मध्यप्रदेश

MP के 92000 वकील तीन दिन की हड़ताल पर, न्यायालयों में काम नहीं होने से पक्षकार परेशान

Sanjay Patel
23 March 2023 11:13 AM GMT
MP के 92000 वकील तीन दिन की हड़ताल पर, न्यायालयों में काम नहीं होने से पक्षकार परेशान
x
Jabalpur High Court News In Hindi: प्रदेश के वकील स्टेट बार काउंसिल के आह्वान पर आज से तीन दिनों के हड़ताल पर चले गए हैं। एमपी के 92 हजार वकीलों के हड़ताल पर चले जाने से न्यायालयों में कामकाज ठप हो गया है।

प्रदेश के वकील स्टेट बार काउंसिल के आह्वान पर आज से तीन दिनों के हड़ताल पर चले गए हैं। एमपी के 92 हजार वकीलों के हड़ताल पर चले जाने से न्यायालयों में कामकाज ठप हो गया है। प्रकरणों की सुनवाई नहीं होने से पक्षकारों को भी अच्छी खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बताया गया है कि अभी यह हड़ताल तीन दिवसीय है।

कोर्ट पहुंचे किंतु काम नहीं किया

एमपी ग्वालियर की बात की जाए तो आज न्यायालयों में वकील तो पहुंचे किंतु उनके द्वारा कार्य नहीं किया गया। जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में जिले के वकील एकत्रित हुए और मीडिया के सामने अपनी बात रखी। इस संबंध में राज्य अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष एडवोकेट प्रेम सिंह भदौरिया मीडिया से रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि हम सबस माननीय मुख्य न्यायाधिपति द्वारा दिए गए आदेश का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि मुख्य न्यायाधिपति ने अपने उच्च न्यायालयों में केस की पेडेंसी पर कभी ध्यान नहीं दिया किंतु अधीनस्थ न्यायालयों के लिए तीन महीने में निराकरण का आदेश दिया। मुख्या न्यायाधपति ने यह आदेश दिया है कि 3 महीने में 25 केसों का निराकरण है जो व्यवहारिक नहीं है। जिसका विरोध वकीलों द्वारा किया जा रहा है।

25 मार्च तक रहेगी हड़ताल, 26 को बनेगी अगली रणनीति

स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष एड. प्रेम सिंह के मुताबिक उनके द्वारा कई पत्र चीफ जस्टिस को भेजे हैं किंतु अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई। जिससे 23 मार्च से 25 मार्च तक कार्य से तीन दिन कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया गया है। 26 मार्च को रविवार है इस दौरान यदि चीफ जस्टिस महोदय हम लोगों से कोई बातचीत करते हैं या फैसला रद्द करते हैं अथवा कुछ महीनों के लिए स्थगित कर देते हैं तो उससे पक्षकारों को सही मायने में न्याय मिलेगा। यदि ऐसा नहीं होता तो आगे की बैठक कर अगली रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि इस आदेश के बाद सही मायने में न्याय की भ्रूण हत्या हो रही है। उस न्याय को प्राप्त करने का जिसे अधिकार है उसे पूरा करने से पहले ही उसकी हत्या हो रही है। जिसके कारण प्रदेश के सभी डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन, स्टेट बार काउंसिल ने चीफ जस्टिस से आग्रह किया था कि आदेश व्यवहारिक नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे न्यायाधीशगण, अभिभाषकगण शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान हैं इसलिए इस आदेश को वापस लिया जाना चाहिए।

Next Story