मध्यप्रदेश

काल भैरव जयंती 2022: भगवान भैरवनाथ का ऐसा मंदिर केवल रीवा में, पूरी दुनिया से लोग आते हैं देखने

Aaryan Dwivedi
16 Nov 2022 5:15 AM GMT
काल भैरव जयंती 2022: भगवान भैरवनाथ का ऐसा मंदिर केवल रीवा में, पूरी दुनिया से लोग आते हैं देखने
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Bhairav Nath Mandir Rewa: भगवान भैरव नाथ की आदमकद प्रतिमा विश्व भर में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। ऐसी दूसरी भैरव नाथ की प्रतिमा इस देश में नहीं है। इसका विंध्य

Kaal Bhairav Jayanti 2022, Bhairav Nath Mandir Rewa: भगवान भैरव नाथ की आदमकद प्रतिमा विश्व भर में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। ऐसी दूसरी भैरव नाथ की प्रतिमा इस देश में नहीं है। इसका विंध्य क्षेत्र के लिए धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। आज काल भैरव जयंती है, और पूरा देश भैरवनाथ भगवान की जयंती को मना रहा है

उक्त भैरवनाथ प्रतिमा देश भर में आकर्षण केंद्र बनी है। भगवान भैरवनाथ की विशाल मूर्ति जो जमीन मे सीधी पड़ी हुयी है। इसे उठाने के तमाम प्रयास किये गये लेकिन असफल साबित हुए। बताया जाता है कि बाद में क्रेन की सहायता से उठाने का प्रयास किया गया लेकिन वह भी असफल ही रहा।

यह भैरव प्रतिमा रीवा जिले की गुढ़ तहसील के नजदीक खामडीह में स्थित है। मध्य प्रदेश राज्य संरक्षित स्मारक के रूप घोषित मध्यप्रदेश प्राचीन स्मारक पुरातत्वीय स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1964 का य12 तथा नियम 1976 के अधीन भैरवनाथ प्रतिमा को प्रांतीय महत्व का राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है।

इतिहास के अनुसार इसका निर्माण 10वीं 11वीं शताब्दी के मध्य का माना जाता है। प्रतिमाकी लंबाई 8.50 मीटर तथा चैड़ाई 3.70 मीटर है। इस प्रतिमा के दाई ओर हाथ में रुद्राक्ष की माला है, दाईं ओर के ऊपरी हाथ में सर्प और नीचे के हाथ में कलश स्थापित है, गले में रुद्राक्ष की माला और सर्प लिपटे हुए हैं। कमर में सिंहमुख अंकन का आकर्षण है।

इस मूर्ति के दोनों ओर एक खड़े हुए एक बैठे हुए पूजन करते हुए व्यक्ति का अंकन है। इस तरह की विशालकाय और कलाकृतियों से सजी देश की अद्भुत प्रतिमाओं में से यह एक है। लोग प्रतिमा को छू नहीं सकते, केवल उसे देख सकते हैं।

ऐसी भैरव प्रतिमा दूसरी कहीं भी नहीं, जहां विश्व भर के लोगों का होता है आना-जाना

अगर आप अभी यह मंदिर मे अभी तक नहीं आए हैं तो यहा एक बार जरूर आए और शिल्पकार की शिल्पकारिता का एक आनंद उठाएं। भैरव मंदिर से कुछ ही दूर पर हांथी के बड़े पाव के निशान हैं। ऐसी मान्यता हैं शिल्प कार को भगवान गणेश ने दर्शन दिए थे और भगवान शिव के भैरव रूप की प्रमिमा बनाने की प्रेरणा दी थी।

ऐसी है धार्मिक मान्यता

मान्यता के अनुसार भगवान भैरवनाथ की स्थापना-पूजा गृहस्थ लोग नहीं करते हैं, लेकिन उनके मंदिर में जाकर तो उनका नाम लिया ही जा सकता है। उनके स्तोत्र का पाठ किया जा सकता है। भैरव का नाम लेने से ही सिद्धियां मिल जाती हैं। यदि आप रोग मुक्त होना चाहते हैं या आपको लगता है कि आप पर किसी ने तंत्र प्रयोग किया है या आपको बुरी नजर लग गई है तो भैरव का नाम अवश्य लें। भैरव मंदिर में उनका नाम जपने से बड़े से बड़े रोगों से मुक्ति मिल जाती है।

भैरव मंदिर में बैठकर भैरव स्तोत्र का पाठ करने से जीवन की बाधाएं समाप्त होती हैं। अक्सर हम महसूस करते हैं हमारे आसपास नेगेटिव वातावरण बन जाता है। हम अचानक ही परेशान महसूस करने लगते हैं। ऐसे में भैरव का नाम जपने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। जन्मकुंडली में मंगल दोष हो, मंगल पीड़ा दे रहा हो तो किसी सिद्ध भैरव मंदिर में पूजा करवाएं। भैरव या देवी मंदिर में बैठकर भैरव नामावली का पाठ करने से दुष्प्रभाव समाप्त होता है।

शिवमहापुराण के अनुसार भगवान शिव के क्रोध से भैरवनाथ की उत्पत्ति हुई थी और इन्हें शिव गण के रूप में स्थान प्राप्त है। ग्रंथों में अष्ट भैरवों का जिक्र मिलता है। ये आठ भैरव आठों दिशाओं पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, आग्नेय, नैऋत्य, वायव्यद्ध का प्रनिधित्व करते हैं और आठों भैरवों के नीचे आठण्आठ भैरव होते हैं। यानी कुल 64 भैरव माने गए हैं।

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