
Chess World Cup 2023: जानें रमेशबाबू प्रज्ञानानंद के बारे में, 12 साल में बने ग्रैंडमास्टर, विश्व चैम्पियन को देंगे टक्कर

Rameshbabu Praggnanandhaa: भारत के युवा ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रज्ञानानंद ने सोमवार को शतरंज के विश्वकप (Chess World Cup 2023) में अपने टैलेंट का जलवा बिखेरा। 18 वर्षीय रमेशबाबू को बचपन से ही इस खेल में लगाव रहा है। उन्होंने तीन वर्ष की उम्र से ही चेस खेलना प्रारंभ कर दिया था। रमेशबाबू ने रोमांचक मैच में दुनिया के तीसरे नंबर के अमेरिकी खिलाड़ी फैबियाने कारुआना को मात देते हुए खिताबी मुकाबले में प्रवेश किया। अब उनका मुकाबला वर्ल्ड नंबर 1 मैग्नस कार्लसन से होगा।
बहन से सीखी शतरंज की बारीकियां
रमेशबाबू प्रज्ञानानंद का जन्म चेन्नई में 10 अगस्त 2005 को हुआ। उन्होंने अपनी बहन से शतरंज की बारीकियां सीखीं। रमेशबाबू को ग्रैंडमास्टर बनाने में बहन वैशाली ने काफी योगदान दिया। वह एक प्रसिद्ध शतरंज प्लेयर हैं। वैशाली को बचपन में माता-पिता ने कार्टून से दूर रखने के लिए उसे शतरंज की ओर ध्यान देने को कहा। धीरे-धीरे वह शतरंज में माहिर हो गई। रमेशबाबू का भी अपनी बहन को देखते हुए शतरंज की ओर लगाव बढ़ता गया। महज 3 वर्ष में उन्होंने शतरंज की बारीकियां सीख लीं।
7 वर्ष में जीता फिडे मास्टर का खिताब
वर्ष 2013 में विश्व युवा शतरंज चैम्पियनशिप अंडर-8 का खिताब प्रज्ञानानंद ने जीता। महज 7 वर्ष की उम्र में इस जीत ने उनको फिडे मास्टर का खिताब दिला दिया। यह ग्रैंडमास्टर और इंटरनेशनल मास्टर से नीचे का एक खुला खिताब है। उनकी जीत का सिलसिला आगे भी जारी रहा। वर्ष 2016 में उनकी उम्र 10 वर्ष, 10 माह और 19 दिन थी त बवह इतिहास में सबसे कम उम्र के अंतर्राष्ट्रीय मास्टर बन गए। इसके दो वर्ष बाद 12 वर्ष, 10 माह और 13 दिन की उम्र में रमेशबाबू ने रूसी शतरंज स्टार सर्गेई कारजाकिन के बाद सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बन गए। प्रज्ञानानंद की भारत के सबसे सफल चेस प्लेयर विश्वनाथन आनंद ने भी कई बार तारीफ की। इसके बाद रमेश बाबू ने कई टूर्नामेंट में जीत हासिल की।
सोशल मीडिया से रहते हैं दूर
रमेशबाबू प्रज्ञानानंद के पिता बताते हैं कि उनके बेटे को शतरंज के अलावा क्रिकेट से भी बेहद लगाव है। वह समय-समय पर मैदान में क्रिकेट खेलने के लिए भी जाया करते हैं। वर्तमान दौर में जहां बच्चों को फोन चलाने और सोशल मीडिया में एक्टिव रहने का शौक है तो वहीं दूसरी ओर रमेशबाबू जीवन का आनंद लेने में विश्वास रखते हैं उन्हें सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने का शौक नहीं है।




