मध्यप्रदेश

एमपी धार के करोड़पति व्यापारी का बेटा बना जैन मुनि, नागदा में ली दीक्षा

Sanjay Patel
4 Dec 2022 11:24 AM GMT
एमपी धार के करोड़पति व्यापारी का बेटा बना जैन मुनि, नागदा में ली दीक्षा
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अचल ने सांसारिक सुखों का त्याग कर दिया है। 16 वर्ष की उम्र में दीक्षा लेकर वे अब जैन मुनि हो गए हैं। अचल के पिता मुकेश श्रीश्रीमाल क्षेत्र के जाने-माने हार्डवेयर व्यापारी हैं।

एक करोड़पति व्यापारी का इकलौता बेटा दीक्षा लेकर संयम की राह पर चल पड़ा है। धार जिले के बदनावर स्थित नागदा गांव के अचल यहां चल रहे दीक्षा महोत्सव के तहत रविवार को गुरुदेव उमेशमुनिजी के शिष्य प्रवर्तक जिनेंद्रमुनिजी की निश्रा में सामायिक पंचकाण कर दीक्षा अंगीकार किया है। अचल के पिता मुकेश श्रीश्रीमाल क्षेत्र के जाने-माने हार्डवेयर व्यापारी हैं। अचल ने सांसारिक सुखों का त्याग कर दिया है। 16 वर्ष की उम्र में दीक्षा लेकर वे अब जैन मुनि हो गए हैं।

2 साल पूर्व ही दीक्षा लेने बना लिया था मन

अचल की मानें तो वर्ष 2020 में नागदा में वर्षावास हुआ था। तभी से उन्होंने संयम की राह पर चलने का मन बना लिया था। अब तक उनके द्वारा भोपाल, शुजालपुर, आष्टा समेत कई शहरों की पदयात्रा की जा चुकी है। इस दौरान लगभग 1200 किलोमीटर पैदल विहार किया जा चुका है। नागदा मण्डी प्रांगण में आयोजित समारोह में अचल श्रीश्रीमाल की दीक्षा संपन्न हुई। सइके पूर्व उनके निज निवास से दीक्षार्थी की महाभिनिष्क्रमण यात्रा निकाली गई। इस दौरान दीक्षार्थी की जय-जयकार के जयघोष गुंजायमान होते रहे। अचल के पिता मुकेश श्रीश्रीमाल की गिनती बड़े कारोबारियों में होती है। अचल का जन्म 21 जून 2006 को नागदा गांव में हुआ था।

सबसे कम उम्र की दीक्षा

अचल के अनुसार संयतमुनि ही महाराज के साथ विहार कर लिया और इसमें जो क्रिया होती है वह भी उनके द्वारा पूरी कर ली गई है। इसका पालन उनके द्वारा डेढ़ वर्ष से किया जा रहा है जिसके चलते उन्हें दीक्षा लेने की अनुमति प्रदान की गई। मालवा महासंघ के कार्यवाहक अध्यक्ष संतोष मेहता, राजेन्द्र बोकड़िया के अनुसार नागदा में अचल की सबसे कम उम्र की दीक्षा है। इसके पूर्व वर्ष 1980 में नागदा की बेटी साध्वी मधु मसा की दीक्षा हुई थी। अचल की दीक्षा लेने के बाद उनके माता-पिता का कहना है कि वह सौभाग्यशाली हैं और इस दीक्षा से वह बेहद ही प्रसन्न हैं। उन्होंने कहा कि इस संसार में कुछ नहीं है केवल दिखावा है। कितना भी रुपया धन-संपत्ति हो जाए शांति नहीं मिलती।

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