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मोदी के PM Cares Fund पर सवाल, कैसे अलग है नेहरू के PMNRF से

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:19 AM GMT
मोदी के PM Cares Fund पर सवाल, कैसे अलग है नेहरू के PMNRF से
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मोदी के PM Cares Fund पर सवाल, कैसे अलग है नेहरू के PMNRF से कोरोना वायरस के कारण आए देश में महामारी के महासंकट से निपटने के लिए केंद्र

मोदी के PM Cares Fund पर सवाल, कैसे अलग है नेहरू के PMNRF से

कोरोना वायरस के कारण आए देश में महामारी के महासंकट से निपटने के लिए केंद्र के मोदी सरकार ने Prime Minister's citizen assistance & relief in emergency situation (PM CARES) फंड का गठन किया है। केंद्र के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी गई है जिस पर सोमवार को सुनवाई होनी है। इसके पहले देश के पहले प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू ने 1948 में Prime Minister's national relief fund (PMNRF) का गठन किया था.

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याचिकाकर्ता समेत PM Cares Fund के अन्य आलोचकों की एक दलील यह है कि जब आपदा से निपटने के मकसद से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) पहले से है ही तो नया पीएम केयर्स फंड बनाने की जरूरत क्यों हुई? आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर पीएम केयर्स और पीएमएनआरएफ में क्या अंतर है...

PM CARES PMNRF
पीएम केयर्स का गठन 2020 में तब किया गया जब देश कोरोना महासंकट से जूझ रहा है। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जनवरी 1948 में संविधान लागू होने से पहले प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) का गठन किया था। तब जरूरत पाकिस्तान से विस्थापित लोगों की मदद करने की थी।
इसका गठन चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में किया गया है। प्रधानमंत्री इसके पदेन अध्यक्ष हैं। तब इसकी संचालन समिति के सदस्यों में एक कांग्रेस अध्यक्ष भी शामिल होते थे।
रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री ट्रस्ट के सदस्य। विज्ञान, स्वास्थ्य, कानून, सार्वजनिक कार्य जैसे क्षेत्रों की प्रसिद्ध हस्तियों को ट्रस्ट के सदस्य के रूप में नामित किया जा सकता है। 1985 में राजीव गांधी की सरकार ने इस फंड का पूर्ण नियंत्रण प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के हाथ में दे दिया।
पीएम केयर्स ट्रस्ट में जमा पैसा किस आपदा में कितना खर्च किया जाए, इसका फैसला मंत्रियों एवं नामित सदस्यों को सामूहिक तौर पर लेना होगा। 1985 से इस कोष का कितना पैसा, किस आपदा पर खर्च होगा, यह सिर्फ प्रधानमंत्री की सिफारिश पर तय होने लगा।
पीएम केयर्स में जो कोई भी जितना भी धन दान करेगा, वह पूरी की पूरी रकम टैक्स छूट के दायरे में आएगी। टैक्स छूट का यह नियम व्यक्ति, संस्था या कंपनी सब पर लागू होगा। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में दान की गई पूरी रकम टैक्स छूट के दायरे में आती है।
कंपनियों के लिए एक और अच्छी बात यह है कि वो पीएम केयर्स फंड में दान की गई रकम को कंपनीज ऐक्ट 2013 के तहत सीएसआर यानी कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी मद में हुआ खर्च बता सकती हैं। कंपनियां इस फंड में भी दान देकर रकम को सीएसआर खर्च के तौर पर दिखा सकती है।
पीएम केयर्स के खातों की ऑडिटिंग कौन करेगा, यह अब तक स्पष्ट नहीं है। PMNRF फंड के खातों की ऑडिटिंग भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ओर से नहीं होती है, कोई थर्ड पार्टी ही ऑडिट करती रही है।

पड़े हैं ₹38 अरब PMNRF में

दरअसल, पीएम केयर्स के आलोचकों का कहना है कि अभी पीएम राष्ट्रीय राहत कोष में 3,800.44 करोड़ रुपये पड़े हैं तो कोरोना संकट में इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हालांकि, खबर यह भी है कि इस फंड की सिर्फ 15% रकम ही नकदी के रूप में है, शेष धन एफडी के रूप में जमा है या फिर राज्य सरकारों को लोन के रूप में दिया गया है।

एक्सपर्ट की अलग-अलग राय

कुछ आलोचक पीएम केयर्स के मैनेजमेंट को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होने की बात भी कह रहे हैं। हालांकि, कुछ ऐसे भी एक्सपर्ट हैं जिनका मानना है कि पीएम केयर्स फंड पहले के पीएमएनआरएफ से कहीं ज्यादा पारदर्शी है क्योंकि नए ट्रस्ट का संचालन सिर्फ प्रधानमंत्री के हाथ में न रहकर कमिटी को सौंप दिया गया है।

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