
भारत में कोरोना का विस्फोट: 48 घंटे में 21 मौतें, 9 दिन में 1300% बढ़े केस, एक्टिव मामले 3783; कर्नाटक में एडवाइजरी, 4 नए वैरिएंट सक्रिय

भारत में कोरोना वायरस (COVID-19) एक बार फिर तेजी से अपने पैर पसारता दिख रहा है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं और आम जनता के बीच चिंता की एक नई लहर दौड़ गई है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, देश भर में कोरोना के सक्रिय (एक्टिव) मामलों की संख्या विस्फोटक रूप से बढ़कर 3783 तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा विशेष रूप से इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि महज 9 दिन पहले, 22 मई, 2025 को देश में केवल 257 सक्रिय मामले थे। इस प्रकार, बहुत कम समय में कोरोना के मामलों में लगभग 1300% की भारी और अप्रत्याशित बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
इस दौरान, जनवरी 2025 से अब तक कोरोना संक्रमण के कारण कुल 28 लोगों की दुखद मौत हो चुकी है। केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इनमें से 21 मौतें तो पिछले महज दो दिनों (30 और 31 मई) में ही दर्ज की गईं, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाती हैं। वर्तमान में केरल 1400 सक्रिय मामलों के साथ देश का सबसे अधिक प्रभावित राज्य बना हुआ है। इसके बाद महाराष्ट्र में 485 और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 436 सक्रिय मामले हैं।
शनिवार को हुई मौतें
शनिवार, 31 मई, 2025 को भी कोरोना संक्रमण से दो और मरीजों की मौत की पुष्टि हुई। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में एक 63 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु हो गई। चिंताजनक बात यह है कि उन्हें कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराकों के साथ बूस्टर डोज भी लगी हुई थी। वहीं, दिल्ली में भी एक 60 वर्षीय बुजुर्ग ने कोरोना संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया। इस नई लहर में अब तक महाराष्ट्र और केरल में सर्वाधिक 7-7 लोगों ने अपनी जान गंवाई है।
कर्नाटक सरकार की नई एडवाइजरी
कर्नाटक में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने शनिवार को एक विस्तृत सार्वजनिक एडवाइजरी जारी की है। इसमें लोगों से भीड़-भाड़ वाली जगहों पर अनिवार्य रूप से मास्क लगाने, एक-दूसरे से शारीरिक दूरी बनाए रखने और हाथों की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने की अपील की गई है। सरकार ने यह भी कहा है कि बुखार, खांसी, सीने में दर्द या सांस लेने में किसी भी प्रकार की दिक्कत जैसे लक्षण दिखने पर नागरिक तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर अपनी कोरोना जांच कराएं।
मिजोरम में 7 महीने बाद कोरोना संक्रमण की वापसी
पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम में भी लगभग 7 महीने के लंबे अंतराल के बाद कोरोना संक्रमण के मामले फिर से सामने आए हैं। शुक्रवार, 30 मई को राज्य में 2 लोगों में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हुई। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मिजोरम में कोविड-19 का आखिरी मामला अक्टूबर 2024 में सामने आया था, उस दौरान राज्य में 73 लोग इस वायरस से संक्रमित हुए थे। नए संक्रमित पाए गए दोनों मरीजों का इलाज आइजोल के पास फल्कोन स्थित जोरम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (ZMCH) में चल रहा है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के इंटीग्रेटेड रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) ने लोगों से न घबराने की अपील करते हुए कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने, नियमित रूप से हाथ धोने, हैंड सैनिटाइजर का सही उपयोग करने और अनावश्यक रूप से भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचने की सलाह दी है।
महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में कोरोना की स्थिति
महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। शनिवार को राज्य में कोविड के 68 नए मामले सामने आए। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अकेले मुंबई महानगर में जनवरी 2025 से अब तक कोरोना के 411 मामले मिल चुके हैं। राज्य में जनवरी से अब तक कुल 10,324 कोविड-19 टेस्ट किए गए हैं, जिनमें से 681 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। इसके अतिरिक्त, जम्मू-कश्मीर में भी गुरुवार को कोविड-19 के दो मामले सामने आए थे; ये दोनों मरीज केरल के रहने वाले हैं और श्रीनगर स्थित गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज में अध्ययनरत हैं।
ICMR ने की भारत में 4 नए कोरोना वैरिएंट्स की पुष्टि
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने जानकारी दी है कि भारत में अब तक कोरोना वायरस के चार नए वैरिएंट्स - LF.7 सीरीज, XFG सीरीज, JN.1 सीरीज और NB.1.8.1 सीरीज - की पहचान की गई है। ये वैरिएंट्स मुख्य रूप से दक्षिण और पश्चिम भारत से प्राप्त नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग में पाए गए हैं। देश के अन्य भागों से भी नमूने एकत्र कर उनकी सीक्वेंसिंग की प्रक्रिया जारी है ताकि नए वैरिएंट्स के प्रसार और उनके प्रभाव का सही और व्यापक मूल्यांकन किया जा सके। डॉ. बहल ने यह भी आश्वस्त किया है कि वर्तमान में सामने आ रहे अधिकांश संक्रमण के मामले बहुत गंभीर प्रकृति के नहीं हैं, इसलिए आम जनता को अत्यधिक घबराने की आवश्यकता नहीं है, परंतु सतर्कता बनाए रखना और सभी जरूरी कोविड नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
नए वैरिएंट्स की प्रकृति, WHO का वर्गीकरण और NB.1.8.1 की विशेष संक्रामकता
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन नए पाए गए कोरोना वैरिएंट्स को फिलहाल 'चिंताजनक वैरिएंट' (Variant of Concern - VoC) की श्रेणी में तो नहीं रखा है, लेकिन इन पर कड़ी नजर रखी जा रही है और इन्हें 'निगरानी में रखे गए वैरिएंट' (Variant under Monitoring - VUM) के रूप में वर्गीकृत किया है। यह उल्लेखनीय है कि चीन सहित एशिया के कुछ अन्य देशों में हाल के दिनों में कोविड के मामलों में जो अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है, उनमें यही वैरिएंट प्रमुख रूप से पाए जा रहे हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार, विशेष रूप से NB.1.8.1 वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में A435S, V445H, और T478I जैसे कुछ विशिष्ट म्यूटेशन (उत्परिवर्तन) मौजूद हैं। ये म्यूटेशन इस वैरिएंट को अन्य मौजूदा वैरिएंट्स की तुलना में अधिक तेजी से फैलने और शरीर की विकसित प्रतिरक्षा प्रणाली (वैक्सीन या पूर्व संक्रमण से प्राप्त) को कुछ हद तक चकमा देने में अधिक सक्षम बना सकते हैं, जिससे पुनः संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
JN.1 वैरिएंट: भारत में सबसे आम और उसकी विशेषताएं
वर्तमान में भारत में कोविड-19 का JN.1 वैरिएंट सबसे अधिक प्रचलित और व्यापक रूप से फैलने वाला स्ट्रेन बना हुआ है। हाल ही में की गई टेस्टिंग और जीनोम सीक्वेंसिंग में आधे से अधिक (50% से अधिक) सैंपलों में इसी वैरिएंट की पुष्टि हो रही है। JN.1 वास्तव में ओमिक्रॉन के BA.2.86 सब-वैरिएंट का ही एक उप-वंश (स्ट्रेन) है, जिसे पहली बार अगस्त 2023 में पहचाना गया था। अपनी उच्च संक्रामकता के कारण दिसंबर 2023 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' (VoI) घोषित किया था। JN.1 में लगभग 30 अतिरिक्त म्यूटेशन हैं जो इसे इम्यूनिटी को कमजोर करने और संक्रमण को अधिक सुगमता से फैलाने में सहायता करते हैं।
अमेरिका स्थित जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार, JN.1 वैरिएंट अन्य वैरिएंट्स की तुलना में अधिक आसानी से और तेजी से प्रसारित होता है, लेकिन यह आमतौर पर गंभीर बीमारी या अस्पताल में भर्ती होने की दर में उल्लेखनीय वृद्धि का कारण नहीं बनता है। यह दुनिया के कई हिस्सों में सबसे आम वैरिएंट बना हुआ है। JN.1 से संक्रमित होने पर लक्षण कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक बने रह सकते हैं। यदि लक्षण ठीक होने के बाद भी लंबे समय तक जारी रहते हैं, तो यह 'लॉन्ग कोविड' की स्थिति हो सकती है, जिसमें कोविड-19 के कुछ लक्षण पूर्ण रिकवरी के बाद भी व्यक्ति को परेशान करते रहते हैं। JN.1 के अतिरिक्त, भारत में BA.2 (कुल मामलों का लगभग 26 प्रतिशत) और ओमिक्रॉन के अन्य सबलाइनेज (लगभग 20 प्रतिशत मामले) भी सक्रिय रूप से संक्रमण फैला रहे हैं।




