
12वीं में फेल होने के बाद भी IPS बने उमेश, संघर्ष से पाई 704वीं रैंक

उमेश गणपत खंडबहाले
असफलता से सफलता की कहानी: उमेश गणपत खंडबहाले
फिल्म '12वीं फेल' में मनोज शर्मा की कहानी देखने के बाद, 12वीं में फेल होने के बावजूद आईपीएस बनने वाले अफसरों की प्रेरणादायक गाथाएं अब हर किसी की जुबान पर हैं। मनोज शर्मा की तरह ही एक और ऐसे अधिकारी हैं, उमेश गणपत खंडबहाले। महाराष्ट्र के नासिक जिले में त्र्यंबकेश्वर के पास महिरावाणी नाम का एक छोटा सा गांव है, जहां ज़्यादातर लोग खेती करते हैं और कुछ मवेशी पालकर दूध बेचते हैं। इसी गांव के दूध बेचने वालों में से एक गणपत खंडबहाले अब एक आईपीएस अधिकारी के पिता के तौर पर जाने जाते हैं। उन्हें खुद यकीन नहीं था कि उनका बेटा उमेश कभी आईपीएस अधिकारी बन पाएगा।
12वीं में फेल होने के बाद शुरू किया खेती और दूध का काम
उमेश को 12वीं कक्षा की अंग्रेजी की परीक्षा में असफलता मिली, उन्हें सिर्फ 21 नंबर ही मिले थे। इस असफलता के बाद, उन्होंने हार नहीं मानी और अपने पिता की मदद करने के लिए दूध बेचना और खेतों में काम करना शुरू कर दिया। वे हर दिन गांव से दूध इकट्ठा करते और उसे बेचने के लिए नासिक के बाज़ार जाते थे। यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने उन्हें और भी मजबूत बनाया।
अंग्रेजी साहित्य में MA और यूपीएससी की तैयारी
जिस रास्ते से उमेश दूध बेचने जाते थे, उसी रास्ते में यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र ओपन यूनिवर्सिटी (वाईसीएमओयू) थी। एक दिन उनके मन में क्या आया, वे यूनिवर्सिटी के सामने रुके और वहां पढ़ाई के बारे में जानकारी लेने लगे। सारी जानकारी लेने के बाद, उन्होंने फिर से 12वीं में दाखिला लिया। एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने इस यूनिवर्सिटी से 2005 में आखिरकार 12वीं की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने पुणे यूनिवर्सिटी के केटीएचएम कॉलेज से बीए, बीएड और एमए किया। जिस अंग्रेजी विषय में वे 12वीं में फेल हुए थे, उसी को उन्होंने अपनी ताकत बनाया और उसी से एमए किया। उमेश यहीं नहीं रुके, उन्होंने यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र मुक्त विश्वविद्यालय से बागवानी में डिप्लोमा कोर्स भी किया।
एमए करने के बाद, उन्हें किसी से यूपीएससी के बारे में पता चला। शुरुआत में उन्होंने तीन-चार महीने तक यूपीएससी की बेसिक ट्यूशन ली और फिर परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली आ गए। हालांकि, दिल्ली में भी उन्हें दो बार असफलता का सामना करना पड़ा। 2012 में उमेश ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन सफल नहीं हुए। अगले साल वे फिर से परीक्षा में बैठे, लेकिन इस बार भी नतीजा पहले जैसा ही रहा। लगातार दो असफलताओं के बावजूद उमेश की हिम्मत नहीं टूटी। उन्होंने 2014 में तीसरी बार परीक्षा दी और इस बार मेरिट लिस्ट में उनका नाम आ गया। उमेश ने अखिल भारतीय स्तर पर 704वीं रैंक हासिल की।
असंभव को संभव करने वाले आईपीएस उमेश
उमेश अपने गांव से आईपीएस बनने वाले पहले व्यक्ति हैं। उन्होंने '12th फेल' फिल्म देखी और खुद को उसकी कहानी से जुड़ा हुआ पाया। अपने संघर्ष के दिनों को याद करके वे भावुक हो गए। वे भी मानते हैं कि 'रीस्टार्ट' ऐसा मंत्र है जिससे असंभव को संभव बनाया जा सकता है। उमेश गणपत खंडबहाले इस समय पश्चिम बंगाल कैडर में आईपीएस अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं।




