राष्ट्रीय

जानिये ! आखिर क्यों टूटा जम्मू कश्मीर में भाजपा और पीडीपी का गठबंधन

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 5:54 AM GMT
जानिये ! आखिर क्यों टूटा जम्मू कश्मीर में भाजपा और पीडीपी का गठबंधन
x
Get Latest Hindi News, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, Today News in Hindi, Breaking News, Hindi News - Rewa Riyasat

जम्मू। जम्मू कश्मीर में भाजपा और पीडीपी की गठबंधन वाली सरकार गिर चुकी है। मंगलवार को दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है। भाजपा नेता राम माधव ने अन्य नेताओं के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए इसकी पुष्टि कर दी है। भाजपा ने राज्यपाल को भी समर्थन वापसी की चिट्ठी सौंप दी है। इसके बाद महबूबा मुफ्ती ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया हैं। उन्होंने शाम 4 बजे पीडीपी पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है।

वहीं पीडीपी नेता अभी कुछ भी कहने से बच रहे हैं। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि 4 बजे होने वाली पार्टी की बैठक में ही हम इस पर चर्चा करके 5 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताएंगे।

भाजपा के फैसले पर बोलते हुए राम माधव ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में कश्मीर में जो परिस्थिति बनी है जिसे लेकर बैठक हुई। सभी से इनपुट लेने के बाद प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व अन्य ने फैसला लिया है कि भाजपा के लिए जम्मू-कश्मीर में इस सरकार के साथ आगे चलना संभव नहीं होगी।

राम माधव ने आगे कहा कि राज्य में हम परिस्थिति को सुधारने के लिए साथ आए थे वो पूरा नहीं हो पाया है। कश्मीर में हालात चिंताजनक हो गए हैं। श्रीनगर में सरेआम पत्रकार की हत्या और राज्य के हालात चिंताजनक हैं। हमारे मंत्रियों के पास जो मंत्रालय थे उनमें वो विकास के काम करने की कोशिश करते रहे लेकिन 3 साल तक पीडीपी के साथ रहने के बाद हालात में सुधार नहीं हुआ। इसे देखते हुए इस गठबंधन को आगे चलाना सही नहीं होगा।

उन्होंने आगे कहा कि घाटी में आतंकवाद, रेडिकलिज्म बढ़ा है और आम लोगों के अधिकारो पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है। शुजात बुखारी की हत्या इसका उदाहरण है। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। देश की सुरक्षा और अखंडता को ध्यान में रखते हुए, राज्य में पैदा हालात पर नियंत्रण पाने के लिए राज्य की सत्ता राज्यपाल के हाथ में देना उचित रहेगा। अगर राज्य में राज्यपाल शासन जारी रहता है तो भी केंद्र सरकार के आतंक के खिलाफ ऑपरेशन जारी रहेंगे।

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र ने घाटी के लिए काफी कुछ किया। हमने संघर्ष विराम पर अंकुश लगाने का प्रयास किया लेकिन पीजीपी अपने वादे पूरे करने में कामयाब नहीं हो पाई। हमारे नेताओं को घाटी में विकास कार्य करने में पीडीपी की तरफ से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।

बता दें कि राज्य में पीडीपी की 28 सीटें हैं वहीं भाजपा के पास 25 सीटें हैं।

दरअसल, तेज विकास व पारदर्शी प्रशासन के लक्ष्य के साथ पीडीपी से गठजोड़ करने वाला भाजपा हाईकमान महबूबा सरकार के कश्मीर केंद्रित रवैये से नाराज चल रहा था। ऐसे हालात में कड़े तेवर दिखाते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं व मंत्रियों को अचानक दिल्ली तलब किया था। वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी मंगलवार सुबह अमित शाह के घर जाकर उनसे मुलाकात की थी।

इसके पहले कहा जा रहा था कि राज्य में सरकार के एकतरफा फैसलों का भाजपा के आधार क्षेत्र जम्मू में विपरीत प्रभाव हो रहा है। इन हालात में अमित शाह मंगलवार को दिल्ली में प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, मंत्रियों के साथ बैठक में राजनीतिक हालात, सरकार के कामकाज संबंधी मुद्दों पर चर्चा की।

सूत्रों के अनुसार, पीडीपी ने पहले पत्थरबाजों की रिहाई, कठुआ मामले, सरकारी भूमि से गुज्जर, बक्करवालों को न हटाने जैसे फैसले कर भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा की थीं। अब रमजान में संघर्षविराम व धार्मिक संगठन अहले हदीस को सरकारी भूमि देने के मामले में भी पीडीपी ने मनमर्जी की है।

भाजपा इतना सब होने के बाद भी सरकार को श्री बाबा अमरनाथ भूमि आंदोलन में हिस्सा लेने वाले युवाओं के खिलाफ मामले वापस लेने के लिए राजी नहीं कर पाई है। इससे भाजपा आधार क्षेत्र जम्मू में घिर रही है। प्रधानमंत्री पैकेज के इस्तेमाल के मामले में सरकार नाकाम रही है व संसदीय चुनाव में इस मुद्दे का तूल पकड़ना तय है।

प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने माना कि मौजूदा सरकार भाजपा हाईकमान की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाई है। जो लक्ष्य लेकर राष्ट्रीय पार्टी ने सरकार बनाई है, उन्हें हासिल करना अभी संभव नहीं हुआ है। इससे पार्टी की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है व इसे बड़ी गंभीरता से लिया जा रहा है।

Aaryan Dwivedi

Aaryan Dwivedi

    Next Story