मध्यप्रदेश

विशेष आलेख: भरोसा बरकरार शिवराज सरकार, चुनौती को अवसर में बदल आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश गढ़ रहे हैं शिवराज सिंह चौहान

विशेष आलेख: भरोसा बरकरार शिवराज सरकार, चुनौती को अवसर में बदल आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश गढ़ रहे हैं शिवराज सिंह चौहान
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MP NEWS. सदी की सबसे भयंकर प्राकृतिक आपदा - कोरोना महामारी, जिसने समूचे विश्व को हिला कर रख दिया, से जूझना तथा उससे प्रदेश को सफलतापूर्वक न्यूनतम हानि के साथ बाहर निकाल ले जाना किसी भागीरथ प्रयास से कम नहीं था। कोरोना महामारी ने जन-स्वास्थ्य को तो प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया ही, प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था की कमर तोड़ कर रख दी। एक ओर हर नागरिक को कोरोना से बचाव व उपचार के लिए नि:शुल्क एवं उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधा देना तथा दूसरी ओर लॉकडाउन से ध्वस्त व्यापार, व्यवसाय एवं सेवा क्षेत्र को नवजीवन देने का कार्य वही व्यक्ति कर सकता है, जिसके जीवन का एकमात्र उद्देश्य जनता जनार्दन की सेवा करना हो।

MP NEWS. सदी की सबसे भयंकर प्राकृतिक आपदा - कोरोना महामारी, जिसने समूचे विश्व को हिला कर रख दिया, से जूझना तथा उससे प्रदेश को सफलतापूर्वक न्यूनतम हानि के साथ बाहर निकाल ले जाना किसी भागीरथ प्रयास से कम नहीं था। कोरोना महामारी ने जन-स्वास्थ्य को तो प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया ही, प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था की कमर तोड़ कर रख दी। एक ओर हर नागरिक को कोरोना से बचाव व उपचार के लिए नि:शुल्क एवं उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधा देना तथा दूसरी ओर लॉकडाउन से ध्वस्त व्यापार, व्यवसाय एवं सेवा क्षेत्र को नवजीवन देने का कार्य वही व्यक्ति कर सकता है, जिसके जीवन का एकमात्र उद्देश्य जनता जनार्दन की सेवा करना हो।

मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गत एक वर्ष की अल्प अवधि में यह कार्य कर दिखाया है। उन्होंने गंभीर चुनौती को अवसर में बदला तथा न केवल प्रदेश में कोरोना के संक्रमण को प्रभावी ढंग से रोका, कोरोना पीड़ितों को सर्वश्रेष्ठ इलाज मुहैया कराया, टीकाकरण अभियान का सफल संचालन किया अपितु मृतप्राय अर्थ-व्यवस्था में नवजीवन का संचार भी किया।

23 मार्च 2020 - यही वह दिन था, जिस दिन शिवराज सिंह चौहान को चौथी बार मध्यप्रदेश की बागडोर मिली। कोरोना महामारी ने प्रदेश में पाँव पसार लिए थे और उसकी रोकथाम एवं उपचार की कोई व्यवस्था नहीं थी। शिवराज सिंह चौहान को इस संकट का भली-भांति अंदेशा था। इसीलिए वे शपथ ग्रहण करने के पश्चात सीधे मंत्रालय गए और कोरोना की व्यवस्थाओं के संबंध में बैठक ली। फिर युद्ध स्तर पर कोरोना के संक्रमण को रोकने तथा हर कोरोना पीड़ित को सर्वश्रेष्ठ इलाज देकर स्वस्थ करने का कार्य प्रारंभ हुआ।

