मध्यप्रदेश

एमपी का कोई सरकारी स्कूल A+ ग्रेड में नहीं, राज्य शिक्षा केन्द्र की रिपोर्ट से हुआ खुलासा

Sanjay Patel
3 March 2023 11:13 AM GMT
एमपी का कोई सरकारी स्कूल A+ ग्रेड में नहीं, राज्य शिक्षा केन्द्र की रिपोर्ट से हुआ खुलासा
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मध्यप्रदेश में पहली से आठवीं तक की पढ़ाई के लिए 1 लाख सरकारी स्कूल संचालित हैं। किन्तु इनमें से किसी को भी ए प्लस ग्रेड नहीं मिल सका है।

मध्यप्रदेश में पहली से आठवीं तक की पढ़ाई के लिए 1 लाख सरकारी स्कूल संचालित हैं। किन्तु इनमें से किसी को भी ए प्लस ग्रेड नहीं मिल सका है। इसका खुलासा राज्य शिक्षा केन्द्र जारी की गई रिपोर्ट से हुआ है। इस रिपोर्ट को गत वर्ष दो हिस्सों में तैयार किया गया था। राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा पहली रिपोर्ट को जून से अगस्त माह की है जबकि दूसरी रिपोर्ट सितम्बर से नवंबर तिमाही की बताई गई है।

स्कूलों का 100 अंक का तैयार हुआ था रिपोर्ट कार्ड

राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा एमपी की पहली से आठवीं तक की सरकारी स्कूलों का रिपोर्ट कार्ड 100 अंकों के लिए तैयार किया गया था। विधानसभा में कांग्रेस विधायक हर्ष विजय गेहलोत के सवाल के जवाब में इसका खुलासा हुआ। रिपोर्ट कार्ड में स्कूलों में प्रवेश, बच्चों व शिक्षकों की उपस्थिति, पढ़ाई, समानता, स्कूलों में अधोसंरचना विकास, प्रशासन के साथ ही वित्तीय प्रबंधन व साक्षरता कार्यक्रम आदि बिंदु शामिल थे। वहीं स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा है कि शिक्षा के स्तर में सुधार के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

ग्रेडिंग के यह अंक थे निर्धारित

पहली से आठवीं कक्षा तक की सरकारी स्कूलों की ग्रेडिंग के लिए राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा यह अंक निर्धारित किए गए थे। 90 अंक या उससे ज्यादा आने वाली विद्यालयों को ए प्लस ग्रेड, 75 से 90 अंक वाली विद्यालयों को ए ग्रेड, 60 से 75 अंक वाली विद्यालयों को बी ग्रेड, 50 से 60 अंक वाली विद्यालयों को सी ग्रेड और 50 अंक से नीचे वाली विद्यालयों को डी ग्रेड दिया गया।

ए ग्रेड के जिले भी घट गए

राज्य शिक्षा केन्द्र की रिपोर्ट से यह भी खुलासा हुआ है कि पहली तिमाही में जहां 15 जिलों को ए ग्रेड मिला था वह दूसरी तिमाही में घटकर तीन हो गए। जून से अगस्त माह के बीच पहली तिमाही में ए ग्रेड 15 जिलों को हासिल हुआ जिसकी संख्या दूसरी तिमाही सितंबर से नवंबर के बीच घटकर 3 जिलों में सिमट गई। रिपोर्ट में छात्रों के स्वास्थ्य, मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता और नियमितीकरण, विद्यार्थियों के सामान्य ज्ञान जैसे पैरामीटर नहीं जोड़े गए, जिस पर सवाल में आपत्ति जताई गई।

दूसरी तिमाही में 51 से 29 पर पहुंचा भोपाल

केन्द्र की रिपोर्ट से विधानसभा में यह जानकारी भी सामने आई कि भोपाल दूसरी तिमाही में 51 से 29वें, इंदौर 42 से 28वें और जबलपुर 37 से 25वें स्थान पर पहुंच गया। पहली तिमाही जून से अगस्त के दौरान सी ग्रेड में रतलाम जिला एमपी में अकेला था। जिसमें दूसरी तिमाही में सात और जिले जुड़ गए। जून से अगस्त की तिमाही में जहां सी ग्रेड में रतलाम और दूसरी में धार सबसे नीचे रहा। राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा 100 अंकों के लिए विद्यालयों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया गया था।

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