मध्यप्रदेश

New Districts In MP: नागदा और मऊगंज के जिला बनने के बाद सोनकच्छ, कन्नौद, खातेगांव, जावरा, खाचरोद, महिदपुर आदि तहसील को जिला बनाने को लेकर Big Update

New Districts In Madhya Pradesh
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New Districts In Madhya Pradesh

New Districts In Madhya Pradesh: नया जिला बनाना क्षेत्र की आवश्यकता होती है या फिर राजनैतिक लाभ अर्जित करने के लिए ऐसा किया जाता है.

New Districts In Madhya Pradesh | New Districts In MP | Madhya Pradesh News: नया जिला बनाना क्षेत्र की आवश्यकता होती है या फिर राजनैतिक लाभ अर्जित करने के लिए ऐसा किया जाता है। इसका जवाब तो आने वाले समय में मिलेगा। क्योंकि मध्य प्रदेश से अलग कर जब छत्तीसगढ़ राज्य बनाया गया उसके बाद मध्य प्रदेश में जिले बनने का दौर शुरू हुआ जो अब तक चल रहा है।

किसे मिलेगा लाभ

मध्य प्रदेश में चुनाव नजदीक है। प्रदेश के मुखिया नए-नए जिलो की घोषणा कर रहे हैं। 15 अगस्त 2023 को रीवा जिले से अलग कर मऊगंज जिला बनाया जा रहा है। अब देखना यह है कि मऊगंज जिला बनने के बाद सबसे अधिक फायदा कौन सी पार्टी उठा पाती है। क्योंकि कांग्रेस भी इस बार पूरी तैयारी के साथ सत्ता में वापसी के लिए प्रयासरत है।

एमपी और सीजी़ अलग होते ही शुरू हुआ दौर

ज्ञात हो कि वर्ष 2000 में इससे अलग कर छत्तीसगढ़ को नया राज्य घोषित किया गया। उस समय मध्य प्रदेश में 45 जिले थे। लेकिन आज वर्तमान में मध्य प्रदेश में 54 जिले हो चुके हैं। राजनैतिक कारणों से नए-नए जिले बनाए जा रहे हैं। सत्ताधारी पार्टी अपने कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों की मांग को ध्यान में रखते हुए नया जिला बनाने में जुटे हुए हैं। यह बात भले अलग है कि नए जिले बनने के बाद उसका लाभ राजनीतिक पार्टियों को कितना मिलता है यह तो आने वाला समय ही निश्चित करेगा।

सरकार पर बढ़ता है आर्थिक बोझ

नया जिला बनाना कोई सरल कार्य नहीं है। जिला मुख्यालय में हर जरूरी कार्यालय, भवन और कर्मचारियों की तैनाती आवश्यक हो जाती है। जिसमें राज्य सरकार पर काफी आर्थिक बोझ बढ़ता है। नए जिले को विकास की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए वहां की स्थानीय जनता सरकार से लगातार मांग करती रहती है। मांग पूरी न होने पर जनता के बीच असंतोष पनपता है।

कैसे हुई नया जिला बनाने की शुरुआत

क्योंकि पहले जनसंख्या क्षेत्रफल तथा अन्य कई कारणों की वजह से जिला बनाने की मांग उठती थी। जिला मुख्यालय से तहसील मुख्यालय ज्यादा दूर होने पर कई बार निगरानी में जिला प्रशासन को असुविधा हुआ करती थी। ऐसे में नया जिला बनाना सरकार के लिए आवश्यक हो जाता था। लेकिन आज के समय में जब परिवहन व्यवस्था इतनी सुदृढ़ है कि 100 किलोमीटर की दूरी सागर जिला मुख्यालय से दूरस्थ तहसील है तो मात्र कुछ ही घंटों में किसी भी परिस्थिति में पहुंचा जा सकता है। उसके बाद भी अब नए जिला बनाने का क्रम घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि नैतिक कारणो की वजह से नए जिले बनाने की घोषणा हो रही है।

वर्ष 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती ने 3 नए जिले बनाने का वादा जनता से किया था। भाजपा की सरकार बनने के बाद बुरहानपुर, अशोकनगर और अनूपपुर को जिला बनाया गया। वही बीजेपी सरकार में ही खंडवा से अलग कर बुरहानपुर, गुना से अलग कर अशोकनगर और शहडोल से अलग कर अनूपपुर को नया जिला बनाया गया।

अब इसमें जिलों की संख्या 48 हो गई। इसके बाद भी जिला बनने का क्रम आगे बढ़ता ही रहा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2008 में 2 नए जिले बनाने की घोषणा की। उन्होंने सीधी से अलग कर सिंगरौली को नया जिला बना दिया। इसी प्रकार झाबुआ से अलग करते हुए अलीराजपुर को नया जिला बनाया गया। अब मध्य प्रदेश में जिलों की संख्या 50 हो गई।

इसके बाद एक बार फिर शाजापुर से अलग कर आगर मालवा को नया जिला बनाया गया। वह टीकमगढ़ से अलग करते हुए निवाडी को नया जिला बनाया गया। अब रीवा जिले से अलग कर मऊगंज को नया जिला घोषित कर दिया गया है इसी तरह नागदा को भी नया जिला बना दिया गया। वर्तमान समय में मध्य प्रदेश में 54 जिले हो चुके हैं।

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