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Bhopal Gas Kand: उस वीभत्स घटना के बारे में कितना जानते हैं आप? 37 साल बीत चुके हैं लेकिन जख्म आज भी लोगों को पीड़ा पहुंचाते हैं

Bhopal Gas Kand: उस वीभत्स घटना के बारे में कितना जानते हैं आप? 37 साल बीत चुके हैं लेकिन जख्म आज भी लोगों को पीड़ा पहुंचाते हैं
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Bhopal Gas Kand: जो सो रहे थे वो सोते-सोते मर गए, और जो जाग रहे थे कुछ देख नहीं पाए, सरकार ने दोषियों को बचाने के लिए भरसक प्रयास किए

Bhopal Gas KandBhopal Gas Kand: भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) को हुए आज 37 बीत चुके हैं लेकिन लोगों की चींख आज भी सुनाई देती हैं वो कष्ट वो जख्म आज भी हरा है। वो काला दिन इतना वीभत्स था कि जो सो रहे थे वो सोते-सोते मर गए, जो जाग रहे थे वो कुछ देख नहीं पाए, जो काम कर रहे थे उनकी आंखे पथरा गईं और कई लोग सिर्फ मदद ना मिल पाने के कारण तड़प-तड़प कर हांफ-हांफ कर मौत की नींद सो गए। तत्कालीन सरकार ने दोषियों को बचाने के लिए भरसक प्रयास किए, सैंकड़ो लोगों के हत्यारे को बचाने के लिए एड़ी चोंटी का ज़ोर लगा दिया गया।


2 और 3 दिसंबर की उस रात में भोपाल की हवा में ज़हर घुल चुका था, यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री (Union Carbide Factory) से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक होने लगी थी, वो गैस एमपी की राजधानी की हवा में साक्षात मौत बन कर बहने लगी थी. फैक्ट्री के आस पास रहने वालों की आंखे अचानक से जलने लगी जैसे किसी ने तेज़ाब फेंक दिया हो। दर्द और जलन से तड़प रहे लोगों ने पानी से अपना चेहरा धोने की कोशिश की लेकिन उस जानलेवा गैस का असर पानी तक पहुंच चूका था। जो लोग पीड़ा से बचने के लिए पानी से अपना मुंह धोते उन्हें मौत गले लगा लेती।

आँखों के सामने सिर्फ अंधेरा था तो कोई सांस नहीं ले पा रहा था (Story Of Bhopal Gas Kand)


गैस लीक होने का कारण था टैंक नंबर 610 में भरी मिथाइल आइसोसाइनाइट गैस का पानी से मिल जाना, पानी के सम्पर्क में आते ही गैस ने अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया, उस घटना में हज़ारों लोगों की जान चली गई तो लाखों लोग विकलांग हो गए। फैक्ट्री के पास ही मजदूरों की बस्ती थी जहां रह रहे लोग अचानक से मरने लगे, सोते-सोते मर गए, जवान, बुजुर्ग और बच्चे भी उस ज़हरीली गैस की चपेट में आते जा रहे थे। कोई बच कर भागने की कोशिश कर रहा था तो उसकी जान दम घुटने से चली गई। हज़ारों लोग अस्पताल ना पहुंच पाने के चलते मर गए थे।

3,787 लोगों की मौत हुई और 5.7 लाख लोग अपंग हो गए (how many People Died Due to Bhopal Gas Tragedy)


इस त्रासदी से कितनों की जान गई और कितनो की ज़िन्दगी बर्बाद हो गई इसका कोई सटीक आंकड़ा नहीं है फिर भी सरकारी रिकॉर्ड के हिसाब से 3,787 लोगों की जान चली गई और 5.7 लाख लोग अपंग हो गए। सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार भोपाल गैस कांड से 15,724 लोगों की जान चली गई थी।

अस्पतालों में पांव रखने की जगह नहीं थी


सड़कों पर लोग मदद के लिए गला फाड़-फाड़ कर चिल्ला रहे थे, लेकिन मदद करने वाला कोई नहीं था, वो ऐसा मंजर था कि सभी को मदद की ज़रूरत थी। अस्पतालों में डॉक्टर्स यह समझ ही नहीं पा रहे थे कि आखिर हुआ क्या है और तड़पते-मरते मरीजों का इलाज कैसे करना है। 2 दिन के अंदर भोपाल के अस्पतालों में 50 हज़ार से ज़्यादा पीड़ित एडमिट हुए थे और बाकि लोगों के लिए इलाज कराने जगह ही नहीं मिल पाई थी। सड़कों में, घरों के अंदर, तो छोटे जलाशयों में लोगों की लाशे पड़ी हुई थीं। छोटे-छोटे बच्चों की लाशे उनकी माँ की गोद में थीं और मायें भी मर चुकी थीं।

सरकार ने दोषियों को बचा लिया (Culprit of Bhopal Gas Kand)


भोपाल को ज़िंदगीभर का ज़ख्म देने वाले और लाखों की ज़िंदगियाँ तबाह करने वाला आरोपी था वॉरेन एंडरसन, जो यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का सीईओ था। 6 दिसंबर 1984 को एंडरसन को अरेस्ट तो कर लिया गया लेकिन अगले ही दिन 7 दिसंबर को उसे फ्लाइट से दिल्ली भेज दिया गया और हज़ारों लोगों की जान लेने वाला दोषी एंडरसन हमेशा के लिए अमेरिका चला गया और दोबारा कभी भारत लौट कर नहीं आया. कोर्ट ने उसे फरार घोषित कर दिया लेकिन उसे बचाने वालों के ऊपर किसी ने उंगली तक नहीं उठाई। 29 सितंबर 2014 में फ्लोरिडा के वीरो बीच पर वॉरेन एंडरसन मर गया। .

वो दिन और आज का दिन हम लोगों के लिए वह भयानक घटना सिर्फ एक डरावना किस्सा है लेकिन जिन लोगों की उस त्रासदी से सामना हुआ है उनके लिए आज भी वो ज़ख्म ताजे हैं, जो विकलांग हुए उनकी पीढ़िया में विकलांग पैदा हुईं और जो मर गए उनकी यादे बाकी रह गईं।


Abhijeet Mishra | रीवा रियासत

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत

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