मध्यप्रदेश

एमपी का एक ऐसा गांव जहां छह माह पहले ही दशहरा मनाने की चली आ रही परम्परा, रावण के मूर्ति की काटी जाती है नाक

Sanjay Patel
1 April 2023 10:27 AM GMT
एमपी का एक ऐसा गांव जहां छह माह पहले ही दशहरा मनाने की चली आ रही परम्परा, रावण के मूर्ति की काटी जाती है नाक
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MP News: मध्यप्रदेश में एक ऐसा भी गांव है जहां छह माह पूर्व ही दशहरा मनाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इस गांव में शारदीय नवरात्रि की बजाय गर्मियों में पड़ने वाली चैत्र नवरात्रि में ही रावण का अंत कर दिया जाता है।

मध्यप्रदेश में एक ऐसा भी गांव है जहां छह माह पूर्व ही दशहरा मनाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इस गांव में शारदीय नवरात्रि की बजाय गर्मियों में पड़ने वाली चैत्र नवरात्रि में ही रावण का अंत कर दिया जाता है। यहां राम और रावण की सेना के बीच वाक युद्ध होने के बाद रावण के मूर्ति की नाक काटकर उसका प्रतीकात्मक अंत करने की परंपरा है।

चैत्र नवरात्रि के दसवें दिन होता है आयोजन

मध्यप्रदेश के रतलाम जिला अंतर्गत चिकलाना एक ऐसा गांव है जहां रावण का अंत छह महीने पूर्व दशहरा मनाकर किया जाता है। चैत्र नवरात्रि में ही इसे मनाने की परंपरा वर्षों से अनवरत चली आ रही है। चिकलाना गांव में चैत्र नवरात्रि के दसवें दिन भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है। इसके पूर्व गांव में भव्य चल समारोह निकलता है। जिसके बाद राम और रावण की सेना कार्यक्रम स्थल पर पहुंचती है। यहां पर दोनों सेनाओं के बीच पहले वाक युद्ध किया जाता है। इसके बाद रावण का अंत करने की परम्परा है। एमपी के चिकलाना गांव में शारदीय नवरात्रि के अवसर पर पड़ने वाले दशहरे के अवसर पर रावण दहन नहीं किया जाता है। लोग यहां शारदीय नवरात्रि के छह माह पूर्व ही दशहरा मनाते चले आ रहे हैं।

भाले से काटी जाती है रावण की नाक

चैत्र नवरात्रि के दसवें दिन चिकलाना गांव में पहले भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है। इसके बाद राम और रावण की सेना के बीच जमकर वाक युद्ध होता है। इस नजारे को देखने के लिए आसपास सहित दूरदराज गांवों से भी लोग यहां पहुंचते हैं। दशहरा मैदान में होने दशमी के दिन होने वाले इस कार्यक्रम में लोगांे की अच्छी खासी भीड़ रहती है। लोगों में इस उत्सव को मनाने के लिए खासा उत्साह भी नजर आता है। बताया गया है कि कार्यक्रम के पूर्व प्रभु श्रीराम का जुलूस निकाला जाता है जिसमें राम भक्त झूमते-गाते नजर आते हैं। इस अवसर पर गांव में दो दिवसीय मेला लगता है। दशमी के दिन भव्य समारोह आयोजित कर भाले से रावण की नाक काटकर उसका अंत करने की परम्परा है।

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