मध्यप्रदेश

सावधान! वॉट्सएप-इंस्टाग्राम पर चाइल्ड पोर्न देखना या शेयर करना पड़ेगा भारी, साइबर पुलिस बना रही संदिग्धों की सूची, POCSO एक्ट में होगी कार्रवाई

सावधान! वॉट्सएप-इंस्टाग्राम पर चाइल्ड पोर्न देखना या शेयर करना पड़ेगा भारी, साइबर पुलिस बना रही संदिग्धों की सूची, POCSO एक्ट में होगी कार्रवाई
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यदि आप वॉट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक या टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं, तो यह खबर आपके लिए एक बड़ी चेतावनी है। इन प्लेटफॉर्म्स पर चाइल्ड पोर्नोग्राफिक कंटेंट (बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री) को देखना, डाउनलोड करना या शेयर करना आपको गंभीर कानूनी मुसीबत में डाल सकता है। मध्य प्रदेश की साइबर पुलिस गूगल एल्गोरिदम की मदद से ऐसे लोगों की एक विस्तृत 'संदिग्ध सूची' तैयार कर रही है और उन पर पॉक्सो एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

भोपाल. वॉट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक, टेलीग्राम जैसे लोकप्रिय सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर बच्चों से जुड़े अश्लील कंटेंट (चाइल्ड पोर्नोग्राफी) को देखने, डाउनलोड करने, सहेजने (सेव करने), शेयर या फॉरवर्ड करने वालों के खिलाफ अब साइबर पुलिस ने अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। यह एक गंभीर अपराध है और ऐसा करना आपको बड़ी मुसीबत में डाल सकता है, जिसके परिणामस्वरूप आपको जेल भी जाना पड़ सकता है। मध्य प्रदेश की साइबर पुलिस इस तरह की अवैध और घृणित गतिविधियों पर लगातार कड़ी नजर रख रही है और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की पूरी तैयारी कर चुकी है।

साइबर पुलिस की निगरानी और 'स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप' का गठन

बच्चों से जुड़े अश्लील कंटेंट को इंटरनेट और सोशल मीडिया पर प्रसारित करने वालों पर नकेल कसने के लिए साइबर पुलिस अब अत्याधुनिक तकनीक का प्रभावी ढंग से सहारा ले रही है। गूगल के विशेष और उन्नत एल्गोरिदम की मदद से ऐसे लोगों और डिवाइसों की पहचान की जा रही है जो इस तरह के अवैध कंटेंट को इंटरनेट पर खोजते हैं, देखते हैं या किसी भी माध्यम से साझा करते हैं।

विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, पुलिस द्वारा ऐसे लोगों की एक विस्तृत 'संदिग्ध सूची' तैयार की जा रही है, जो अपने मोबाइल फोन या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में चाइल्ड पोर्न कंटेंट को शेयर करते हैं या सेव करके रखते हैं। इस गंभीर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए, मध्य प्रदेश साइबर पुलिस ने 6 सदस्यों का एक 'स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप' (Special Operation Group) भी तैयार किया है। यह विशेष टीम मुख्य रूप से स्मार्टफोन के जरिए चाइल्ड पोर्न कंटेंट शेयर करने वाले मामलों की गहनता से जांच करेगी और दोषियों को कानून के कठघरे में खड़ा करेगी। यह पहल केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए एक राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा है, और नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) भी सीधे तौर पर ऐसे मामलों पर अपनी नजर बनाए हुए है और संदिग्धों की सूची समय-समय पर प्रदेश की साइबर सेल को भी अग्रिम कार्रवाई के लिए भेज रहा है।

पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत होगी कड़ी कार्रवाई

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इस मामले में स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े मामलों में पकड़े जाने वाले लोगों के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (Protection of Children from Sexual Offences - POCSO) अधिनियम के तहत बिना किसी नरमी के कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

पॉक्सो एक्ट के तहत ये कृत्य गंभीर यौन अपराध की श्रेणी में आते हैं

  • बच्चों की अश्लील तस्वीरें या वीडियो बनाना, देखना, उन्हें किसी भी माध्यम से भेजना या अपने फोन, कंप्यूटर, या किसी भी अन्य डिजिटल डिवाइस में स्टोर करना।
  • किसी बच्चे को जानबूझकर पोर्नोग्राफी दिखाना, या कोई भी ऐसी सामग्री दिखाना जो एक बच्चे की सोच, मानसिकता और नैतिक विकास को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है।
  • बच्चों के प्रति किसी भी प्रकार के गंदे या अश्लील इशारे करना, उनसे अश्लील बातें बोलना, उनका पीछा करना (स्टॉकिंग) या उन्हें गलत नजर से देखना।

इंटरपोल की रिपोर्ट और 300 से अधिक संदिग्ध ग्रुप्स

भारत में यह समस्या कितनी गंभीर और भयावह है, इसका अंदाजा इंटरपोल द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट से लगाया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017 से 2020 के बीच ही भारत में ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न (Online Child Sexual Abuse and Exploitation - OCSEA) के 24 लाख से भी अधिक मामले सामने आए थे। इनमें से शिकार बनाए गए बच्चों में 80 प्रतिशत 14 साल से कम उम्र की मासूम बच्चियां थीं। भारतीय जांच एजेंसियों ने देश भर में इस तरह के अवैध और घृणित कंटेंट को प्रसारित करने वाले 300 से भी अधिक संदिग्ध ग्रुपों (वॉट्सएप, टेलीग्राम आदि पर) की भी पहचान की है, जिन पर लगातार कड़ी नजर रखी जा रही है और उनके सदस्यों की पहचान की जा रही है।

साइबर सेल की चेतावनी: 'जागरूकता की कमी है, ऐसे कंटेंट से तत्काल बचें'

इस पूरे मामले पर मध्य प्रदेश साइबर सेल के डीआरजी, युसुफ कुरैशी ने एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा, "चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराध को रोकने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अत्यंत तेजी से और समन्वित रूप से काम किया जा रहा है। हमारी जांच में यह भी तथ्य सामने आया है कि आम लोगों में अभी भी इस गंभीर अपराध और इसके कड़े कानूनी परिणामों को लेकर जागरूकता की बहुत कमी है। कई लोग अनजाने में, मजाक में या केवल जिज्ञासावश ऐसे कंटेंट को एक-दूसरे को फॉरवर्ड कर देते हैं, जो कि पॉक्सो एक्ट के तहत एक अत्यंत गंभीर और गैर-जमानती अपराध है।"

उन्होंने आगे कहा, "हमारी सभी नागरिकों से यह अपील है कि वे इस प्रकार के किसी भी कंटेंट को अपने फोन या किसी भी अन्य डिवाइस में बिल्कुल न रखें, न उसे देखें और न ही किसी भी परिस्थिति में किसी को भेजें। यदि आपको कहीं से ऐसा कंटेंट प्राप्त होता है, तो उसे तुरंत डिलीट कर दें और भेजने वाले की सूचना पुलिस या नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर दें।"

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