मध्यप्रदेश

रीवा: राजनैतिक अखाड़ा बना TRS महाविद्यालय, प्राचार्य की कुर्सी के लिए जारी है तनातनी

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:06 AM GMT
रीवा: राजनैतिक अखाड़ा बना TRS महाविद्यालय, प्राचार्य की कुर्सी के लिए जारी है तनातनी
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रीवा. शासकीय ठाकुर रणमत सिंह कॉलेज इन दिनों राजनीतिक का अखाड़ा बन गया है। यह सब यहां प्राचार्य की कुर्सी के लिए हो रहा है। यहां पदस्थ दो प्रोफसरों के बीच प्राचार्य की कुर्सी के लिए खींचातानी मची हुई है। पिछले कुछ दिनों से स्थिति ज्यादा खराब हो गई, जब इन प्राध्यापकों पर कॉलेज में एक-दूसरे के खिलाफ प्रदर्शन कराने एवं शिकायत कराने के आरोप लगे।

कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य प्रो.एपी मिश्रा के 2015 में सेवानिवृत्त होने के बाद प्राचार्य की कुर्सी के लिए विवाद छिड़ा। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से एक आदेश जारी कर डॉ.एसयू खान को प्राचार्य बनाया गया। कुछ दिनों बाद उस आदेश को रद्द कर डॉ. रामलला शुक्ला को प्राचार्य बना दिया गया। अभी कुछ महीनों पहले 2018 में उच्च शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी कर डॉ.रामलला शुक्ला का टीआरएस से स्थानांतरण कर दिया और उनके स्थान पर एक बार फिर प्राचार्य की कमान डॉ. एसयू खान को सौंप दी गई।

कोर्ट पहुंचा मामला डॉ. रामलला शुक्ला ने स्थानांतरण को राजनीति से प्रेरित बताकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। वहां से उन्हें राहत मिली। उनका स्थानांतरण रद्द कर दिया गया। शुक्ला ने फिर टीआरएस कॉलेज में आमद दे दी। शुक्ला स्थानांतरण रद्द कराने में तो सफल हुए लेकिन प्राचार्य का प्रभार दोबारा अभी तक नहीं मिल पाया है। डॉ. एसयू खान प्राचार्य की कमान संभाल रहे हैं।

प्रदर्शन एवं शिकायत की बढ़ी गतिविधियां इस दौरान कॉलेज में प्रदर्शन एवं वरिष्ठ अधिकारियों के पास शिकायत कुछ ज्यादा हो रही हैं। कॉलेज में हो रहे प्रदर्शन एवं अधिकारियों के पास हो रही शिकायत को एक-दूसरे से जोड़कर देखा जा रहा है। कॉलेज में प्रदर्शन होते हैं तो प्राचार्य डॉ. एसयू खान इसे प्रो. शुक्ला से प्रेरित बताते हैं वहीं शुक्ला की शिकायत होती है तो उसे खान से प्रेरित बताया जाता है। इस प्रकार प्राचार्य की कुर्सी के लिए विवाद का खामियाजा छात्र-छात्राओं को भी भुगतना पड़ रहा है।

पढ़ाई हो रही प्रभावित प्राचार्य की इस कुर्सी के विवाद में कॉलेज की शैक्षणिक क्रियाविधि एवं पढ़ाई प्रभावित हो रही है। नियमित कक्षाएं नहीं लग पा रही है। पानी एवं बिजली की समुचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है। प्राध्यापक एवं अतिथि विद्वान भी मनमानी कर रहे हैं। पिछले दिनों प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने ऐसा ही आरोप लगाया था।

जिन मामलों की शिकायत हुई है उनकी जांच पहले ही लोकायुक्त कर चुका है। हम यही कहेंगे की शैक्षणिक संस्थाओं को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। कॉलेज में शैक्षणिक माहौल खराब न हो’। -डॉ. सतेन्द्र शर्मा, एडी रीवा

हम प्राध्यापक हैं और सेवानिवृत्त के कगार पर आ गए हैं। हम शैक्षणिक व्यवस्था खराब करने के लिए अपने छात्रों का उपयोग कभी नहीं कर सकते। इस प्रकार का आरोप निराधार है’। -डॉ. रामलला शुक्ला, पूर्व प्राचार्य टीआरएस

Aaryan Dwivedi

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