प्रदेश में आईआईटीटी अर्थात इन्वेस्टिगेट, आईडेंटिफाई, टेस्ट एंड ट्रीट की रणनीति पर प्रभावी ढंग से कार्य किया गया। मुख्यमंत्री चौहान प्रतिदिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से प्रत्येक जिले के साथ कोरोना की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा करते थे और एक-एक गंभीर मरीज के इलाज की स्वयं मॉनिटरिंग करते थे। उनके लिए हर जान कीमती थी, जिसे वे गँवाना नहीं चाहते थे। परिणाम था कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण, कोरोना रिकवरी रेट का निरंतर बढ़ना और मृत्यु दर का न्यूनतम होना।

लाकॅडाउन होते ही एक बड़ी समस्या थी, मध्यप्रदेश के मजदूरों का देश के कई राज्यों में फँसा होना और अन्य राज्यों के मजदूरों का मध्यप्रदेश में होना। इन सब के खाने, आवास, दवाइयों आदि की व्यवस्था कोई सरल कार्य नहीं था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने संकल्प लिया कि हर मजदूर को चाहे वह मध्यप्रदेश का हो अथवा बाहर का, सभी आवश्यक सुविधाएँ दी जाएंगी। रोटी, पानी, आवास से लेकर उनके लिए जूते-चप्पलों तक की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई। मजदूर जहाँ फँसे थे, वहीं उनके खातों में सहायता राशि डाली गई। इसके बाद समय मिलते ही विशेष ट्रेन एवं बसों द्वारा सभी मजदूरों को मध्यप्रदेश वापस लाया गया।

साथ ही दूसरे प्रांतों के मजदूरों को मध्यप्रदेश की सीमा पर छोड़ने के लिए भी हजारों की संख्या में बस लगाई गईं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का संकल्प था कि 'मध्यप्रदेश की धरती पर कोई भूखा नहीं सोएगा तथा कोई भी मजदूर पैदल चलकर अपने घर नहीं जाएगा'। उन्होंने अपने दोनों संकल्पों को शत-प्रतिशत पूरा किया।

तीसरी बड़ी चुनौती थी, किसानों की पक चुकी फसल को समर्थन मूल्य पर खरीदने की। कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा था, ऐसे में यह कार्य आसमान से तारे तोड़ने जैसा ही प्रतीत होता था। शिवराज सिंह चौहान की विशेषता है कि वे कभी हार नहीं मानते। चुनौती जितनी बड़ी होती है उनका हौसला उतना बढ़ता जाता है। समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिये कोरोना संबंधी सभी सावधानियों का पालन करते हुए पूरी व्यवस्था की गई। असंभव दिखने वाला कार्य ऐसा हुआ कि पूरे देश ने उसका लोहा माना। पंजाब राज्य को पीछे छोड़ते हुए मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर सर्वाधिक एक करोड़ 29 लाख मीट्रिक टन गेहूँ की खरीदी की गई। कोरोना संकटकाल में यह उपलब्धि छोटी नहीं थी.

ध्वस्त अर्थ-व्यवस्था में किसानों और मजदूरों को राहत पहुँचाने के बाद अब सरकार का ध्यान उन छोटे-छोटे पथ व्यवसायियों पर गया, जो शहरों एवं गाँव में खोमचे, ठेले लगा कर और फुटपाथ पर बैठकर अपनी आजीविका चलाते थे। इनका काम-धंधा पूरी तरह बंद हो गया था। इनके सामने आजीविका का गहरा संकट था। केंद्रीय प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के अंतर्गत शहरी पात्र व्यवसायियों को 10-10 हजार रुपए की ऋण व्यवस्था की गई थी। मुख्यमंत्री चौहान ने इसे आगे बढ़ाते हुए मध्यप्रदेश में न केवल शहरी पथ व्यवसायियों बल्कि ग्रामीण पथ व्यवसायियों के लिए भी बिना ब्याज एवं बैंकों को बिना गारंटी दिए 10-10 हजार रूपये की कार्यशील पूँजी की व्यवस्था की। साथ ही महिला स्व-सहायता समूहों को सशक्त एवं आत्म-निर्भर बनाने के लिए बैंक लिंकेज के माध्यम से उन्हें अत्यंत कम ब्याज दर पर ऋण दिलवाया गया।

