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बेंगलुरु भगदड़ मामला: कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट, याचिकाकर्ता ने पूछा- देश के लिए न खेलने वालों का सम्मान क्यों?

बेंगलुरु भगदड़ मामला: कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट, याचिकाकर्ता ने पूछा- देश के लिए न खेलने वालों का सम्मान क्यों?
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रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की IPL जीत के बाद हुई विक्ट्री परेड में भगदड़ से 11 लोगों की मौत के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की। एक्टिंग चीफ जस्टिस की बेंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर हादसे पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अगली सुनवाई 10 जून को होगी।

बेंगलुरु में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की IPL जीत के उपलक्ष्य में आयोजित विक्ट्री परेड के दौरान हुई भगदड़ के दर्दनाक मामले में गुरुवार, 5 जून, 2025 को कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस भयावह हादसे में 11 लोगों की जान चली गई थी और 33 लोग घायल हो गए थे। एक्टिंग चीफ जस्टिस वी कामेश्वर राव और जस्टिस सी एम जोशी की खंडपीठ ने मामले की गंभीरता का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को एक नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सरकार को इस हादसे पर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई अब 10 जून, 2025 को निर्धारित की गई है।

अदालत में सरकार का पक्ष

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि भगदड़ के तुरंत बाद घायलों को तत्काल सर्वोत्तम इलाज मुहैया करवाया गया था। सरकार ने यह भी दलील दी कि विक्ट्री परेड के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए 1380 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। हालांकि, सरकार का यह आंकड़ा एक दिन पहले राज्य के उपमुख्यमंत्री द्वारा दिए गए 1000 सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जानकारी से मेल नहीं खाता, जिससे सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

याचिकाकर्ता के तीखे सवाल

वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत के समक्ष कुछ तीखे और महत्वपूर्ण सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "राज्य सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के खिलाड़ियों को इस तरह सार्वजनिक रूप से सम्मानित करने का फैसला आखिर किसने लिया था? जो खिलाड़ी देश के लिए नहीं खेलते, उन्हें इस तरह सम्मानित करने की क्या मजबूरी और आवश्यकता थी, जिसके कारण इतनी बड़ी त्रासदी हुई?"

क्या था बेंगलुरु भगदड़ का वह दर्दनाक हादसा?

यह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण घटना 4 मई, 2025 को उस समय घटी थी, जब रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) द्वारा अपने इतिहास में पहली बार IPL खिताब जीतने की खुशी में बेंगलुरु शहर में एक भव्य विक्ट्री परेड का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के तहत, पहले कर्नाटक राज्य सरकार ने विधानसभा परिसर में सभी खिलाड़ियों का राजकीय सम्मान किया और इसके बाद बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में प्रशंसकों के लिए एक बड़े अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।

लेकिन, स्टेडियम में कार्यक्रम शुरू होने से काफी पहले ही बाहर जमा हुई हजारों की भारी और अनियंत्रित भीड़ में गेट खुलने को लेकर भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में कुचलकर 11 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई और 33 से अधिक लोग घायल हो गए थे। जांच में सामने आया कि मरने वाले सभी लोगों की उम्र 35 वर्ष से कम थी, जिनमें तीन किशोर भी शामिल थे।

क्यों और कैसे हुआ इतना बड़ा और भयावह हादसा? चार प्रमुख कारण

  1. फ्री पास और अनियंत्रित भीड़ की अव्यवस्था: स्टेडियम में प्रवेश के लिए आयोजकों द्वारा फ्री पास की व्यवस्था की गई थी, जिन्हें RCB की आधिकारिक वेबसाइट से डाउनलोड किया जाना था। बुधवार को जैसे ही यह घोषणा हुई, वेबसाइट पर अप्रत्याशित रूप से भारी ट्रैफिक आने के कारण वह तुरंत ही क्रैश हो गई। इसके चलते, जिन लोगों को पास मिल गए थे, उनके साथ ही बड़ी संख्या में बिना पास वाले लोग भी स्टेडियम पहुंच गए, जिससे प्रशासन और पुलिस भीड़ का सही अंदाजा लगाने में पूरी तरह से विफल रहे।
  2. गेट तोड़ने की कोशिश, पुलिस लाठीचार्ज और स्लैब का ढहना: स्टेडियम में प्रवेश करने के लिए बेकाबू हुई भीड़ ने गेट नंबर 12, 13 और 10 को तोड़ने का प्रयास किया। स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास में पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा। इसी धक्का-मुक्की और अफरा-तफरी के बीच स्टेडियम के बाहर एक नाले पर रखा हुआ कंक्रीट का एक बड़ा स्लैब भीड़ के भार से अचानक ढह गया, जिससे कई लोग उसमें गिर गए। इसी दौरान हल्की बारिश भी शुरू हो गई, जिससे भगदड़ की स्थिति और भी भयावह हो गई।
  3. स्टेडियम के गेट बंद होने से बढ़ी अफरा-तफरी: दोपहर लगभग 3:30 बजे जब भीड़ और ज्यादा बेकाबू हो गई, तो स्टेडियम के सभी गेट एहतियातन बंद कर दिए गए। इस निर्णय से स्थिति और बिगड़ गई, क्योंकि जिन लोगों के पास वैध पास थे, वे भी अंदर नहीं जा पाए। इससे लोगों का गुस्सा और बढ़ गया और उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। गेट नंबर 10 पर स्थिति सबसे ज्यादा खराब हुई, जहां पुलिस द्वारा भीड़ को पीछे धकेलने के प्रयास के दौरान कुछ महिलाएं और बच्चे नीचे गिर गए और कई महिलाएं बेहोश भी हो गईं।
  4. सुरक्षाकर्मियों की तैनाती पर विरोधाभासी सरकारी दावे: हालांकि, राज्य सरकार ने अब अदालत में 1380 पुलिसकर्मियों की तैनाती की बात कही है, लेकिन हादसे के तुरंत बाद सरकार की ओर से 5000 सुरक्षाकर्मी तैनात होने का दावा भी किया गया था। सरकार ने तब कहा था कि भीड़ बहुत ज्यादा थी, इसी कारण विक्ट्री परेड को भी रद्द करना पड़ा। वहीं, सूत्रों ने यह भी दावा किया था कि ड्यूटी पर तैनात इनमें से ज्यादातर पुलिसकर्मी पिछले 36 घंटों से लगातार काम कर रहे थे, जिसके कारण वे शारीरिक और मानसिक रूप से थके हुए थे, जो प्रभावी भीड़ प्रबंधन में एक बाधा बना।
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