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बड़ी खबर : कांग्रेस में आपसी फूट, दिग्विजय के बाद सिंधिया को किया जा रहा साइडलाइन, चुनाव पर पड़ेगा भारी असर
भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनाव से पहले राजनीति के कई रंग देखने को मिल रहे हैं। बीजेपी और कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के दल बदलने का दौर चल रहा है। इस बीच, ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अलग मूड में नजर आए। वे प्रेस कांफ्रेस में तो आए, लेकिन किसी सवाल का जवाब नहीं दिया और चले गए।
कमलनाथ की प्रेस कांफ्रेस में शनिवार को एक खास बात नजर आई। जब कमलनाथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के रिश्तेदार संजय शर्मा को पार्टी की सदस्यता दिलाकर मीडिया के सामने पेश कर रहे थे। तभी सदस्यता लेने के बाद संजय शर्मा के वक्तव्य से सिंधिया के चेहरे की हवाइयां उड़ गईं। संजय शर्मा ने जैसी ही कहा कि मध्यप्रदेश में राज नहीं नाथ की जरूरत है। इस बयान के बाद राजनीतिक जानकार कई मायने निकालने में जुड गए। इस बयान के बाद सिंधिया का चेहरा भी मुरझा गया था। गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी दोनों ही दिग्गजों के दम पर कांग्रेस मध्यप्रदेश में सत्ता हासिल करने की कोशिश कर रही है। एक धड़ा चाहता है कि सिंधिया मुख्यमंत्री बने, तो दूसरा धड़ा चाहता है कि कमलनाथ मुख्यमंत्री बनना चाहिए।
क्या है इसके मायने राजनीतिक पंडितों की माने तो मध्यप्रदेश में एक धड़ा कमलनाथ को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहता है तो दूसरा धड़ा सिंधिया को चाहता है। ऐसे में दोनों ही दिग्गज कहीं न कहीं मानकर चल रहे हैं कि यदि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आती है तो वे ही मुख्यमंत्री बनेंगे। इसलिए संजय सिंह मसानी के 'प्रदेश में राज की नहीं नाथ की जरूरत है' बयान को काफी अहम माना जा रहा है। इस बयान से सिंधिया या उनके समर्थक अंदर ही अंदर निश्चित ही नाराज हैं।
दिल्ली की घटना के बाद चुप हैं सिंधिया इधर, आज की प्रेस कांफ्रेस में सिर्फ कमलनाथ का वक्तव्य देना और सिंधिया को बोलने का मौका नहीं देना भी दिल्ली वाली घटना से जोड़कर देखा जा रहा है।
क्या थी दिल्ली वाली घटना पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस अपनी अपनी पहली लिस्ट फाइनल कर चुकी है। इसमें दिग्गज नेता अपने-अपने समर्थकों के नाम जुड़वाने का प्रयास कर रहे है। पिछले दिनों टिकट बंटवारे को लेकर दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया में जमकर बहस हो गई थी। काफी देर तक हुई नोकझोंक के बाद राजनीति गर्मा गई थी।
राहुल के सामने हुआ था वाकया मध्यप्रदेश के दोनों दिग्गज नेताओं के बीच हुई तकरार कैमरे में भी कैद हो गई थी। इस घटना को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी देख रहे थे। राहुल के चेहरे पर गुस्सा साफ देखा जा रहा था। दिग्विजय सिंह अपने कुछ विधायकों के नाम जुड़वाना चाहते थे। यह मामला भिंड की जौरा सीट को लेकर बताया जाता है। दिग्विजय सिंह वहां से किसी अपने समर्थक को टिकट दिलाना चाहते थे, जबकि सिंधिया नहीं चाहते थे।
तो बनी थी जांच कमेटी दोनों नेताओं की बहस के बाद इस मामले को सुलझाने के लिए एक कमेटी भी बना दी गई थी। कमेटी दो दिनों तक मामला सुलझाने की कोशिश करती रही। हालांकि दिग्विजय सिंह और सिंधिया दोनों ही किसी विवाद को नकारते रहे।
दिग्विजय के बाद सिंधिया भी साइडलाइन सूत्रों के मुताबिक दिग्विजय और सिंधिया दोनों को ही शांत रहने के लिए नसीहत दी गई है। दिग्विजय सिंह पहले से ही पार्टी से किनारे चल रहे हैं, ऐसे में अब सिंधिया को भी साइडलाइन किया गया है।