मध्यप्रदेश

MP Panchayat Chunav: पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, दिए यह निर्देश

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Madhya Pradesh Panchayat Chunav Latest News Updates: मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव के लिए राज्य निवार्चन आयोग एवं सरकार को दिए यह निर्देश

MP Panchayat Chunav Supreme Court Faisla: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मध्यप्रदेश पंचायत चुनाव (Madhya Pradesh Chunav) को लेकर आज 17 दिसंबर 2021 को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को जमकर फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से कहा है कि कानून के दायरे में ही रहकर चुनाव करवाएं और ओबीसी के लिए निर्धारित सीटों को सामान्य सीटों में तब्दील करने की अधिसूचना जारी करें।

दरअसल महाराष्ट्र के बाद अब मध्य प्रदेश में भी निकाय और पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया है। मध्य प्रदेश में होने वाले स्थानीय निकाय में अन्‍य पिछड़ा वर्ग आरक्षण पर चुनाव नहीं होगा। ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य सीट मानते हुए चुनाव कराने को कहा गया है।

संविधान के तहत हो चुनाव

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कहा कि ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना आरक्षण के फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता, जो अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से कहा कि कानून के दायरे में ही रहकर चुनाव करवाएं और ओबीसी के लिए निर्धारित सीटों को सामान्य सीटों में तब्दील करने की अधिसूचना जारी करें।

अदालत ने कहा कि कानून का पालन नहीं होगा तो भविष्य में सुप्रीम कोर्ट चुनाव को रद्द भी कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को करेगा। याचिकाकर्ताओं के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा के मुताबिक राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए गए हैं कि चुनाव संविधान के हिसाब से हो तो ही कराइए।

आरक्षण 2014 के हिसाब से हो रहा चुनाव

राज्य निर्वाचन आयोग असमंजस में है, क्योंकि पंचायत चुनाव को लेकर 2014 के आरक्षण के हिसाब से जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, सरपंच और पंच के नामांकन भरवाए जा रहे हैं। चूंकि जिला पंचायत अध्यक्ष की प्रक्रिया और चुनाव इसके संपन्न होने के बाद होगी, इसलिए मामला खटाई में पड़ता गया है। सब कुछ नए सिरे से होगा।

हाईकोर्ट ने अर्जेंट हियरिंग से किया था इनकार

एमपी हाईकोर्ट में याचिका पर अर्जेंट हियरिंग न होने के फैसले के बाद याचिकाकर्ताओं ने 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण लगाया था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने इसे स्वीकार करते हुए शुक्रवार को सुनवाई की तारीख तय की थी।

यह थी याचिका

पंचायत चुनाव की वैधानिकता, अध्यादेश, रोटेशन और परिसीमन को लेकर याचिकाएं लगाई गई थी। दायर की गई अलग-अलग याचिकाओं में पहले ग्वालियर खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। वहां से प्रकरण मुख्य खंडपीठ पहुंची। वहां नौ दिसंबर को एक साथ सभी याचिकाओं की सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से मना कर दिया। तब याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दिया था। सुप्रीम कोर्ट में 15 को हाईकोर्ट और 16 को हाईकोर्ट द्वारा अर्जेंट हियरिंग से मना करने पर फिर याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।

दरअसल भोपाल के मनमोहन नायर और गाडरवाडा के संदीप पटेल सहित पांच अन्य याचिकाकर्ताओं ने तीन चरणों में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की वैधानिकता को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है राज्य सरकार ने 2014 के आरक्षण रोस्टर से चुनाव करवाने के संबंध में अध्यादेश पारित किया है,जो असंवैधानिक है। 2019 में राज्य सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से नए सिरे से आरक्षण लागू किया था। बिना इस अध्यादेश को समाप्त किए, दूसरा अध्यादेश लाकर 2022 का पंचायत चुनाव 2014 के आरक्षण के आधार पर कराने का निर्णय लिया गया है, जो असंवैधानिक है।

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