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MP की मोहन सरकार ने अपने ही भाजपा विधायक पर लगाई ₹443 करोड़ की पेनल्टी

विधायक संजय पाठक पर बड़ी कार्रवाई: मध्य प्रदेश के विजयराघवगढ़ से भाजपा विधायक संजय पाठक की मुश्किलें अब बढ़ती दिख रही हैं. सरकार ने जांच कराने के बाद उनसे जुड़ी उन फर्मों पर ₹443 करोड़ की पेनल्टी लगाई है, जिन्होंने जबलपुर जिले के सिहोरा में स्वीकृत सीमा से अधिक उत्खनन किया था. यह जानकारी विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे और कांग्रेस विधायक अभिजीत शाह के सवाल पर सरकार ने जवाब में दी है. इस भारी-भरकम पेनल्टी के अलावा, उत्खनन करने वाली फर्मों को जीएसटी और चक्रवृद्धि ब्याज की रकम भी चुकानी पड़ेगी.
संजय पाठक पर क्या आरोप हैं?
यह पूरा मामला सिहोरा तहसील में स्वीकृत सीमा से अधिक किए गए उत्खनन से जुड़ा है. सरकार ने बताया कि मेसर्स आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन, निर्मला मिनरल्स और पैसिफिक एक्सपोर्ट ने स्वीकृत सीमा से अत्यधिक उत्खनन करने के बाद भी सरकार को ₹1000 करोड़ की राशि जमा नहीं की. इस मामले की शिकायत आशुतोष मनु दीक्षित ने 31 जनवरी 2025 को आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) में की थी. सरकार ने इस शिकायत को गंभीरता से लिया और जांच के आदेश दिए.
संजय पाठक की मां और बेटे का नाम भी शामिल
जिन दो फर्मों, मेसर्स आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन और निर्मला मिनरल्स पर ₹443 करोड़ की पेनल्टी लगाई गई है, उनमें विधायक संजय पाठक की मां निर्मला पाठक और बेटा यश पार्टनर हैं. इसके अलावा, पैसिफिक एक्सपोर्ट फर्म के सीईओ जेपी अग्रवाल हैं, और इसमें भी संजय पाठक की 50% हिस्सेदारी है. यह दिखाता है कि इन फर्मों का सीधा संबंध विधायक और उनके परिवार से है.
पेनल्टी के अलावा GST और ब्याज भी देना होगा
खनिक विभाग ने इस मामले में 23 अप्रैल 2025 को जांच के लिए एक कमेटी बनाई थी. इस कमेटी ने 6 जून 2025 को अपनी रिपोर्ट दी, जिसमें ₹443 करोड़ की वसूली का प्रतिवेदन दिया गया था. मंत्री काश्यप ने कहा कि इस राशि में 18% जीएसटी और ब्याज भी जोड़ा जाएगा, जिससे कुल वसूली की रकम ₹500 करोड़ से ज्यादा हो सकती है. यह एक बहुत बड़ी राशि है, और सरकार इस मामले में आगे की कार्रवाई कर रही है.
विधानसभा में कांग्रेस के सवाल पर सरकार ने दिया जवाब
इस मामले को कांग्रेस ने विधानसभा में जोर-शोर से उठाया. उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे और कांग्रेस विधायक अभिजीत शाह ने सरकार से इस पर जवाब मांगा था. सरकार ने सदन में यह जानकारी देकर स्वीकार किया है कि जांच में यह गंभीर अनियमितता सामने आई है. अब यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और क्या विधायक संजय पाठक और उनसे जुड़ी फर्मों को यह राशि चुकानी पड़ेगी या नहीं.




