मध्यप्रदेश

एमपी बालाघाट के गोंगलई में खेत में बिखरी पड़ी हैं दसवीं शताब्दी की प्रतिमाएं व अवशेष

Sanjay Patel
13 Jan 2023 10:09 AM GMT
एमपी बालाघाट के गोंगलई में खेत में बिखरी पड़ी हैं दसवीं शताब्दी की प्रतिमाएं व अवशेष
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बालाघाट की ग्राम पंचायत गोंगलई में प्राचीन प्रतिमाएं व अवशेष बिखरे पड़े हैं। जिनको सहेजने के लिए न तो प्रशासन और न ही संग्रहालय द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं।

बालाघाट की ग्राम पंचायत गोंगलई में प्राचीन प्रतिमाएं व अवशेष बिखरे पड़े हैं। जिनको सहेजने के लिए न तो प्रशासन और न ही संग्रहालय द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। जबकि ग्राम पंचायत स्तर पर भी इन्हें संरक्षित करने कोई पहल नहीं की जा रही है। जिससे यह धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व की प्रतिमाएं खुले आसमान के नीचे पड़ी जीर्ण-शीर्ण होती जा रही हैं।

देवी-देवताओं की प्रतिमा भी हैं

बताया गया है कि ग्राम पंचायत गांेगलई में एक किसान के खेत में दसवीं शताब्दी की भगवान गणेश की प्रतिमा समेत अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी हैं। इसके साथ ही 11वीं एवं 12वीं शताब्दी की महिला योद्धाओं की भी काले व लाल पत्थर की प्रतिमा के अवशेष बिखरे हुए पड़े हैं। जिनको सहेजने का कार्य नहीं किया जा रहा है।

खुले आसमान के नीचे पड़ी हैं प्रतिमाएं

इतिहास एवं पुरातत्व शोध संग्रहालय के मुताबिक वर्ष 2011 में संग्रहालय की टीम गोंगलई गांव से गुजर रही थी तब टीम को जमीन में पड़ी हुई प्रतिमाएं दिखाई दी थीं। जिसके बाद टीम द्वारा जब स्थल पर खुदाई की गई तो भगवान गणेश की दसवीं शताब्दी की बड़ी प्रतिमा भी मिली थी। इसके साथ ही महिला योद्धाओं की प्रतिमाओं के अवशेष भी पाए गए थे। तत्कालीन कलेक्टर के आदेश पर इन्हें संग्रहालय लाने का प्रयास किया गया किंतु ग्रामीणों इसके विरोध में उतर आए। जिसके कारण यह प्रतिमाएं संग्रहालय तक नहीं पहुंच पाईं।

ग्रामीण कहते हैं नहीं होती समस्याएं

प्रतिमा व अवशेषों के खेत में पड़े रहने के पीछे ग्रामीणों का यह तर्क है कि इन्हें किसी प्रकार की समस्याएं नहीं होती हैं। हर कार्य प्रारंभ करने से पहले वह भगवान गणेश समेत अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाओं वाले स्थान पर जाते हैं और पूजा-अर्चना के साथ कार्य प्रारंभ करते हैं। खुले में पड़ी प्रतिमाओं पर माथा टेकने के बाद ही कोई कार्य प्रारंभ किए जाते हैं। इतना ही नहीं कार्य के संपन्न होने पर मंशानुसार विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ग्रामीणों का यहां तक कहना है कि जिस वक्त उन प्रतिमाओं को टीम संग्रहालय ले जाने आई थी तो वहां के नाग देवता ने ग्रामीणों को दर्शन देकर परेशान किया था जिसके चलते यह प्रतिमाएं नहीं ले जाई जा सकीं।

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