मध्यप्रदेश

बड़ी खबर : मध्यप्रदेश में खतरे में कांग्रेस सरकार, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने एक हफ्ते के अंदर विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की...तो क्या गिर जाएगी कांग्रेस सरकार ?

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:07 AM GMT
बड़ी खबर : मध्यप्रदेश में खतरे में कांग्रेस सरकार, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने एक हफ्ते के अंदर विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की...तो क्या गिर जाएगी कांग्रेस सरकार ?
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भोपाल। विधानसभा चुनावों के बाद से ही कांग्रेस के शासन को लेकर अजब स्थिति बनी हुई है। ऐसे में एक बार फिर मप्र की कांग्रेस सरकार पर खतरा मंडराना शुरू हो गया है।

पूर्ण बहूमत से दूर रहने के बावजूद निर्दलियों के समर्थन से भले ही कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में सरकार बना ली हो। लेकिन हर बार भाजपा की ओर से इसे लंगड़ी सरकार की संज्ञा देने के साथ ही गिरा देने की बात भी कही जाती रही है। वहीं एग्जिट पोल के सामने आते ही जहां भाजपा ने कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि अब भाजपा मध्यप्रदेश में सरकार बदलने की कोशिश में जुट गई है।

ऐसे में अब जानकारों का भी मानना है कि यदि केंद्र में पुन: भाजपा काबिज होती है, तो एक बार फिर मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

पूर्व में भी राजनीति के जानकार डीके शर्मा ने कहा था कि यदि भाजपा केंद्र में पुन: आती है तो जुलाई तक मध्यप्रदेश में पुन: काबिज होने की कोशिश कर सकती है।

वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि मप्र में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है, ऐसे में यहां की सरकार को गिराना आसान नहीं होगा। भले ही भाजपा केंद्र में आ जाए लेकिन मध्यप्रदेश में तमाम कोशिशों के बवाजूद वह सरकार नहीं गिरा पाएगी। वहीं सूत्रों की मानें तो भाजपा के संपर्क में अभी भी कई विधायक हैं। जो जरूरत पड़ने पर भाजपा को समर्थन दे सकते हैं।

इन सभी बातों के बीच अब एग्जिट पोल से उत्साह में आई बीजेपी के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कमलनाथ सरकार से विधानसभा में बहुमत साबित करने की मांग कर दी है।

यहां भार्गव ने यह भी चेतावनी दी कि यदि सरकार सत्र नहीं बुलाती है तो विपक्ष राज्यपाल को पत्र लिखकर सत्र की मांग करेगा। भार्गव के इस बयान के बाद प्रदेश की सियासत में हलचल तेज हो गई है, इससे पहले भी भार्गव, विजयवर्गीय समेत कई बीजेपी नेता लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में सरकार गिरने के दावे करते रहे हैं।

दरअसल लोकसभा चुनाव 2019 के परिणामों से पहले आये एग्जिट पोल के नतीजों के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में भी हलचल मच गई है।

अब जब एजेंसियों के आंकलन में आंकड़े भाजपा के पक्ष में बताये जा रहे हैं और कांग्रेस के दावे के उलट परिणाम की संभावना जताई जा रही है। भाजपा की मध्यप्रदेश में इस मांग ने कांग्रेस के लिए परेशानी बढ़ा दी है। हालांकि कांग्रेस नेताओं ने एग्जिट पोल को ख़ारिज किया है।

ये है मामला... लोकसभा चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया पूरी होते ही मप्र की कमलनाथ सरकार पर भाजपा ने हमला बोल दिया है। इसी के तहत नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने आज राजधानी भोपाल में कहा कि प्रदेश में लंगड़ी सरकार है।

सरकार को जल्द सत्र बुलाकर विधानसभा में बहुमत साबित करना चाहिए। भार्गव ने चेतावनी दी कि यदि सरकार सत्र नहीं बुलाती है तो विपक्ष राज्यपाल को पत्र लिखकर सत्र की मांग करेगा।

एक हफ्ते के अंदर विधानसभा सत्र बुलाने की मांग... यहां भार्गव ने एक हफ्ते के अंदर विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की है। उन्होंने कहा कांग्रेस सरकार विधानसभा सत्र लगातार टालने की कोशिश कर रही है। विधानसभा सत्र में विधायको की संख्या का भी पता चल जाएगा।

सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह का पलटवार

वहीं कमलनाथ सरकार में सहकारिता मंत्री डॉ गोविंद सिंह ने पलटवार करते हुए कहा है कि वो पत्र लिखते या नही तब भी हम सत्र बुलाते ही।हम जल्द ही प्रदेश में विधानसभा सत्र बुलाने वाले है। विधानसभा में बहुमत भी सिद्ध करेंगे।

सरकर का काम चलना है, लोगो का वेतन देना है, विकास करना है।गोपाल भार्गव के कहने से सरकार नही चलती है। सरकार नियम कानून से चलती है । जिस दिन ये सत्ता में आ जाएंगे उस दिन मान लेंगे नेता है भार्गव। अगर बहुमत साबित करना होता तो बीजेपी पहले ही कर लेती। राज्यपाल ने सबकों मौका दिया था।

