मध्यप्रदेश

स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, पर कमलनाथ के नहीं है सिग्नेचर

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कांग्रेस द्वारा विधानसभा स्पीकर गिरीश गौतम के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। यह प्रस्ताव स्वीकार होगा या नहीं इस पर निर्णय 17 मार्च को तय होगा।

कांग्रेस द्वारा विधानसभा स्पीकर गिरीश गौतम के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। यह प्रस्ताव स्वीकार होगा या नहीं इस पर निर्णय 17 मार्च को तय होगा। कांग्रेस का स्पष्ट कहना है कि स्पीकर की कुर्सी किसी दूसरे नेता को सौंपी जाए तभी सदन चलेगा। विधानसभा की कार्यवाही 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई है। अब आने वाला समय ही निश्चित करेगा कि कांग्रेस द्वारा दिए गए अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार किया जाए या नहीं इसके पश्चात सदन में चर्चा का निर्णय लिया जाएगा।

क्या है पूरा मामला

विधानसभा सत्र के दौरान लगातार विरोध और विपक्ष द्वारा गतिरोध उत्पन्न किया जा रहा था। गुरुवार को स्पीकर ने कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को निलंबित कर दिया था। इसके बाद कांग्रेस के विधायक जीतू पटवारी के साथ खड़े होकर सदन में विरोध कर रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने लगाया नरोत्तम पर आरोप

नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने नरोत्तम मिश्रा पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह उन्हें किताब फेंक कर मारे हैं। उन्होंने कहा कि वह संसदीय कार्य मंत्री के विरुद्ध अवमानना प्रस्ताव लाएंगे। नेता प्रतिपक्ष के इशारों पर संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने स्पष्ट किया कि उन्होंने किताब नहीं मारी है। उनका कहना है कि वह चपरासी को हटा रहे थे उसी समय किताब गिर गई है।

नेता प्रतिपक्ष का यह भी कहना है कि स्पीकर गिरीश गौतम ने एक पक्षी कार्यवाही कर जीतू पटवारी को तो निलंबित कर दिया लेकिन उनकी मांग है कि नरोत्तम मिश्रा को भी निलंबित किया जाए। लेकिन स्पीकर ने ऐसा नहीं किया। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह सब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के इशारे पर हो रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि खुलासे न हो जाए इसलिए सदन चलने नहीं देते।

प्रदेश अध्यक्ष के नहीं हैं हस्ताक्षर

स्पीकर के लिए लाए गए अविश्वास प्रस्ताव की नेता प्रतिपक्ष ने विधानसभा के पीएस एपी सिंह को सूचना दी है। जिसमें 45 विधायकों के हस्ताक्षर हैं। लेकिन उसमें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के सिग्नेचर नहीं है। इस मामले पर संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा द्वारा सवाल भी उठाया गया जिस पर कांग्रेस का कहना है कि उन्होंने कमलनाथ से चर्चा के बाद यह प्रस्ताव लाया है। कमलनाथ इस समय जोबट में है।

क्या है अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य

जानकारों की माने तो नियमानुसार अविश्वास प्रस्ताव प्राप्त होने के 14 दिन के भीतर निर्णय लेना होता है कि इसे स्वीकार किया जाए या नहीं। यदि प्रस्ताव स्वीकार होता है तो 10 दिन में चर्चा के लिए तिथि निर्धारित की जाती है।

बताया गया है कि जब अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होनी होती है उस समय अध्यक्ष के स्थान पर किसी सदस्य को पीठासीन अधिकारी बना कर बैठाया जाता है। हालांकि अध्यक्ष सदन में उपस्थित रह सकते हैं साथ ही मतदान भी कर सकते हैं। वैसे आमतौर पर अभी तक के पूर्व लाए गए अन्य विश्वास प्रस्ताव को वापस ले लिया गया था।

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