मध्यप्रदेश

एमपी के माडा में सबसे पहले पड़ती है सूर्य की किरण, रावण ने यहीं किया था मंदोदरी से विवाह!

Sanjay Patel
18 Jun 2023 10:16 AM GMT
एमपी के माडा में सबसे पहले पड़ती है सूर्य की किरण, रावण ने यहीं किया था मंदोदरी से विवाह!
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MP News: मध्यप्रदेश के सिंगरौली अंतर्गत माड़ा लोगों के आकर्षण का केन्द्र है। यहां की झील, सघन वन और पुरातन अवशेष लोगों का ध्यान आकर्षित करते हैं।

मध्यप्रदेश के सिंगरौली अंतर्गत माड़ा लोगों के आकर्षण का केन्द्र है। यहां की झील, सघन वन और पुरातन अवशेष लोगों का ध्यान आकर्षित करते हैं। जो भी एक बार यहां पहुंचता है वह बार-बार इसके दीदार को आतुर नजर आता है। बैढ़न से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है माडा। यहां 10 किलोमीटर तक फैले विशाल जंगल के साथ ही गुफाएं भी मौजूद हैं। जिनका दीदार करने के लिए पर्यटक काफी संख्या में यहां पहुंचते हैं।

ऐसी मान्यता रावण ने यहीं किया था विवाह

माडा की गुफाएं अपने आप में विशेष महत्व रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि इसी जंगल की एक गुफा में रावण ने मंदोदरों के साथ विवाह किया था। माड़ा की रावण गुफा में नटराजन की नृत्य करती मूर्ति, पत्थर ढोते वानरों के चित्र, देवी-देवताओं के चित्र बने हुए हैं। यहां पत्थरों को काटकर कक्ष बनाए हैं जो अपने आप में प्राचीन सभ्यता की कहानी बयां करते हैं।

एमपी में सबसे पहले सूर्योदय माडा में

प्रदेश में सिंगरौली जिले के माडा गांव में सबसे पहले सूर्योदय होता है। यहां सबसे पहले सूर्य की किरणों पड़ती हैं। सिंगरौली एमपी के पूर्वी भाग में स्थित है। ऊंचे पर्वत से सूर्य का नजारा भी बेहद खास होता है। लगभग 609 मीटर की ऊंचाई पर बसे माडा गांव में सूर्य की किरणें सबसे पहले धरती पर आती दिखाई देती हैं। यहां के जंगल और सुंदर स्थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। माडा गांव में पुरातात्विक महत्व की गुफाएं, शैलचित्र, मनमोहक झरने, तालाब, जलप्रपात का नजारा मनोरम दृश्य पेश करता है। यहां की सुंदरता देखते ही बनती है।

रॉक कट गुफाओं की है श्रृंखला

भारत के मध्य वन क्षेत्र में सिंगरौली स्थित है। यह पहाड़ियों, पहाड़ों, नदियों और घाटियों से घिर हुआ है। इन पहाड़ियों के मध्य स्थित है माडा की गुफाएं। जो रॉक कट स्थापत्य कला की सुंदर उदारण प्रस्तुत करती हैं। यहां इन गुफाओं की श्रृंखला है। जिनको विवाह माडा, गणेश माडा, जलजलिया माडा आदि नामों से जाना जाता है। जिनका दीदार करने के लिए दूर-दूर से पर्यटक यहां पहुंचते हैं और यहां की खूबसूरत वादियों का लुफ्त उठाते हैं।

इको पार्क बन जाने से बढ़े पर्यटक

माडा में घना जंगल होने के कारण पहले लोग यहां पहुंचने कतराते थे। पूर्व में यह केवल प्राचीनकाल की गुफाओं के लिए ही जाना जाता रहा है किंतु अब गुफाओं के अलावा एडवेंचर गतिविधियों से जुड़ी व्यवस्थाएं पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। अब इको पार्क में सैकड़ों पर्यटक पहुंचते हैं। वर्तमान की बात की जाए तो प्रतिदिन यहां 500 से अधिक पर्यटक पहुंच रहे हैं। जिससे वन विभाग को पार्क से हर महीने 2 से ढाई लाख रुपए तक का राजस्व मिल रहा है। यहां महीने के हर दिन लोग पहुंचकर दीदार करते हैं। अवकाश के दिनों में यहां पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या दोगुना तक हो जाती है।




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