मध्यप्रदेश

एमपी के इटारसी में कद्दू की खेती बनी वरदान, किसान कमा रहे लाखों रुपए

Sanjay Patel
26 Dec 2022 9:55 AM GMT
एमपी के इटारसी में कद्दू की खेती बनी वरदान, किसान कमा रहे लाखों रुपए
x
कद्दू की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। तीन से चार महीने में यह फसल तैयार हो जाती है जो किसानों की आय का प्रमुख स्रोत बन रही है।

कद्दू की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। तीन से चार महीने में यह फसल तैयार हो जाती है जो किसानों की आय का प्रमुख स्रोत बन रही है। एक किसान द्वारा प्रारंभ की गई इस कद्दू की खेती ने अन्य किसानों को भी प्रोत्साहित किया और अब गांव के लगभग आधा सैकड़ा किसान ऐसे हैं जो कद्दू की खेती कर लाखों कमा रहे हैं।

दिल्ली, आगरा तक बन गई जिले की पहचान

इटारसी से तकरीबन 17 किलोमीटर दूर मरोड़ा जिले में रेतीली जमीन है जहां किसान धनराज पाल द्वारा वर्ष 1991 में एक एकड़ से कद्दू फसल की शुरुआत की गई थी। जिसके लिए उनके द्वारा छिंदवाड़ा से इसके बीज लाए गए थे। जिसके बाद किराए की जमीन लेकर उनके द्वारा 30 एकड़ में कद्दू की खेती की गई। जिससे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हुआ। उनकी इस खेती से प्रोत्साहित होकर अन्य किसानों द्वारा भी कद्दू की खेती की गई। मरोड़ा के अलावा सोनतलाई, ग्वाडी, पाहनवरी, राजौन गांव में इसकी पैदावार की जा रही है। बताया गया है कि लगभग 50 किसान करीब 100 से 150 एकड़ में इसकी खेती कर रहे हैं जिससे यहां रेतीली जमीन पर केवल कद्दू ही कद्दू नजर आते हैं।

25 किलो तक रहता है वजन

मरोड़ा के किसान धनराज पाल द्वारा कद्दू की खेती प्रारंभ की गई थी। अब यह काम उनके पुत्र मोहित पाल संभाल रहे हैं। युवा किसान मोहित की मानें तो पहले उनके खेत से 30-35 किलो वजन तक के कद्दू निकलते थे। किन्तु अब उनका वजन घट गया है। अब मात्र 25 किलो वजन तक के कद्दू ही निकल पाते हैं। बताया गया है कि दिल्ली, आगरा, नागपुर, जयपुर और भोपाल के व्यापारी यहां कद्दू खरीदने के लिए आते हैं। वर्तमान समय पर कद्दू का भाव कम है किन्तु जनवरी और फरवरी माह में तैयार होने वाली इस फसल की अच्छी कीमत मिल जाती है जिससे किसानों को ज्यादा मुनाफा होता है।

फसल तैयार होने में लगते हैं 3 से 4 माह

कद्दू की खेती करने वाले किसानों की मानें तो अक्टूबर और नवंबर के माह में इसके बीज बोए जाते हैं। इसके तैयार होने में लगभग 3 से 4 माह का समय लगता है। गोबर की खाद के साथ ही रासायनिक खाद का इस दौरान इस्तेमाल किया जाता है और कद्दू की फसल के लिए 10 से 12 दिन में खेतों में पानी दिया जाता है। बताया गया है कि कद्दू डंठल के साथ तोड़ा व रखा जाए तो वह एक साल तक खराब नहीं होता। इसका उपयोग आगरा का पेठा और गुलकंद बनाने के साथ ही टमाटर सॉस के लिए उपयोग किया जाता है। किसानों की मानें तो एक एकड़ खेत में 8 से 10 टन तक कद्दू के फसल की पैदावार होती है।

Next Story