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MP में किसानों को ज्यादा बिजली देने पर अधिकारी-कर्मचारियों की सैलरी काटने के आदेश, इसके पहले धान-गेंहू न खरीद पाने का पत्र केंद्र को भेजा था

- बेमौसम बारिश से फसलें बर्बाद, अब किसानों को बिजली संकट का झटका।
- इसके पहले सीएम ने केंद्र को एक पत्र लिखा था, जिसमें किसानों से धान-गेंहू की खरीदी न कर पाने का जिक्र था।
- बिजली विभाग का आदेश – कृषि फीडर पर 10 घंटे से अधिक बिजली दी तो सैलरी कटेगी।
- जेई से लेकर जीएम तक पर लागू होगा वेतन कटौती नियम।
- कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले को "किसान विरोधी" बताया।
भोपाल (मध्यप्रदेश) – बेमौसम बारिश से पहले ही किसान अपनी फसलों के नुकसान से परेशान थे, अब बिजली विभाग ने उन पर एक और बोझ डाल दिया है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने आदेश जारी किया है कि यदि किसानों को एक दिन में 10 घंटे से अधिक बिजली दी गई, तो संबंधित ऑपरेटर और इंजीनियरों की सैलरी काटी जाएगी।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता विनोद शर्मा ने भाजपा सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया है। शर्मा ने कहा कि पहले स्व-घोषित किसान हितैषी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 77 हजार करोड़ के कर्ज का हवाला देकर किसानों से अनाज न खरीद पाने का पत्र केंद्र को लिखते हैं। फिर बरसात से बर्बाद हुई फसलों की मार झेल रहें किसानों के खिलाफ सरकार के सह पर बिजली कंपनी कृषि फीडर में ज्यादा बिजली न देने का आदेश जारी करती है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो कांग्रेस किसान भाइयों के हित की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरेगी। ये डबल इंजन वाली भाजपा सरकार दोगली है। यह कभी भी किसान हितैषी थी ही नही। अब यह बात खुलकर सामने आ रही है।
किसानों को बिजली अब ‘टाइम टेबल’ से मिलेगी
कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक एके जैन द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि किसी भी कृषि फीडर पर 10 घंटे से अधिक आपूर्ति की अनुमति नहीं होगी। यह आदेश भोपाल, ग्वालियर, सीहोर, राजगढ़, नर्मदापुरम, रायसेन, हरदा, विदिशा, अशोकनगर, गुना, भिंड, मुरैना, श्योपुर, शिवपुरी और दतिया जिलों में लागू किया गया है।
बिजली कर्मचारियों पर सैलरी कटौती का नियम
आदेश के अनुसार, यदि किसी कृषि फीडर पर 10 घंटे से अधिक बिजली दी जाती है तो ऑपरेटर की एक दिन की सैलरी काटी जाएगी। यदि लगातार 2 दिन तक ऐसा होता है, तो जूनियर इंजीनियर (JE) की सैलरी कटेगी। यदि यह स्थिति 5 दिन तक रहती है, तो एक्जीक्यूटिव इंजीनियर पर कार्रवाई होगी। 7 दिन तक लगातार 10 घंटे से अधिक बिजली देने पर डीजीएम या जीएम का एक दिन का वेतन काटा जाएगा।
किसानों में नाराजगी, कांग्रेस ने बताया दोहरा रवैया
इस आदेश के बाद किसानों में आक्रोश फैल गया है। कांग्रेस ने इसे भाजपा सरकार का "दोगलापन" बताया है। पार्टी नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एक दिन पहले किसानों के बिजली बिल पर सरचार्ज माफी की घोषणा करते हैं और अगले ही दिन विभाग सख्ती का आदेश जारी कर देता है।
आदेश में क्या कहा गया?
आदेश में स्पष्ट लिखा गया है कि “यदि खराब मौसम, मिट्टी की नमी या तकनीकी कारणों से लोड बढ़ता है, तब भी बिजली आपूर्ति 10 घंटे से अधिक नहीं की जाएगी।” कृषि फीडर मीटर के डेटा के अनुसार हर दिन 15 मिनट से अधिक की त्रुटि को नियम उल्लंघन माना जाएगा। आदेश के अनुसार, प्रत्येक जिले के अधिकारी को इस पर रोजाना रिपोर्ट हेडक्वार्टर भेजनी होगी।
बिजली विभाग की सफाई – तकनीकी सुरक्षा और आर्थिक संतुलन
विभाग ने इस पर सफाई देते हुए कहा है कि “कुछ असामाजिक तत्वों के दबाव में कई बार किसानों को घोषित समय से अधिक बिजली दी जाती है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।” इसके अलावा 24x7 घरेलू फीडरों पर बिजली आपूर्ति में भी बाधा आती है। विभाग का कहना है कि निर्धारित समय से अधिक बिजली देने से कंपनी को तकनीकी और वित्तीय नुकसान होता है, जिससे विद्युत वितरण परियोजनाओं पर असर पड़ता है।
किसानों की मांग – फसल बचाने के लिए लचीले घंटे जरूरी
किसानों ने कहा कि बेमौसम बारिश के बाद खेतों में सिंचाई की जरूरत है। ऐसे में यदि बिजली सिर्फ 10 घंटे तक ही मिलेगी तो फसलें सूख जाएंगी। किसानों ने सरकार से बिजली आपूर्ति समय बढ़ाने की मांग की है ताकि खरीफ और रबी सीजन में उत्पादन प्रभावित न हो।




