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BCCI पर RTI लागू नहीं: नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल में संशोधन, जानें क्यों?

BCCI पर RTI लागू नहीं: नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल में संशोधन, जानें क्यों?
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नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल में संशोधन के बाद बीसीसीआई पर सूचना का अधिकार (RTI) लागू नहीं होगा. खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि अब केवल वही संगठन RTI के दायरे में आएंगे, जो सरकारी अनुदान लेते हैं.

बीसीसीआई पर RTI लागू नहीं होगा: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) अब भी सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के दायरे में नहीं आएगा. यह फैसला खेल मंत्रालय द्वारा पेश किए गए नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025 में किए गए एक महत्वपूर्ण संशोधन के बाद आया है. इस संशोधन के अनुसार, अब केवल उन्हीं खेल संगठनों को RTI के दायरे में लाया गया है, जो सीधे तौर पर सरकार से अनुदान या सहायता प्राप्त करते हैं.

बीसीसीआई खेल मंत्रालय से कोई भी सरकारी अनुदान नहीं लेता है, इसलिए इस संशोधन से यह साफ हो गया है कि वह RTI के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं माना जाएगा. हालांकि, विभिन्न संगठन और कोर्ट कई बार बीसीसीआई को RTI के दायरे में लाने की मांग करते रहे हैं, लेकिन अब इस बिल ने इन आशंकाओं पर विराम लगा दिया है.

BCCI पर RTI क्यों लागू नहीं होगा?

खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने 23 जुलाई को लोकसभा में नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025 पेश किया था. पिछले महीने पेश हुए बिल के क्लॉज 15(2) में कहा गया था कि किसी मान्यता प्राप्त खेल संगठन को अपने कार्यों के संबंध में RTI अधिनियम, 2005 के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकरण माना जाएगा. लेकिन अब इस प्रावधान में बदलाव किया गया है.

बदले गए प्रावधान में साफ तौर पर लिखा है कि सिर्फ वे संस्थाएं RTI के दायरे में आएंगी, जो सरकार से फंड या मदद लेती हैं. इसका मतलब यह हुआ कि सरकारी धन से नहीं चलने वाले बीसीसीआई पर अब RTI लागू नहीं होगा. हालांकि, मंत्रालय के एक सूत्र ने स्पष्ट किया है कि सरकारी मदद सिर्फ पैसे तक सीमित नहीं है. अगर किसी खेल संगठन को इवेंट कराने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर या कोई और सुविधा मिलती है, तो उसे भी RTI के तहत लाया जा सकता है, जिससे यह मामला फिर से चर्चा में आ सकता है.

RTI एक्ट क्या है?

RTI का पूरा नाम है "Right to Information Act" यानी "सूचना का अधिकार अधिनियम"। यह कानून भारत में 2005 में लागू हुआ था, जिससे आम नागरिकों को सरकार से जुड़ी जानकारी लेने का कानूनी अधिकार मिला।

RTI का विरोध क्यों करती है बक्सी?

सरकार पहले भी बीसीसीआई को RTI के दायरे में लाने का प्रयास कर चुकी है, लेकिन बीसीसीआई के लिए यह हमेशा से एक पेचीदा मामला रहा है. बीसीसीआई खुद को एक स्वतंत्र संस्था बताकर RTI लागू करने का लगातार विरोध करता रहा है, क्योंकि वह अन्य राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSF) के विपरीत सरकारी सहायता पर निर्भर नहीं है.

  • 2013: आईपीएल घोटालों के बाद सुप्रीम कोर्ट में BCCI की पारदर्शिता पर सवाल उठे थे, जिसके बाद उसे RTI एक्ट के तहत लाने की मांग ने जोर पकड़ा.
  • 2015-16: लोढ़ा समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा था कि बीसीसीआई एक पब्लिक संस्था है, इसलिए उस पर RTI लागू होना चाहिए.
  • 2017: चीफ इंफॉर्मेशन कमिश्नर (CIC) आर.के. माथुर ने आदेश दिया था कि बीसीसीआई एक पब्लिक संस्था है और उस पर RTI लागू होना चाहिए.
  • 2018-19: बीसीसीआई ने CIC के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और कहा कि वह कोई सरकारी संस्था नहीं है और उसे सरकारी फंडिंग नहीं मिलती, जिसके आधार पर उसने RTI लागू करने से इनकार कर दिया.

नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल 2025 क्या है?

खेल मंत्रालय द्वारा पेश किए गए इस बिल में खेलों के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान हैं:

  • नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड (NSB): एक नया बोर्ड बनेगा जो सभी खिलाड़ियों की जवाबदेही तय करेगा. इसके बिना कोई संस्था सरकार से फंड नहीं ले सकेगी. बीसीसीआई को भी एक NSF के रूप में रजिस्टर करना होगा, क्योंकि क्रिकेट 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में टी20 फॉर्मेट में शामिल होने जा रहा है.
  • नेशनल स्पोर्ट्स ट्रिब्यूनल: यह एक तरह की न्यायिक संस्था होगी, जिसके पास अदालत जैसी शक्तियां होंगी. खिलाड़ी और संगठनों से जुड़े विवाद यहां सुलझाए जाएंगे. ट्रिब्यूनल अपने किसी भी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में भी भेज सकेगा.
  • प्रशासकों की उम्र सीमा में छूट: अब 70 से 75 के बीच के लोग भी स्पोर्ट्स एसोसिएशन में पदाधिकारी बन सकते हैं. पहले यह सीमा 70 साल थी.
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