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क्या सच में पृथ्वीराज चौहान शब्दभेदी बाण चलाना जानते थे? जानें

क्या सच में पृथ्वीराज चौहान शब्दभेदी बाण चलाना जानते थे? जानें
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Prithviraj Chauhan Jayanti 2022, Prithviraj Chauhan Biografy: सम्राट पृथ्वीराज चौहान के बहुत से ऐसे किस्से हैं (Prithviraj Chauhan Story) जो की मशहूर हैं, जिनसे मालूम होता है की वे कितने शक्तिशाली थे,

Prithviraj Chauhan Jayanti 2022: पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) जिन्हे आखिरी हिन्दू सम्राट (Last Hindu Emperor) कहा जाता है उनका जन्म सन 1149 में हुआ था चौहान वंश में जन्में थे. सम्राट पृथ्वीराज चौहान के बहुत से ऐसे किस्से हैं (Prithviraj Chauhan Story) जो की मशहूर हैं, जिनसे मालूम होता है की वे कितने शक्तिशाली थे, सम्राट पृथ्वीराज चौहान को पिथौरा नाम से भी जाना जाता था, जिनका जन्मस्थान अजमेर (Prithviraj chouhan Birthplace) था।

6 कलाओं में पारंगत थे सम्राट पृथ्वीराज

इतिहासकारों के अनुसार पृथ्वीराज मेडिसिन, गणित, इतिहास, पेंटिंग, व युद्ध कला में माहिर थे, उनके युद्ध कौशल की गाथाएं आज भी गायी जाती हैं, हिन्दुस्तान के इतिहास में उनका नाम सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं (Great warriors Of India) की सूची में शामिल हैं.

पृथ्वीराज ने किस उम्र में राज संभाला था ? (Prithviraj Raja Kab Bane?)

पिता की मृत्यु के बाद पृथ्वीराज चौहान ने मात्र 11 वर्ष की आयु में अजमेर और दिल्ली का शासन संभाल लिया था. और उसके बाद उन्होंने कई युद्ध भी जीते थे तथा लगातार कई राजाओं को पराजित कर अपने राज्य का विस्तार किया था।

किस योद्धा से हार गए थे पृथ्वीराज चौहान (Who defeated Prithviraj III?)

इतिहासकारों के अनुसार 11 वीं शताब्दी में पृथ्वीराज चौहान ने बुंदेलखंड को जीतने के उद्देश्य से वहां आक्रमण किया था व, वहां पर काफी ज्यादा भीषण युद्ध हुआ था जहाँ पर राजा परमाल के सेनापति आल्हा की अनुपस्थिति में उनके भाई मलखान से पृथ्वीराज का युद्ध हुआ जिसमें मलखान पिथौरा तक पहुँचने से पूर्व ही अपनी छोटी सेना के साथ वीरगति को प्राप्त हुआ था, लेकिन उसके बाद ऊदल भी वीरगति को प्राप्त हुआ था, अंत में आल्हा स्वयं युद्धभूमि में आगये थे और उन्होंने सम्राट पृथ्वीराज को पराजित कर दिया था, तथा जीवनदान भी दिया था. उसके बाद आल्हा माँ शारदा की भक्ति विलीन होकर संन्यास ले लिया था।