इसके अलावा सामाजिक सुरक्षा पेंशन की अग्रिम राशि का भुगतान, रसोइयों को मानदेय, विशेष रूप से पिछड़ी हुई जनजातियों को आर्थिक सहायता, विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का भुगतान, लघु वनोपज के समर्थन मूल्य में वृद्धि, निर्माण श्रमिकों को सहायता राशि, संबल योजना के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की सहायता, बच्चों के लिए पोषण आहार की राशि का प्रदाय आदि ऐसे कदम थे, जिन्होंने मृत प्राय अर्थ-व्यवस्था के लिए संजीवनी का कार्य किया। किसानों को केन्द्र सरकार की ओर से मिलने वाली सम्मान निधि की राशि 6 हजार रूपये वार्षिक के साथ मध्यप्रदेश सरकार ने भी 4 हजार अपनी ओर से दिये जाना प्रांरभ किया। इससे किसान सम्मान निधि की राशि बढ़कर 10 हजार रूपये वार्षिक हुई और छोटे किसानों के लिए बड़ी राहत बनी।

कोरोना के संकट में सभी वर्गों को तात्कालिक सहायता एवं राहत पहुँचाने के बाद अब नंबर था, प्रदेश के विकास एवं प्रगति तथा जनता के कल्याण के स्थाई कार्य करने का। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत की अवधारणा को मूर्तरूप देने के लिए सर्वप्रथम मध्यप्रदेश में आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का रोड मैप बनाया गया। इसके चार प्रमुख घटक रखे गए- शिक्षा एवं स्वास्थ्य, सुशासन, अधोसंरचना विकास तथा अर्थ-व्यवस्था एवं रोजगार। देश भर के विषय-विशेषज्ञों तथा नीति आयोग के सदस्यों से कई दौर की चर्चा के बाद न केवल आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का रोड मेप तैयार किया गया अपितु उस पर तेज गति से कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया।

शिक्षा एवं स्वास्थ्य में अधोसंरचना विकास, वैलनेस सेंटर्स की स्थापना, उत्कृष्ट जिला अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज अस्पताल, आयुष्मान भारत योजना में प्रत्येक गरीब को 5 लाख रूपये तक का नि:शुल्क इलाज, नई शिक्षा नीति के प्रावधानों को तत्परता से लागू करना, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सीएम राइस स्कूल की स्थापना, खेल मैदानों का विकास आदि कार्य किए जा रहे हैं।

पिछले एक साल में सुशासन के लिए जहाँ लोक सेवा गारंटी योजना का विस्तार कर नागरिकों को लोक सेवाओं का प्रदाय आसान किया गया। खसरा-खतौनी की नकल, जाति, आय प्रमाण-पत्र आदि मोबाइल पर ही उपलब्ध कराने की सुविधा प्रदान की गई। वहीं प्रदेश में शांति व्यवस्था के लिए आपराधिक तत्वों पर कड़ा अंकुश लगाया गया। मुख्यमंत्री चौहान ने संकल्प लिया कर प्रदेश को मुक्त कर दिया जाएगा। रेत माफिया, भू-माफिया, शराब माफिया, ड्रग माफिया, माफिया चिटफंड कंपनियाँ आदि के विरुद्ध प्रदेश में कड़ी कार्रवाई की गई। हजारों एकड़ भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई, वहीं चिटफंड कंपनियों की संपत्तियाँ राजसात कर जनता को उनका पैसा वापस दिलवाया गया। ऑपरेशन मुस्कान के तहत गुमशुदा बेटियों को ढूंढ-ढूंढ कर उनके घर पहुँचाया गया। बेटियों के सम्मान एवं सुरक्षा के लिए पुख्ता कार्य किए गए। धर्म स्वातंत्र्य विधेयक जैसे नए कानून बनाकर बेटियों का सम्मान सुरक्षित किया गया।

