मध्यप्रदेश

एमपी में यहां मौजूद है विश्व की सबसे बड़ी हाथ से लिखी 'रामचरित मानस', जानिए

Ramcharitmanas
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दुनिया की सबसे बड़ी रामचरित मानस को एमपी के लेखक ने लकड़ी के कवर से किया है तैयार

world's largest hand written Ramcharitmanas: सोच और जज्बे से सब कुछ सम्भव हो सकता है और ऐसा ही जज्बा लेकर एमपी के लेखक डॉक्टर अरूण खोबरे ने अद्भुत रामचरित मानस गंथ्र को हाथ से लिखकर तैयार किए है। यह रामचरितमानस गंथ्र दुनिया का सबसे बड़ा है। जिसको उन्होने हनुमंत लाल की प्रेरणा से तैयार किए है। उनका कहना है कि सपने में हनुमंत लाल आए और इसे लिखने के लिए प्रेरित किए। हनुमंत लाल की कृपा से ही वे इस ग्रंथ को लिखकर पूरा करने में सफल हुए है।

महर्षि वाल्मीकि ने लिखा थी रामायण

महर्षि वाल्मीकि ने रामायण काल में ही रामायण लिखी, क्योंकि उन्होंने भगवान राम के जीवन को देखा था। सबसे प्रचलित तुलसीदासकृत रामचरितमानस है। गोस्वामी तुलसीदास 15वीं शताब्दी के कवि हैं। उनकी लिखी रामचरितमानस जन-जन में बसी है। अब इसी रामचरितमानस को भोपाल के प्रोफेसर डॉ. अरुण खोबरे ने हाथ से लिखा है। शहर के चार इमली इलाके के हनुमान मंदिर में ये रामचरितमानस साल 2008 से रखी हुई है। मंदिर के पंडित और व्यवस्थापक रमाशंकर थापक का दावा है कि यह विश्व की सबसे बड़ी हाथ से लिखी रामचरितमानस है।

सात कांडों में रामचरित मानस

गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा लिखी गई रामचरित मानस पाठ सात कांडो में लिखी गई हैं। जिसमें बालकाण्ड, आयोघ्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किंधाकण्ड, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड और उत्तरकाण्ड है।

रामचरित मानसपाठ में राम शव्द 1443 बार तो सीता शब्द 147 बार, जबकि इसमें 27 श्लोक और 1446 चौपाईयां है। 1074 दोहे तथा 207 सोरठा एवं 86 छंद है।

149 दिनों में लिखी रामायण

प्रोफेसर अरूण खोबरे ने बताया कि उन्होने हाथ से इस रामायण को 149 दिनों में लिख कर तैयार किए है। 11 मार्च 2008 को इस गंथ्र को लिखना शुरू किए थें और 8 अगस्त को तुलसीदास जंयती के अवसर पर यह पूरी हुई थी। इसको लिखने के लिए वे 7 से 8 घंटे तक लिखते थें।

170 किलो है वजन

हाथ से लिखी इस रामचरित मानस पाठ का वजन 170 किलो है। 6333 पन्ने है। जीआई तार से इसकी वांडिग की गई है। जिसमें लाल स्याही से श्री खोबरे ने इसमें लिखे है। जिस मार्कर से उन्होने इसे लिखा है वह मुबंई से मंगाया था।

डोली में ले गए थें मंदिर

रामचरित मानस के इस गंथ्र को बालाजी मेहदीपुर के मंदिर में रखा गया है। वह कॉच और लकड़ी के बने बाक्स में रखा गया है। गोखरे ने बताया कि अपने अरोरा कॉलोनी स्थित घर से बालाजी मेहदीपुर तक डोली में लेकर गए थे।

लिम्का बुक के लिए भेजा नाम

इस रामचारित मानस को हाथ से लिखने वाले डॉक्टर अरूण खोबरे माखनलाल विश्वविद्यायल में प्रोफेसर है। उनका कहना है कि उनका यह ग्रथ्र ओमाईगाड में दर्ज है। जबकि लिम्का बुक के लिए नाम भेजा जा रहा है।

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