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EWS आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने रखा अपना पक्ष, कहा- SC-ST और OBC आरक्षण पर कोई असर नहीं होगा

EWS आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने रखा अपना पक्ष, कहा- SC-ST और OBC आरक्षण पर कोई असर नहीं होगा
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भारत की सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को आरक्षण देने के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हो रही है. मंगलवार को केंद्र सरकार ने SC से साफ कहा कि इस फैसले से दूसरे वर्गों के आरक्षण पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण देने के खिलाफ दायर याचिका में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा है. केंद्र सरकार ने सुको से कहा है की EWS आरक्षण का असर अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) किसी वर्ग पर नहीं पड़ेगा.

केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायलय में कहा है कि अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 'पूरी तरह से स्वतंत्र' आरक्षण को खत्म किए बिना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को पहली बार सामान्य वर्ग की 50 प्रतिशत सीटों में से दाखिले और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. मंगलवार को ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले 103वें संविधान संशोधन का बचाव करते हुए अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस यू.यू. ललित की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से कहा कि यह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है. उन्होंने कहा कि इसे सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए निर्धारित 50 प्रतिशत कोटे में हस्तक्षेप किए बिना दिया गया है.

तमिलनाडु ने इस आधार पर किया है विरोध

हालांकि, तमिलनाडु ने EWS आरक्षण का विरोध करते हुए कहा कि वर्गीकरण का आधार आर्थिक मानदंड नहीं हो सकता है और अगर सुप्रीम कोर्ट ईडब्ल्यूएस आरक्षण को बरकरार रखने का फैसला करता है तो उसे इंदिरा साहनी (मंडल) फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए. आरक्षण के अलावा सरकार की सकारात्मक कार्रवाई का जिक्र करते हुए वेणुगोपाल ने संवैधानिक प्रावधानों का उल्लेख किया और कहा कि एससी और एसटी समुदाय को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण दिया गया है.

पीठ में न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट, न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला भी शामिल हैं.

कुल मिलाकर सामान्य वर्ग की कुल आबादी का 18.2 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस से संबंधित है. जहां तक आंकड़े का सवाल है, तो यह कुल आबादी का लगभग 3.5 करोड़ होगा.

- अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल

सामान्य वर्ग की बड़ी आबादी मेधावी

अटॉर्नी जनरल ने पीठ से कहा, 'EWS को यह (आरक्षण) पहली बार दिया गया है. दूसरी ओर, जहां तक एससी और एसटी समुदाय का संबंध है, उन्हें सरकार की सकारात्मक कार्रवाइयों के माध्यम से लाभान्वित किया गया है.' उन्होंने कहा, 'इस सामान्य वर्ग की एक बड़ी आबादी, जो शायद अधिक मेधावी है, शैक्षणिक संस्थानों और नौकरियों में अवसरों से वंचित हो जाएगी (यदि उनके लिए आरक्षण समाप्त कर दिया जाता है).'

वेणुगोपाल ने एसईबीसी और सामान्य वर्ग के ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बीच भेद करने पर जोर देते हुए कहा कि दोनों असमान हैं और समरूप समूह नहीं हैं. उन्होंने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण अलग है. पीठ ने पूछा, 'क्या आपके पास कोई आंकड़ा है जो ईडब्ल्यूएस को खुली श्रेणी में दर्शाता है, उनका प्रतिशत कितना होगा?'

सामान्य वर्ग की कुल आबादी का 18 प्रतिशत EWS

वेणुगोपाल ने नीति आयोग द्वारा उपयोग किए जाने वाले 'बहुआयामी गरीबी सूचकांक' का हवाला देते हुए कहा कि कुल मिलाकर सामान्य वर्ग की कुल आबादी का 18.2 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस से संबंधित है. उन्होंने कहा, 'जहां तक आंकड़े का सवाल है, तो यह कुल आबादी का लगभग 3.5 करोड़ होगा.' वेणुगोपाल मामले में बुधवार को भी दलीलें पेश करेंगे.

सुनवाई की शुरुआत में गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) 'यूथ फॉर इक्वेलिटी' की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण योजना का समर्थन करते हुए कहा कि यह लंबे समय से लंबित और सही दिशा में सही कदम है. वहीं, तमिलनाडु की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफड़े ने कहा कि निष्पक्षता का सिद्धांत और मनमानी नहीं किया जाना, संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि समानता का अधिकार बुनियादी ढांचे का हिस्सा है और केवल आरक्षण देने के लिए आर्थिक मानदंड तय करना, इसका उल्लंघन होगा.

Aaryan Puneet Dwivedi | रीवा रियासत

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