मध्यप्रदेश

एमपी में प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड का हुआ गठन, पहले दौर में 5710 गांवों का चयन

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) को प्राकृतिक खेती में भी नंबर वन बनाने वाले हैं।

MP Natural Agriculture Development Board: प्राकृतिक खेती बहुत ही सरल सा शब्द है। इसे समझने के लिए ज्यादा माथापच्ची करने की आवश्यकता नहीं है। समझना सिर्फ इतना है कि मध्य प्रदेश सरकार ने खास तौर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड का गठन कर दिया है। किस बोर्ड की निगरानी स्वयं शिवराज सिंह चौहान अपनी अध्यक्षता में कर रहे हैं। गेहूं उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश को नंबर वन बनाने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब प्रदेश को प्राकृतिक खेती में भी नंबर वन बनाने वाले हैं। इस प्राकृतिक खेती के लिए 5710 गोवों का चयन किया गया है।

क्या है प्राकृतिक खेती

प्राकृतिक खेती अपने नाम से ही अपने प्रकृति को स्पष्ट कर रही है। कहने का मतलब जिस खेती में प्रकृति के अलावा अन्य किसी भी उत्पादित चीजों का उपयोग न हो वही प्राकृतिक खेती है। साफ तौर पर कहा जाए तो जिस खेती में रासायनिक खाद, रासायनिक कीटनाशक का उपयोग न किया जाता हो वही प्राकृतिक खेती है।

5710 गांव चिन्हित

प्राकृतिक खेती के लिए मध्य प्रदेश के 5710 गांवों को चिन्हित किया गया है। इन गांवों में ज्यादातर किसान प्राकृतिक खेती करेंगे। वह भी पूर्णरूपेण जैविक उत्पादन कर प्रदेश को सफल बनाएंगे। इसके लिए अभी रजिस्ट्रेशन भी चल रहा है। 31 मई तक प्राकृतिक खेती करने के लिए इच्छुक किसान आवेदन कर सकते हैं। अब तक के रजिस्ट्रेशन में करीब 25000 से अधिक किसानों ने अपनी रुचि दिखाई है रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। वह अब प्राकृतिक खेती करेंगे

इस प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सभी कृषि विश्वविद्यालयो को अनिवार्य कर दिया गया है। अब प्रदेश के हर कृषि विश्वविद्यालय प्राकृतिक खेती अनिवार्य रूप से करेंगे। जिससे एक मॉडल किसानों के बीच प्रस्तुत किया जा सके।

सबसे अहम बात यह है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा नदी के दोनों तरफ 5 किलोमीटर क्षेत्र में प्राकृतिक कृषि को प्राथमिकता देने के लिए कहा है। इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वह एक कार्यक्रम तैयार करें। साथ ही किसानों को भी प्राकृतिक खेती के लिए जानकारी दें और प्रोत्साहित करें।

किसान जाएंगे हरियाणा और गुजरात

प्राकृतिक खेती का जलवा देखने के लिए किसानों को हरियाणा और गुजरात में भेजा जाएगा। जिसका खर्च सरकार वहन करेगी। किसान गुजरात और हरियाणा में जाकर देखेंगे कि प्राकृतिक खेती किसान कैसे करते हैं। किसानों से मिलकर उन्हें ज्ञात होगा कि इसमें कितना लाभ है। साथ ही किसानों को खेती के बारे में छोटी-छोटी जानकारियां प्राप्त हो जाएंगे। किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए शिवराज सरकार इस तरह के कदम उठा रही है।

वैसे भी प्राकृतिक खेती से उत्पादित होने वाला अनाज महंगे दामों में बिक रहा है। आज प्राकृतिक खेती जिसे नेचुरल फार्मिंग के नाम से भी जाना जा सकता है। बाजार में नेचुरल फार्मिंग के अनाजों की कीमत रासायनिक तौर पर उत्पादित फसलों से कई गुना ज्यादा है।

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