
परदे में रहने दो परदा न उठाओ: हिजाब विवाद में कोर्ट के नतीजे के बाद क्या बोले ओवैसी और मेहबूबा मुफ़्ती

Hijab controversy: बीते 3 महीने से देश में हिजाब को लेकर बखेड़ा बना रहा और अभी भी बना है जबकि कर्नाटक कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. बता दें कि कर्नाटक कोर्ट ने कहा है की कॉलेज में यूनिफॉर्म पहनकर ही छात्रों को आना होगा और हिजाब इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है।
कोर्ट के आदेश के बाद खुद को इस्लाम मजहब का ठेकेदार मानाने वाले नेता और अलगाववादी नेताओं ने कोर्ट के नतीजे पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं. संविधान का हवाला देकर जिन लोगों ने कोर्ट में याचिका लगाई थी उन्हें अब कोर्ट का फैसला असंवैधानिक लग रहा है जबकि देश का पूरा कानून संविधान पर ही टिका हुआ है। यही दोगलापन कई सालों से चलता आ रहा है। कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसे मानो भाई...
हिजाब विवाद में ओवैसी ने क्या कहा
कोर्ट के फैसले पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताई है और निर्णय को मानाने से इंकार कर दिया है, खैर ओवैसी के मानाने न मानने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। ओवैसी ने कहा कि हम मॉर्डन बनने के लिए रिवाजों को नहीं भूल सकते, आखिर हिजाब से दिक्कत क्या है? हिजाब बैन संविधान के आर्टिकल 15 का उंलघन है। कोर्ट के इस फैसले से देश में नकारात्मक असर पड़ेगा।
हिजाब बैन पर मेहबूबा मुफ़्ती ने क्या जहर उगला
दुर्भाय से जम्मू कश्मीर की पर्व पीएम रह चुकी मेहबूबा मुफ़्ती ने भी कर्नाटक कोर्ट के फैसले पर जहर उगला है। उसने कहा है कि हाईकोर्ट का फैसला निराशाजनक है। यह महिलाओं के अधिकार का हनन है, महिलाओं को क्या पहनना है यह उनका हक़ है.
हिजाब पर अन्य नेताओं ने क्या बयान दिए
जम्मू कश्मीर के पर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी कोर्ट के फैसले पर निराशा जताई है और कहा है कि हिजाब सिर्फ धर्म का कपडा नहीं है, यह महिला का अधिकार है, कोर्ट का फैसला हास्यपद है
हिजाब विवाद में कर्नाटक के मुख्य मंत्री ने क्या कहा
कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के बाद राज्य के सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा कि कोर्ट के फैसले का सबको स्वागत करना चाहिए, और किसी ने शांति भंग करने की कोशिश की तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी
हिजाब बैन होने के बाद मुस्लिम छात्राओं ने क्या कहा
हिजाब बैन होने पर कर्नाटक के उड्डपी कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं ने कहा कि अब वो परीक्षा ही नहीं देगीं। ये वहीँ छात्राएं हैं जिन्होंने कहा था हिजाब प्राथमिकता है और एजुकेशन इसके बाद है। जाहिर है हिजाब को शिक्षा से ज़्यादा मानाने वाले परीक्षा को बॉयकॉट ही करेंगे।
कोर्ट हिजाब पर बैन न करता तो क्या होता?
पहले ये समझिये की कोर्ट ने हिजाब में बैन नहीं लगाया है, कॉलेज का यूनिफॉर्म पहनने के लिए कहा है, और कॉलेज में हिजाब ना पहनकर आने के लिए कहा है, बाकी जिसे हिजाब पहनना है या बुरका ना बिकिनी ये सब कॉलेज के बाहर हो सकता है. देश में कुछ मुस्लिम लीडर्स ऐसा माहौल बना रहे है जैसे कोर्ट ने कह दिया है कि मुस्लिम औरतें अब हिजाब ही नहीं पहनेंगीं। जबकि ऐसा कुछ नहीं है।
आज अगर कोर्ट कॉलेज में हिजाब और भगवा को अनुमति देदे तो कल फिर जब यही लोग सिविल सर्विसेस में जाएंगे तो क्या हिजाब पहनकर काम करेंगे? आर्मी में जाएंगे तो क्या हिजाब पहनकर? जज बनेंगे तो जज के गाउन के ऊपर हिजाब पहनेंगे? नहीं ना तो फिर कॉलेज में क्यों पहनना है। हालांकि ये सब बनने के लिए परीक्षा देनी पड़ती है