मप्र में सरकार पर ये बोले विजयवर्गीय... इसके अलावा वहीं दूसरी ओर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के लोकसभा चुनाव को लेकर किए गए उनके दावे पर पलटवार किया है।

मीडिया के सवाल पर विजयवर्गीय ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद वे 20 से 22 दिन मुख्यमंत्री रहेंगे या नहीं, इस पर ही प्रश्न चिन्ह है।

दरअसल सीएम कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में 20 से 22 सीटें जीतने का दावा किया था जिसके बाद एक्जिट पोल के नतीजों के सामने आने पर कैलाश विजयवर्गीय ने उनपर पलटवार किया है।

जबकि कैलाश विजयवर्गी के इस बयान पर कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा है कि कमलनाथ तो पूरे पांच साल मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहेंगे। विजयवर्गीय अपनी चिंता जरूर करें, क्योंकि आगामी 23 मई के परिणाम के बाद उनका पश्चिम बंगाल के प्रभारी का पद जरूर खतरे में आ जाएगा।

ज्यादा दिन चलने वाली नहीं ये सरकार ! गोपाल भार्गव ने कहा कि ज्यादा दिन प्रदेश में ये सरकार चलने वाली नहीं है, प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है। कांग्रेस के विधायकों की संख्या कम होने का दावा करते हुए कहा विधानसभा के बाद लूली लंगड़ी सरकार बनाना उचित नहीं। अब वक्त आ गया कि हम सरकार से बहुमत सिद्ध करवाए, सरकार को ये प्रमाणित करना होगा कि प्रदेश में उन्होंने क्या किया।

गिर जाएगी कमलनाथ सरकार ! बता दें कि कमलनाथ सरकार के गठन से ही भाजपा निशाना साधती रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा ने प्रचारित किया कि लोकसभा चुनाव बाद कमलनाथ सरकार गिर जाएगी।

जिस तरह से आज नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि कमलनाथ सरकार को बहुमत साबित करना चाहिए, उससे लगता है कि यह विपक्ष की रणनीति है। विपक्ष अब प्रदेश में सरकार बनाने की कोशिश में जुट गया है।

उल्लेखनीय है कि मप्र विधानसभा में भाजपा के पास 109 विधायक हैं। जबकि कांग्रेस के पास 113 विधायक हैं, जो बहुमत के आंकड़े 116 से दो संख्या कम है।

कमलनाथ सरकार को फिलहाल बसपा के 2, सपा के 1 एवं निर्दलीय 4 विधायकों का समर्थन मिला हुआ है। कांग्रेस के एक विधायक दीपक सक्सेना इस्तीफा दे चुके हैं, जहां से कमलनाथ विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

इधर, एग्जिट पोल से कांग्रेस में हलचल... वहीं दूसरी ओर एग्जिट पोल के नतीजों ने जहां कांग्रेस को झटका दे दिया है वहीं भाजपा को राहत दी है। हालांकि कांग्रेस एग्जिट पोल के नतीजों को नकार अब भी जीत का दावा कर रही है। इसके लिए कांग्रेस ने 23 मई की तैयारियां शुरु कर दी है।

दरअसल, एग्जिट पोल के नतीजों के बाद कांग्रेस में हलचल मच गई है। इसी के चलते पार्टी ने अभी से 23 मई को होने वाली मतगणना को लेकर रणनीति बनाना शुरु कर दिया है।

इसके चलते पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ और प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव दीपक बाबरिया ने बुधवार को बैठक बुलाई है। बैठक में सभी को मतगणना से संबंधित जानकारी दी जाएगी।

खास करके उन प्रत्याशियों को जो पहली बार चुनाव लड़े है या जिनका राजनीति का कोई अनुभव नहीं है।

कांग्रेस ने इस बार कई बार ऐसे नए चेहरे लोकसभा चुनाव में उतारे हैं, जिन्हें चुनाव लड़ने का अनुभव नहीं है।

इनमें देवास के प्रहलाद टिपानिया, खरगोन के डॉ. गोविंद मुजाल्दा, धार के दिनेश गिरवाल, भिंड के देवाशीष जरारिया, टीकमगढ़ की किरण अहिरवार, रीवा के सिद्धार्थ तिवारी, छिंदवाड़ा के नकुलनाथ और बैतूल के रामू टेकाम शामिल हैं।

सूत्रों के अनुसार एक्जिट पोल के बाद कांग्रेस सतर्क हो गई है, उसे डर है कि कही बीजेपी ईवीएम या फिर वोटों की गिनती में गड़बड़ी ना कर दे, इसलिए अभी से प्लानिंग शुरु कर दी है।

ये कहता है एग्जिट पोल सभी एग्जिट पोल भाजपा के लिए 22 से 27 और कांग्रेस के लिए दो से सात सीटें मिलने की संभावनाएं जता रहे हैं। सभी पोल में भाजपा क्‍लीन स्‍वीप करती नजर आ रही है। एग्जिट पोल की इन बातों ने कांग्रेस के नेताओं को सकते में ला दिया है।

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