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गरीबों की मदद के लिए 65 हजार करोड़ की जरुरत, राहुल गांधी से बोलें रघुराम राजन

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:21 AM GMT
गरीबों की मदद के लिए 65 हजार करोड़ की जरुरत, राहुल गांधी से बोलें रघुराम राजन
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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर गुरुवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते पूरी की दुनिया की अर्थव्यवस्था चौपट होने लगी है। भारत की इकोनॉमी भी बेपटरी हो रही है। इसी बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर गुरुवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से चर्चा की। इस दौरान जाने माने अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने लॉकडाउन के बाद आर्थिक गतिविधियों को जल्द खोले जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण से निपटने के साथ ही लोगों के रोजगार की सुरक्षा भी करनी होगी। राहुल गांधी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पू्र्व गवर्नर से संवाद स्थापित किया था।

राहुल, राजन के बीच हुई ये चर्चा

राहुल गांधी के साथ हुई चर्चा के दौरान रघुराम राजन ने यह भी कहा कि लॉकडाउन ने देश के निम्न तबके की हालत खराब कर दी है। देश के गरीबों, मजदूरों और किसानों को वित्तीय मदद करनी होगी जिसमें 65 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था 200 लाख करोड़ से ज्यादा की है ऐसे में हम 65 हजार करोड़ का भार उठा सकते हैं।

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उन्होंने यह भी कहा कि इस मुश्किल समय में साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने में ही भलाई है। हम एक दूसरे से अलग रहकर इस मुश्किल स्थिति का सामना नहीं कर सकते हैं।

कोरोना की ज्यादा जांचें हों

चर्चा के दौरान कोरोना मरीजों की पहचान के लिए की जा रही जांचों की संख्या को कम बताते हुए रघुराम राजन ने कहा कि अमेरिका में जहां रोजाना लाखों लोगों की कोरोना जांच हो रही है वहीं भारत में यह आंकड़ा 20 से 30 हजार से बीच सीमित है। जितनी ज्यादा जांचें होंगी उतना जल्द ही देश कोरोना संक्रमण से मुक्त होने की ओर कदम आगे बढ़ाएगा। हमें बड़े पैमाने पर जांच करना होगी।

हमारी एक हो प्राथमिकता

राहुल गांधी से संवाद के दौरान रघुराम राजन ने कहा कि हमारे देश की क्षमताएं सीमित हैं। ऐसे में हमारी एक प्राथमिकता होना चाहिए। हमें यह तय करने की जरूरत है कि हम अर्थव्यवस्था को एक साथ कैसे रखें कि जब लॉकडाउन से बाहर निकलें तो हम वापस अपने आप चलने में सक्षम हों और उस वक्त हम कमजोर नहीं पड़े।
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