अधोसंरचना विकास के लिए केंद्र के तत्संबंधी फंड का अधिक से अधिक उपयोग किया गया। चंबल एक्सप्रेस-वे को अटल प्रोग्रेस-वे बनाया गया। नर्मदा एक्सप्रेस-वे की भी योजना है। इन दोनों एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर औद्योगिक क्लस्टर विकसित किए जाएंगे।

आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के चौथे घटक अर्थ-व्यवस्था एवं रोजगार के अंतर्गत प्रदेश में अधिक से अधिक निवेश लाकर अधिक से अधिक रोजगार सृजन का प्रयास किया जा रहा है। उद्योगों के लिए ' स्टार्ट योर बिजनिस इन थर्टी डे' 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' सुनिश्चित किया गया है और उन्हें विभिन्न प्रकार की सहूलियतें प्रदान की गई हैं। श्रम कानूनों में आवश्यक संशोधन कर उन्हें श्रमिकों कल्याण के साथ ही उद्योगों के विकास के अनुरूप बनाया गया है। कुटीर के साथ छोटे एवं मझोले उद्योगों को भी पूरा प्रोत्साहन दिया जा रहा है। स्थानीय उत्पादों को उत्साहित करने के लिए 'लोकल फॉर वोकल' योजना पर कार्य किया जा रहा है। 'एक जिला-एक उत्पाद' योजना के अंतर्गत हर क्षेत्र के उत्पादों को देश विदेश में पहचान एवं बाजार दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए जन-कल्याण सर्वोपरि है। जनता की सेवा ही उनकी पूजा है। उन्होंने मध्यप्रदेश में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को चरितार्थ किया है। मध्यप्रदेश में सबके लिए रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई, लिखाई, दवाई और रोजगार के साथ ही जनता को मन, बुद्धि और आत्मा का आनंद भी मिल रहा है। इसके लिए पूरा शासन तंत्र दिन रात कार्य कर रहा है।

रोटी के लिए एक दिन की मजदूरी में एक महीने का राशन दिलाया जा रहा है। शिवराज सरकार ने 37 लाख ऐसे गरीब परिवार जिन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा था, उन्हें यह उपलब्ध कराया। दीनदयाल रसोई योजना के अंतर्गत पका हुआ भोजन भी अत्यंत रियायती दर पर दिया जा रहा है। इस संबंध में दूसरा महत्वपूर्ण कार्य जो शिवराज सरकार कर रही है वह है आगामी 3 वर्षों में हर व्यक्ति को पक्का मकान दिलवाना। इसके लिए युद्ध स्तर पर कार्य प्रारंभ हो गया है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का संकल्प है कि कोई भी व्यक्ति कच्चे मकान में नहीं रहेगा। इसके साथ ही लोगों को अपनी जमीन, मकान पर भू-स्वामित्व हक भी दिलवाया जा रहा है। जनजाति भाइयों को वन अधिकार पट्टे दिलवाए जा रहे हैं। शासकीय विद्यालयों में विद्यार्थियों को पढ़ाई-लिखाई के लिए पठन सामग्री के साथ ही नि:शुल्क गणवेश, साइकिलें आदि सभी आवश्यक सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं। मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप प्रदाय किए जाते हैं। उच्च शिक्षा के लिए निजी महाविद्यालय तथा विदेशों में अध्ययन तक के लिए सरकार मदद का रही है।

शिवराज सिंह चौहान ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रदेश में हर व्यक्ति को अच्छी से अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मिले। इसका सबसे अच्छा उदाहरण कोरोना काल में इस बीमारी पर प्रभावी नियंत्रण एवं श्रेष्ठ उपचार था। कोरोना की नि:शुल्क जाँच एवं उपचार की प्रदेश में उत्कृष्ट व्यवस्था की गई। गरीबों को चिन्हित निजी अस्पताल में उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए प्रदेश में दो करोड़ आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं।

