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MP News: 329 पुलिसकर्मियों पर केस, सबसे ज्यादा मामले भोपाल में

• सबसे ज्यादा 48 प्रकरण भोपाल शहर में, ग्वालियर दूसरे स्थान पर
• इंदौर और भोपाल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली के बाद अपराध बढ़ने के आरोप
• 259 मामलों में चालान पेश, 61 में अभी जांच जारी
MP Law & Order | कानून के रखवाले ही बने कानून तोड़ने वाले
मध्यप्रदेश में पुलिस कानून-व्यवस्था संभालने वाली सबसे महत्वपूर्ण व्यवस्था है, लेकिन पिछले दो वर्षों में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे चिंता बढ़ाने वाले हैं। विधानसभा में प्रस्तुत सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो सालों में प्रदेश के विभिन्न जिलों में पदस्थ 329 पुलिसकर्मियों के खिलाफ अलग-अलग धाराओं में प्रकरण दर्ज किए गए हैं।
इन मामलों में लापरवाही, मारपीट, अवैध वसूली, दुर्व्यवहार, धमकी, भ्रष्टाचार जैसे आरोप शामिल हैं। इन पुलिसकर्मियों में कांस्टेबल से लेकर सब-इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर रैंक तक के कर्मचारी शामिल हैं।
Assembly Update | बाला बच्चन के सवाल पर सरकार ने दी जानकारी
विधानसभा में विधायक बाला बच्चन ने प्रश्न पूछा था कि पिछले दो वर्षों में पुलिसकर्मियों पर कितने मामलों में एफआईआर हुई है। सरकार द्वारा दिए गए लिखित जवाब में यह स्पष्ट हुआ कि—
• कुल 329 पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज
• 259 मामलों में चालान पेश
• 61 मामलों में जांच जारी
• कई मामलों में संवेदनशील विभागीय जांच भी चल रही है
District-Wise Breakdown | किन जिलों में कितने मामले?
सबसे ज्यादा मामले भोपाल शहर में दर्ज किए गए हैं। यहां कुल 48 पुलिसकर्मियों पर विभिन्न धाराओं में केस हुआ। दूसरे नंबर पर ग्वालियर (27 केस) रहा। इसके बाद सिवनी (18), इंदौर शहर (17), इंदौर देहात (17), गुना (17), बालाघाट (13) में सबसे ज्यादा प्रकरण दर्ज हुए।
Full List | कहां कितने केस?
• भोपाल शहर – 48
• ग्वालियर – 27
• सिवनी – 18
• इंदौर शहर – 17
• इंदौर देहात – 17
• गुना – 17
• बालाघाट – 13
वहीं, अशोकनगर, आगर मालवा, उमरिया, डिंडोरी, पांढुर्ना, भोपाल देहात, मऊगंज, मैहर, श्योपुर और सीधी जिलों में एक भी पुलिसकर्मी के खिलाफ प्रकरण दर्ज नहीं हुआ। इससे यह भी सामने आया कि कुछ क्षेत्रों में पुलिस व्यवस्था अपेक्षाकृत अधिक अनुशासित बनी हुई है।
Commissionerate System | इंदौर और भोपाल में अपराध क्यों बढ़े?
सरकारी आंकड़ों के साथ यह चर्चा भी जोरों पर है कि भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद अपराध कम होने के बजाय कुछ श्रेणियों में बढ़ गए हैं। विशेष रूप से—
• लूट
• चोरी
• वाहन चोरी
• मारपीट इन्हीं अपराधों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
विपक्ष का दावा है कि कमिश्नर प्रणाली से अपेक्षित परिणाम नहीं मिले, जबकि सरकार का कहना है कि अपराध नियंत्रण के लिए व्यापक अभियान चलाए जा रहे हैं और जल्द सुधार दिखेगा।
Why Police Facing Cases? | इतने पुलिसकर्मी FIR की जद में क्यों?
रिपोर्ट के अनुसार, दर्ज मामलों के पीछे कई कारण सामने आए—
• विभागीय लापरवाही
• अनुशासनहीनता
• नागरिकों से दुर्व्यवहार
• घरेलू विवाद
• शराब पीकर हंगामा
• सरकारी पद का दुरुपयोग
• धन संबंधी विवाद
कई मामलों में पुलिस विभाग ने आरोप गंभीर पाए जाने पर निलंबन और बर्खास्तगी जैसी कार्रवाई भी की गई है।
FAQs | अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
कितने पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज हुए?
पिछले दो वर्षों में कुल 329 पुलिसकर्मियों पर विभिन्न धाराओं में केस दर्ज हुए।
सबसे ज्यादा मामले किस जिले में दर्ज हुए?
भोपाल शहर में सबसे ज्यादा 48 प्रकरण दर्ज हुए।
कितने मामलों में जांच लंबित है?
61 मामलों में अभी जांच जारी है।
क्या सभी जिलों में पुलिसकर्मियों पर केस हुए?
नहीं, कई जिलों—जैसे श्योपुर, सीधी, मऊगंज, उमरिया आदि में कोई मामला दर्ज नहीं हुआ।
क्या कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद अपराध बढ़े?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कुछ अपराधों में वृद्धि दर्ज की गई है, हालांकि सरकार सुधार का दावा कर रही है।




