया था.

क्या ढाई दिन का झोपड़ा हिंदू मंदिर तोड़कर बनवया गया था

Was Adhai Din Ka Jhopra Built After Demolishing Hindu Temple: मुहम्मद गोरी बड़ा क्रूर इस्लामिस्ट था, उसकी नीयत सिर्फ सनातनी हिन्द की पहचान एक इस्लामिक मुल्क में तब्दील करने की थी, सो वो यही करता था. ऐसा दावा है कि जहां ढाई दिन का झोपड़ा है उससे पहले वहां संस्कृत विद्यालय और एक प्राचीन मंदिर हुआ करता था, जब अनपढ़ गोरी ने लोगों को संस्कृत की शिक्षा लेते देखा तो उससे यह बर्दाश्त नहीं हुआ, और उसने संस्कृत विद्यालय या कहें की गरूकुल और मंदिर को तोड़ डाला।


अढ़ाई दिन का झोपड़ा के बाईं तरफ संगमरमर का शिलालेश है जिसमे यह साफ़ लिखा है कि यहां पहले संस्कृत स्कूल या गुरुकुल और मंदिर हुआ करता था. जिसे कुंठाग्रस्त इस्लामिक आतंकी गोरी ने तोड़कर दरगाह बनवा दी थी.

अढ़ाई दिन का झोपड़ा का नाम कैसे पड़ा

अढ़ाई दिन का झोपड़ा का नाम ढाई दिन का झोपड़ा इस लिए है क्योंकि फर्जी इतिहास के पन्नों में लिखा है कि इसका निर्माण 60 घंटों में मतलब ढाई दिन में हुआ था, और इस मस्जिद में जो उर्स होता है वो भी ढाई दिन तक चलता है.

अढ़ाई दिन का झोपड़ा कभी हिन्दुओं का मंदिर था

ऐसे दावे इस लिए किए जाते हैं क्योंकि ढाई दिन के झोपड़ा में जो 25 फ़ीट ऊंचे 70 स्तम्भ हैं उनमे शानदार नक्काशी है और यह नक्काशी कहीं से भी इस्लामिक नहीं दिखाई देती, वैसे भी जाहिल मुग़लों को कुछ बनाना नहीं सिर्फ तोडना आता था. ढाई दिन के अंदर 25 फ़ीट ऊँचे 70 खम्बों को तराशना और स्थापित करना कहीं से भी लॉजिकल नहीं लगता है. हिन्दू पक्ष का दावा है कि यह प्राचीन स्तम्भ हिन्दू मंदिर के थे. जिसका इस्तेमाल दरगाह बनाने के लिए किया गया था, यह असल में इस्लामिक ढांचे से ज़्यादा मंदिर दिखाई देता है.
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