प्रदेश में खाली पड़े शासकीय पदों पर भर्ती के साथ ही निजी क्षेत्र में रोजगार दिलाने के लिए भी निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। हर जिले, हर ब्लाक में प्रतिमाह रोजगार मेलों का आयोजन किया जा रहा है, जहाँ बड़ी संख्या में युवक-युवतियों को उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार मिल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ श्रम सिद्धि अभियान में मनरेगा आदि योजनाओं के अंतर्गत अकुशल श्रमिकों को रोजगार दिलाया गया, वहीं रोजगार सेतु पोर्टल के माध्यम से सभी को उनकी योग्यता के अनुरूप नियोजन मिल रहा है।

जनता को सभी मूलभूत सुविधाएँ मुहैया कराने के साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जनता के मन बुद्धि और आत्मा के आनंद की भी चिंता है। मन के सुख के लिए लोक कलाओं, सांस्कृतिक गतिविधियों तथा खेलकूद आदि को बढ़ावा दिया जा रहा है। हर पंचायत में एक खेल का मैदान बनाए जाने की योजना है। बुद्धि के विकास के लिए प्रदेश की प्रतिभाओं के प्रकटीकरण के प्रयास किए जा रहे हैं, बच्चों के बौद्धिक विकास पर जोर दिया जा रहा है। वहीं आत्मा के सुख के लिए प्रदेश में अध्यात्म विभाग द्वारा कार्य किए जा रहे हैं। चौहान का मानना है कि कोरोना काल में मध्यप्रदेश की सरकार एवं जनता ने अपने प्रवासी मजदूरों की चिंता करने के साथ-साथ दूसरे राज्यों के प्रवासी मजदूरों की सेवा का जो कार्य किया है वही सबसे बड़ा आत्मिक सुख है।
भरोसा बरकरार-शिवराज सरकार, मध्यप्रदेश बना गेहूँ प्रदेश,मुख्यमंत्री बनाम चुनौतियों पर विजय का साल

रीवा . चुनौतियाँ सफल मनुष्य के जीवन का महत्वपूर्ण भाग है परंतु महत्वपूर्ण यह है कि उन चुनौतियों का सामना आप किस प्रकार करते हैं। शायद कुछ ऐसा ही समय प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने आया जब 23 मार्च 2020 को उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। खाली खजाने के साथ कोरोना की चुनौती और प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता की जीवन रक्षा का प्रश्न सामने खड़ा था।

न मंत्री और न मंत्री-मंडल, खुद ही मंत्री खुद ही मुख्यमंत्री। वक्त मुश्किल था पर हौंसला बुलंद था। एक सदस्यीय मंत्री-मंडल ने शपथ के दिन ही मंत्रालय में कोरोना की समीक्षा से अपने नेतृत्व कौशल का परिचय दिया। चारों ओर चुनौतियाँ, बस जीत का था विश्वास, तो पीछे था प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हाथ।

कोरोना से लड़ाई लड़नी भी थी तो घर में बैठकर क्योंकि कोरोना से बचाव ही कोरोना पर जीत का मुख्य अस्त्र थी। प्रधानमंत्री के आव्हान पर देश- प्रदेश की जनता अपना कामकाज चंद घंटों में ही जहाँ जिस हाल में था, बंद कर अपने घरों में कैद हो गई। कहते हैं खाली पेट कोई भी जंग नहीं लड़ी जा सकती। मुख्यमंत्री चौहान के सामने बड़ी चुनौती थी घर में बैठकर कोरोना संक्रमण से लड़ रही अपनी जनता रूपी सेना को राशन कैसे पहुँचाए। उधर गेहूँ खेतों में तैयार खड़ा था। पहले गेहूँ की उचित मूल्य पर खरीदी फिर भंडारण एवं उसका वितरण वो भी जनता को घर-घर जाकर।

