रीवा

रीवा में बाहर से आ रहें लोगो को शेल्टर होम में डाला, भूखे-प्यासे लोगों का हंगामा

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:20 AM GMT
रीवा में बाहर से आ रहें लोगो को शेल्टर होम में डाला, भूखे-प्यासे लोगों का हंगामा
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रीवा में बाहर से आ रहें लोगों को शेल्टर होम में डाला जा रहा है और उनकी स्क्रीनिंग कराई जा रही है. शेल्टर होम में पुलिस के हाँथ पाँव तब फूल गए

रीवा. कोरोना वायरस के चलते 22 मार्च से पूरा देश लॉकडाउन पर है. इसकी वजह से रीवा से बाहर रह रहें लोगों के भरण पोषण पर संकट आ खड़ा हुआ है. ऐसे में ये सब पैदल ही कई किमी का सफर तय कर रीवा की ओर आ रहें हैं. चूंकि रीवा ग्रीन जोन हैं, अभी तक यहाँ एक भी कोरोना मरीज नहीं है इसलिए प्रशासन किसी भी तरीके का रिस्क लेने को तैयार नहीं है. इसलिए बाहर से आ रहें लोगों को शेल्टर होम में डाला जा रहा है और उनकी स्क्रीनिंग कराई जा रही है. शेल्टर होम में पुलिस के हाँथ पाँव तब फूल गए जब इन लोगों ने भूख और प्यास की वजह से हंगामा शुरू कर दिया.

स्क्रीनिंग के लिए आधी रात तक घूमती रही पुलिस

प्रदेश के बाहर से आए लोगों ने शेल्टर हाउस में अव्यवस्था पर जमकर हंगामा किया। दोपहर शेल्टर हाउस में हंगामे की सूचना पर नायब तहसीलदार मय अमले के साथ मौके पर पहुंचे। शेल्टर हाउस में रखे गए लोगों ने व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि आधी रात पुलिस स्क्रीनिंग कराने के लिए जिला अस्पताल से लेकर शेल्टर हाउस में घूमती रही।

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ढाई बजे रात शेल्टर हाउस में लाकर ठूस दिया। यहां पर पीने के पानी तक व्यवस्थाा नहीं है। ढाई बजे रात से लेकर दोपहर दो बजे तक न तो पानी और न ही भोजन दिया गया। छोटे-छोटे बच्चे भूखे-प्यासे हैं।

न पानी, न साफ़ टॉयलेट

मुंबई, सूरत, हैदराबाद सहित राज्य के अन्य जिले से रीवा पहुंचे लोगों को पुलिस आधी रात जिला अस्पताल ले गई। अस्पताल में स्क्रीनिंग नहीं होने पर जीडीसी और जयंतीकुंज मार्ग पर स्थित ज्ञानोदय बालक छात्रावस में रख दिया गया। यहां पर न तो पीने का पानी है और ही टॉयलेट साफ-सुथरा है। कोरोना से बचाने के लिए सेनेटाइन तक की व्यवस्था नहीं है।

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ज्ञानोदय में 39 लोगों को रखा गया है। जिससे वहां पर पहले से मौजूद लोगों ने हंगामा दिया। शेल्टर हाउस में रखे गए लोगों का आरोप है कि पुलिस उन्हें बस पर बैठाकर जिला अस्पताल ले गई। रात में स्क्रीनिंग के लिए यहां वहां भटकाती रही। ढाई बजे रात शेल्टर हाउस में ठूस दिया। यहां पर किसी तरह की व्यवस्था नहीं है। रात्र में महज स्वीपर के भरोसे प्रवासियों को छोड़ दिया गया।

यहां पर शेड्यूल में लगाए गए पटवारी सहित अन्य कर्मचारी गायब रहे। आधी रात से दोपहर दो बजे तक भूखे-प्यासे लोगों का सब्र टूट गया। छोटे-छोटे बच्चे व बुजुर्गो भूख, प्यास से तड़पते रहे। दोपहर हंगामे की सूचना पर नायब तहसीलदार पहुंचे।

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तहसीलदार ने बताया कि सभी को खाने-पीने का इंतजाम कराया गया। इसके बाद बाहर से आए सभी लोगों को स्क्रीनिंग के लिए जिला अस्पताल भेजा दिया गया। ज्ञानोदय हॉस्टल में बाहर से आए ज्यादातर लोग रीवा जिले के विभिन्न गांवों के हैं। स्क्रीनिंग के बाद देरशाम उन्हें छोड़ दिया गया।

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