देशभर के शक्तिशाली क्षत्रिय राजाओं के सामने राजकुमारी संयोगिता का अपहरण किया था

सम्राट पृथ्वीराज चौहान और राजकुमारी संयोगिता (Rajkumari Sanyogita) का प्रेम इतिहास में अमर है, राजकुमारी संयोगिता जो की राजा जयचंद (Raja Jaichand) की बेटी थीं उन्हें पिथौरा से प्रेम था, जबकि राजा जयचंद को उनका यह प्रेम स्वीकार्य न था वे पृथ्वीराज से नफरत करते थे वे हमेशा से उन्हें नीचे दिखाना चाहते थे, यहाँ तक की संयोगिता के स्वयंवर में देशभर की रियासतों के राजा आये हुए थे वहीँ पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति को जयचंद्र ने द्वारपाल के स्थान में रखवाई थी. पृथ्वीराज चौहान ने राजकुमारी संयोगिता को उनकी इच्छा से स्वयंवर में सभी राजाओं के सामने से उनका अपहरण किया था, जहाँ से वे उन्हें अपने राज्य ले आये तथा वहां उन दोनों ने गन्धर्व विवाह किया था, किसी भी राजा में उनको रोकने का साहस न था यहां तक की राजा जयचंद ने अपने राज्य में ही अकेले आये पृथ्वीराज को रोकने के जुर्रत नहीं कर पाए।

मोहम्मद गौरी पर किया था हमला

पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) सदैव अपने राज्य की सुरक्षा के लिए चौकन्ने के रहते थें, इसके लिए उन्होंने भी उस काल के पंजाब के शासक मोहम्मद शाहबुद्दीन गौरी (Mohammad Shahabuddin Gauri) पर आक्रमण कर सरहिंद, सरस्वती और हांसी पर अपना अधिकार कर लिया था, लेकिन अन्हिलवाड़ा में उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा था जिसके बाद पृथ्वीराज को सरहिंद का किला भी खोना पड़ा था।

उसके बाद भी पृथ्वीराज चौहान ने हार नहीं मानी और पुनः सपने सैनिकों के साथ युद्ध में वापसी की, और उन्होंने मोहमद गौरी से सरहिंद किले के पास तराइन में युद्ध किया जिसमे मोहम्मद शाहबुद्दीन गौरी अधमरा होकर भाग खड़ा हुआ था।

इसके बाद गौरी ने अपमान की आग में जल रहे राजा जयचंद (Raja Jaichand) के साथ मिलकर पृथ्वीराज को हराने की योजना बनाई, और मिलकर हमला कर दिया स्वयंवर में राजकुमारी संयोगिता के अपहरण के कारण किसी भी क्षत्रिय राजा ने पृथ्वीराज चौहान की मदद नहीं की फलस्वरूप उन्होंने आक्रमणकारियों का अपनी ही सेना के साथ मुकाबला किया था। और युद्ध में गौरी ने चौहान को बंदी बना लिया था।

शब्द भेदी बाण चलाने में निपुण थे सम्राट पृथ्वीराज चौहान

पृथ्वीराज रासो (Prithviraj Raso) के अनुसार मोहम्मद शाहबुद्दीन, पृथ्वीराज चौहान को कैद करके गजनी ले गया था, वहां उन्हें अँधा कर दिया था, उनके साथ चंदबरदाई भी अपने महाराज की सेवार्थ गजनी चले गए थे, चंदरबरदाई (Chandra Bardai) और पृथ्वीराज को गौरी के सामने लाया जाता है जहाँ चंदबरदाई चंद पंक्तियाँ कहीं ; '' चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान''. इसके बाद बिना नेत्रों के पृथ्वीराज चौहान ने गौरी को तेजी से हँसता हुआ आवाज सुनकर उस पर शब्दभेदी बाण छोड़कर गौरी की हत्या कर दी. जैसे ही मोहम्मद गोरी मारा गया उसके बाद ही पृथ्वीराज चौहान और चंदबरदाई (Chandra Bardai) ने अपनी दुर्गति से बचने की खातिर एक-दूसरे की हत्या कर दी. इस तरह पृथ्वीराज ने अपने अपमान का बदला ले लिया. अतः अगर हम चंदबरदाई के लिखे हुए ग्रन्थ पृथ्वीराज रासो की बात माने जो की सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जीवन पर लिखी गई है तो वे एक महान तीरंदाज थे जो जिन्होंने बचपन में ही शब्दभेदी बाण चलाने तक का कठिन प्रशिक्षण किया था।

Ankit Pandey | रीवा रियासत

Ankit Pandey | रीवा रियासत

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