1.29 करोड़ मी.ट.गेहूँ का उपार्जन

कोरोना लॉकडाउन के सन्नाटे के बावजूद मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में समर्थन मूल्य पर एक करोड़ 29 लाख 28 हजार 379 मीट्रिक टन गेहूँ का बम्पर उपार्जन किया गया। यह देश के किसी भी राज्य द्वारा किये गए उपार्जन में सबसे अधिक है। किसानों को समर्थन मूल्य के रूप में 25 हजार करोड़ रूपये का भुगतान किया गया, जो विगत वर्ष 2018-19 में किए गए भुगतान से लगभग 11 हजार करोड़ रूपये अधिक था। इस वर्ष भी 2021-22 के लिए किसानों ने अपनी उपज को समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए पंजीयन करा लिया है। उपार्जन का काम इंदौर और उज्जैन में 22 मार्च से और शेष स्थानों पर एक अप्रैल से प्रारंभ होगा।

तुरंत ऑन लाइन भुगतान
प्रदेश के 4हजार 527 खरीदी केन्द्रों पर 15 लाख 55 हजार 453 किसानों से उनकी समर्थन मूल्य पर क्रय की गई उपज के भुगतान स्वरूप राशि ऑन लाइन उनके खातों में अंतरित की गई। इस वर्ष 2021-21 के लिए प्रदेश में 19 लाख 46 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए पंजीयन कराया था। इसमें से 15 लाख 29 हजार किसानों ने 122 लाख मीट्रिक टन गेहूँ का विक्रय किया। किसानों को सफल भुगतान के रूप में 16 हजार 183 करोड़ 77 लाख 21 हजार 757 रूपये की राशि ऑनलाइन भुगतान उनके खातों में पहुँचायी जा चुकी है।

निश्चित अवधि में लक्षित उपार्जन

कुल उपार्जित गेहूँ का 87.33 प्रतिशत यानी एक करोड़ 7 लाख 27 हजार 926 मीट्रिक टन गेहूँ का परिवहन किया जाकर उसे सुरक्षित गोदामों में भंडारित कराया गया। लॉक डाउन के कारण सोशल डिस्टेंसिंग के साथ विपरीत परिस्थितियों में गेहूँ का निश्चित अवधि में उपार्जन मानसून को देखते हुए जरूरत के साथ एक उपलब्धि भी है।

छोटे एवं मध्यम किसान हुए लाभान्वित

इस एक वर्ष में प्रदेश के कुल पंजीकृत किसानों में से 13 लाख 80 हजार लघु, मध्यम एवं सीमांत किसानों ने अपनी उपज को समर्थन मूल्य पर विक्रय किया। इनमें लगभग 3 लाख 81 हजार सीमांत किसान शामिल हैं जबकि 5 लाख 41 हजार छोटे किसानों सहित 4 लाख 68 हजार मध्यम किसानों ने उपार्जन का लाभ लिया।लघु,मध्यम एवं सीमांत किसानों ने 86.57 मीट्रिक टन गेहूँ का विक्रय किया। इनमें से सीमांत किसानों ने अभी तक कुल 9 लाख 26 हजार मीट्रिक टन, छोटे किसानों ने 28 लाख 38 हजार मीट्रिक टन और मध्यम किसानों ने 48 लाख 93 हजार मीट्रिक टन गेहूँ का समर्थन मूल्य पर विक्रय किया है। शेष गेहूँ बड़े किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदा गया।

प्रदेश को गेहूँ प्रदेश बनाने का श्रेय किसी को जाता है तो वो है प्रदेश का किसान, प्रदेश का अन्न-दाता। सरकार किसानों की आय को दोगुनी करने और कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश में अच्छे उत्पादन के चलते इस साल 16 लाख किसानों से बम्पर गेहूँ उपार्जन करके एक नया इतिहास बनाया गया है। इस तरह मध्यप्रदेश गेहूँ उपार्जन में देश का नंबर वन राज्य बना।

