मध्यप्रदेश

एमपी के कूनो नेशनल पार्क में नामीबियाई चीतों का फरवरी माह से दीदार कर सकेंगे पर्यटक

Sanjay Patel
29 Dec 2022 11:24 AM GMT
एमपी के कूनो नेशनल पार्क में नामीबियाई चीतों का फरवरी माह से दीदार कर सकेंगे पर्यटक
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मध्यप्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में सैलानी फरवरी माह से नामीबियाई चीतों का दीदार कर सकेंगे। इस पार्क में आठ नामीबियाई चीतों को बसाया गया है।

मध्यप्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में सैलानी फरवरी माह से नामीबियाई चीतों का दीदार कर सकेंगे। इस पार्क में आठ नामीबियाई चीतों को बसाया गया है। जनवरी के आखिरी सप्ताह या फरवरी माह के प्रथम सप्ताह में इन चीतों को 500 हेक्टेयर के बड़े बाड़े में खुला छोड़ देने की तैयारी की जा रही है। खुले बाड़े में छोड़ने के साथ ही टूरिज्म को भी हरी झंडी मिल जाएगी।

टिकटोली जोन में रखे गए हैं चीते

टिकटोली जोन में नामीबियाई चीतों को रखा गया है। इसके अलावा अहेरा और पील-बावड़ी जोन है। चीतों के कूनो में आने के पहले से ही टिकटोली को सैलानियों के लिए बंद कर दिया गया है। कूनो के तीनों जोन में कुल 180 किलोमीटर का ट्रैक है। चीतों के प्रोटेक्शन के लिए ट्रैक को रिपेयर किया गया है। जहां चीते हैं वहां 70-80 किलोमीटर का ट्रैक है। टूरिस्ट इसी पर जा सकेंगे। कूनो में चीता सफारी के लिए नियम कायदे टाइगर रिजर्व की तरह ही होंगे। जिसके लिए टूरिस्ट को ऑनलाइन बुकिंग करनी होगी। सुबह और शाम की शिफ्ट में सफारी की जा सकेगी। यहां उल्लेखनीय है कि सितम्बर माह में नामीबिया से आठ चीतों को भारत लाया गया था। जिनमें से तीन नर व पांच मादा चीते हैं। कूनो डीएफओ प्रकाश वर्मा की मानें तो चीते 50-100 स्क्वायर किलोमीटर के इलाके में अपनी टेरेटरी बनाते हैं उसी के अनुसार टूरिज्म के लिए तैयारी की जा रही है।

सहरिया आदिवासियों के घर में रुक सकेंगे पर्यटक

कूनो नेशनल पार्क में पर्यटक फरवरी माह से नामीबियाई चीतों को देख सकेंगे। सूत्रों की मानें तो सभी चीते पूरी तरह से स्वस्थ हैं और शिकार कर रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा चीता टूरिज्म डेवलप करने के लिए कूनो के पास बसे सहरिया आदिवासी परिवारों को होम स्टे चलाने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है। बताया गया है कि अब तक चार सहरिया परिवारों की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन और इको टूरिज्म बोर्ड ने इस प्रोजेक्ट के लिए घरों को चयनित किया है। ट्रेनिंग के दौरान सहरिया आदिवासी परिवारों को स्वच्छता मेंटन करने सहित विदेशी पर्यटकों के लिए खाना बनाने के गुर सिखाए जा रहे हैं। इसके साथ ही उनके घरों की भी मरम्मत कराई जा रही है।

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