मध्यप्रदेश

रीवा की देविका का अखिल भारतीय अभियांत्रिकी सेवा की परीक्षा में हुआ चयन, कलेक्टर बनने का लक्ष्य, परिजनों को दिया दीवाली गिफ्ट..

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:10 AM GMT
रीवा की देविका का अखिल भारतीय अभियांत्रिकी सेवा की परीक्षा में हुआ चयन, कलेक्टर बनने का लक्ष्य, परिजनों को दिया दीवाली गिफ्ट..
x
Get Latest Hindi News, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, Today News in Hindi, Breaking News, Hindi News - Rewa Riyasat

रीवा. जिले के सत्यदीप शर्मा व देविका गर्ग ने धनतेरस पर अखिल भारतीय अभियांत्रिकी सेवा की परीक्षा में चयनित होकर परिजनों को तोहफा दिया है। किसान के बेटे सत्यदीप ने दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की तो दवा कंपनी में एमआर की बिटिया देविका गर्ग ने पहली बार में ही मुकाम हासिल किया है। दीपावली के पहले आइइएस की परीक्षा में चयनित होकर परिजनों की खुशियां बढ़ा दी है। वर्तमान में देविका मुंबई के न्यूक्लियर पॉवर कारपोरेशन में काम करती हैं। सत्यदीप शर्मा अजमेर में रेलवे सहायक अभियंता के रूप में पदस्थ हंै। दोनों ने नौकरी पर रहते हुए तैयारी की है। इस दौरान दोनों ने कहा कि असफला से डरंे नहीं बल्कि आत्मविश्वास मजूबत कर कठिन मेहनत करेंगे तो सफलता मिलना तय है।

असफलता से सीख लें मऊगंज तहसील अंतर्गत अटरा खुर्द निवासी सत्यदीप शर्मा के पिता राजमणि किसान हैं। मां कल्याण वती आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है। बेटे ने माध्यमिक तक की शिक्षा शासकीय शाला धौरा में ली। इसके बाद रीवा के रतहरा में मामा प्रोफेसर विद्युत शर्मा के यहां रहते हुए मार्तंड क्रमांक एक में 12वीं की परीक्षा पास की। इसके बाद रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज से बीई की परीक्षा पास की। उन्होंनेे गत वर्ष आइइएस की परीक्षा दी पर मुख्य परीक्षा में अनुतीर्ण हो गए। इस असफलता के बाद भी वे पीछे नहीं हटे। बल्कि तैयारी कर परीक्षा पास की। उन्होंने 79वीं रैंक की है। इसके पहले फरवरी माह में ही उन्हें रेलवे की नौकरी मिली है।

कलेक्टर बनाने लक्ष्य, इंजीनियरिंग से भी लगाव अखिल भारतीय इंजीनियरिंग की परीक्षा पास कर चुकीं देविका गर्ग बचपन से ही कलेक्टर बनना चाहती हैं। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रयास में लगी हैं। लेकिन, उनका इंजीनियरिंग से काफी लगाव है। यही कारण था कि इंजीनियरिंग की उच्च परीक्षा पास कर अपने को साबित किया। रीवा के इंदिरा नगर में रहने वाली देविका के पिता अभय गर्ग दवा कंपनी में एमआर हंै। मां कल्पना गर्ग गृहिणी हैं। बचपन से ही पिता ने बड़ी बेटी को बेटे की तरह पाला। बेटी का आत्मविश्वास देखकर उन्होंने उसकी पसंद अनुसार बिना भेदभाव किया बिना हौसला बढ़ाया। इस दौरान आर्थिक संकट आया है लेकिन होनहार बिटिया की मेहनत के आगे बौनी साबित हुई। १२वीं में गणिव विषय में टॉप करने के बाद इंदौर से इंजीनियङ्क्षरग की पढ़ाई के दौरान गोल्ड मेडलिस्ट रही। एक साल तक उन्होंने दिल्ली में रहकर कोचिंग की। इस सफलता के पीछे उन्होंने माता-पिता को श्रेय दिया है।

स्नाताक तक में हो जाती है तैयारी आइइएस की परीक्षा उत्र्तीण कर चुके छात्रों ने बताया कि स्नातक की पढ़ाई में सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हो जाती है। इसलिए इस दौरान लगन से की गई पढ़ाई से हर परीक्षा उत्तीर्ण की जा सकती है। कोचिंग के माध्यम से सिर्फ छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा को एक माहौल व दक्षता परखने का जरिया मिल जाता है।

Aaryan Dwivedi

Aaryan Dwivedi

    Next Story