इस सफलता को पुन: दोहराते हुए प्रदेश में धान के उपार्जन का कार्य भी सफलता पूर्वक संपादित किया गया। इसीका परिणाम है कि जनवरी 21 तक 5 लाख 86 हजार से अधिक किसानों से 37 लाख 27 हजार मीट्रिक टन से अधिक मात्रा में धान उपार्जित किया गया। इसके अलावा 42 हजार 400 से अधिक किसानों से 2 लाख 24 हजार मीट्रिक टन से अधिक ज्वार एवं बाजरा भी समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है। गेहूँ,धान एवं अन्य फसलों के उपार्जन के विरूद्ध 33 हजार करोड़ रूपये से अधिक की राशि किसानों के खातों में अंतरित की गई।

राशन का सुनियोजित वितरण

उपार्जन के बाद सरकार के सामने अपनी जनता को राशन वितरण की चुनौती थी। चुनौती इसलिए कि कोरोनो के कारण लगे लॉक डाउन एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन वितरण के साथ करना था। सरकार ने एक करोड़ 10लाख पात्र परिवार के 4 करोड़ 72 लाख सदस्यों को खाद्यान्न सुरक्षा के तहत राशन वितरण कर इसे बखूबी पूरा किया। अन्त्योदय अन्न योजना में पात्र परिवारों को 35 किलोग्राम प्रति परिवार और प्राथमिकता वाले परिवारों को 5 किलोग्राम प्रति सदस्य प्रतिमाह के मान से खाद्यान्न का वितरण एक रूपये प्रति किलोग्राम की दर से किया गया।

'वन नेशन - वन राशन कार्ड' योजना

प्रदेश के बाहर रहने वाले प्रदेश के नागरिकों कोखाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए वन 'नेशन-वन राशन कार्ड' योजना के प्रभावी क्रियान्वयन से हितग्राही अब प्रदेश के बाहर जिस राज्य में वे रह रहे हैं वहाँ से खाद्यान्न लेने के लिए स्वतंत्र है। इंटर स्टेट पोर्टेबिलिटी के माध्यम से माह जनवरी तक 3 लाख 85 हजार से अधिक परिवारों को खाद्यान्न प्रदान किया गया।इसके अलावा प्रदेश में रहने वाला व्यक्ति भी अपने क्षेत्र में किसी भी दुकान से राशन प्राप्त कर सकता है।

अन्न उत्सव
राज्य शासन द्वारा यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया कि गरीब की थाली किसी भी हालत में खाली न रहे। इसके तहत विभिन्न श्रेणियों के नवीन चिन्हित व्यक्तियों को पात्रता पर्ची जारी की गई, जो अभी तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से राशन प्राप्त करने से वंचित थे।'अन्न उत्सव' कार्यक्रम के माध्यम से 25 श्रेणियों के नवीन पात्रता पर्चीधारी 6 लाख 46 हजार से अधिक परिवारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली केमाध्यम से राशन वितरण का कार्य प्रारंभ किया गया। अब तक ऐसे लगभग 9 लाख परिवारों के लगभग 31 लाख सदस्यों को नियमित राशन वितरण किया गया है।

चना, मसूर, सरसों का उपार्जन

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एक वर्ष के कार्यकाल में प्रदेश में लगभग 3 लाख किसानों से 8 लाख से अधिक मीट्रिक टन चना, मसूर एवं सरसों का उपार्जन कर 3 हजार 900 करोड़ रूपये से अधिक का भुगतान किसानों को किया गया।इसी के साथ खरीफ में 5 लाख 89 हजार किसानों से 37 लाख 26 हजार मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया गया। किसानों को उपार्जित धान की कुल राशि 6 हजार 961 करोड़ रूपये भुगतान की गई। इसी प्रकार एक लाख 95 हजार मीट्रिक टन बाजरा एवं 29 हजार मीट्रिक टन ज्वार का उपार्जन किया गया है।

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