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दिग्विजय के बदले सुर / पाक पीएम को चेताया, कहा- जब तक आतंकियों पर कार्रवाई नहीं, तब तक भारत-पाकिस्तान की बातचीत नहीं

Aaryan Dwivedi
17 July 2021 11:25 PM GMT
दिग्विजय के बदले सुर / पाक पीएम को चेताया, कहा- जब तक आतंकियों पर कार्रवाई नहीं, तब तक भारत-पाकिस्तान की बातचीत नहीं
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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के सुर कुछ बदले से लग रहें हैं. दिग्विजय ने पाकिस्तान के पीएम इमरान खान (Imran Khan) को खरी खोटी सुनाई है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि जब तक पाकिस्तान सरकार और इमरान खान आतंकियों पर कार्रवाई नहीं करते. तब तक भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत नहीं हो सकती. 

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के सुर कुछ बदले से लग रहें हैं. दिग्विजय ने पाकिस्तान के पीएम इमरान खान (Imran Khan) को खरी खोटी सुनाई है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि जब तक पाकिस्तान सरकार और इमरान खान आतंकियों पर कार्रवाई नहीं करते. तब तक भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत नहीं हो सकती.

इंदौर में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शनिवार को कहा कि जब तक पाकिस्तान की इमरान खान सरकार मुंबई आतंकवादी हमलों और भारत के खिलाफ दहशतगर्दी की अन्य हरकतों के मददगारों पर सख्त कार्रवाई नहीं करती, तब तक दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच बातचीत का सिलसिला बहाल हो पाना मुमकिम नहीं है.

सिंह ने इंदौर में कहा, "भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत बहाल करने में वे सारे लोग बाधा हैं जिनकी मुंबई आतंकवादी हमलों और (भारत के खिलाफ) अन्य आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वाले लोगों को प्रश्रय और वित्तीय मदद देने में शामिल होने को लेकर पहचान हो गई है."

दिग्विजय ने हाफिज सईद और मसूद अजहर का नाम लेते हुए कहा कि भारत विरोधी आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले लोग "पूरी तरह से" पाकिस्तान सरकार के संरक्षण में हैं. उन्होंने कहा, "जब तक इमरान खान सरकार इन लोगों को संरक्षण देती रहेगी और इन पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं करेगी, तब तक दोनों पड़ोसी देशों के बीच भला कैसे बातचीत होगी?"

बता दें दिग्विजय ने यह बयान तब दिया जब पडोसी मुल्क के वजीर-ए-आजम द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का रोड़ा आरएसएस को बताया गया था.

सिंह ने कहा कि उन्हें भारत में अंग्रेजों के जमाने से चल रहे उस राजद्रोह कानून की मौजूदा दौर में कोई आवश्यकता प्रतीत नहीं होती जिसके तहत महात्मा गांधी को भी गिरफ्तार किया गया था.

उन्होंने सरकार के विरोधियों के दमन के लिए राजद्रोह कानून के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा, "वर्तमान समय में पुराने राजद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता पर सभी सियासी पार्टियों को मिलकर विचार करना चाहिए."

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