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MP में लागू होगा नया मॉडल किराएदारी कानून: मकान मालिक-किराएदार दोनों के हित सुरक्षित होंगे, शहरी-ग्रामीण, व्यावसायिक सभी प्रॉपर्टी पर लागू होगा

Table of Contents
मॉडल किराएदारी बिल का उद्देश्य
मध्यप्रदेश सरकार किराएदार और मकान मालिक दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नया मॉडल किराएदारी कानून (Model Tenancy Act) लागू करने की तैयारी कर रही है। अभी प्रदेश में 2010 का पुराना किराएदारी अधिनियम लागू है जो केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित है। नए कानून के तहत ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों की प्रॉपर्टी कवर होंगी। इसमें व्यावसायिक परिसरों को भी शामिल किया जाएगा। इस कानून का मकसद मकान मालिक और किराएदार के बीच होने वाले विवादों को कम करना और भरोसे का माहौल बनाना है।
किराएदारों की सुरक्षा के प्रावधान
नए ड्राफ्ट में किराएदारों की सुरक्षा पर खास ध्यान दिया गया है। अब मकान मालिक नल कनेक्शन, बिजली, गैस, लिफ्ट, सीढ़ियां और पार्किंग जैसी आवश्यक सुविधाएं बंद नहीं कर पाएंगे। किराएदार को घर खाली करने पर उसी दिन एडवांस वापस मिलेगा। यदि मकान की हालत खराब है और मरम्मत नहीं की जाती, तो किराएदार 15 दिन का नोटिस देकर मकान छोड़ सकता है। साथ ही मकान मालिक अधिकतम दो महीने का एडवांस ही ले सकेंगे, जबकि व्यावसायिक परिसरों में यह सीमा छह माह होगी।
मकान मालिक को संरक्षण
मकान मालिकों के हितों की रक्षा के लिए भी सख्त प्रावधान किए गए हैं। यदि एग्रीमेंट खत्म होने के बाद किराएदार मकान खाली नहीं करता, तो पहले दो माह दोगुना और तीसरे माह से चार गुना किराया देना होगा। जरूरत पड़ने पर प्रशासन मकान खाली कराएगा। साथ ही किराएदार को बिना अनुमति किसी दूसरे को मकान पर नहीं रखने दिया जाएगा। अगर किराएदार की मृत्यु हो जाती है तो उसके उत्तराधिकारी देनदारियां चुकाने के लिए जिम्मेदार होंगे।
विवाद सुलझाने की नई व्यवस्था
नए कानून में विवाद सुलझाने के लिए कोर्ट जाने की आवश्यकता नहीं होगी। हर जिले में डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी किराया प्राधिकारी बनाए जाएंगे। अतिरिक्त कलेक्टर की कोर्ट अपीलीय संस्था होगी और जिला जज की अध्यक्षता में रेंट ट्रिब्यूनल गठित होगा। मकान मालिक और किराएदार दोनों को एग्रीमेंट की जानकारी 60 दिन के भीतर किराया प्राधिकारी को देनी होगी और यह जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज होगी। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और विवाद जल्दी निपट सकेंगे।
शहरों में बढ़ती आबादी और जरूरत
जनगणना 2011 के अनुसार प्रदेश में 27.7% आबादी शहरों में रहती थी, जो आने वाले समय में 40% तक पहुंचने का अनुमान है। लोग पढ़ाई, नौकरी और व्यापार के लिए शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। इस कारण आवास की मांग लगातार बढ़ रही है। लेकिन कई लोग किराएदारों से विवाद के डर से मकान किराए पर नहीं देते। नए कानून से मकान मालिकों का भरोसा बढ़ेगा और किराएदारों को भी उचित दाम पर घर आसानी से मिल सकेंगे।
FAQ – मॉडल किराएदारी कानून
Q1. नया मॉडल किराएदारी कानून कब लागू होगा?
यह कानून कैबिनेट की मंजूरी के बाद प्रदेश में लागू होगा। प्रक्रिया तेजी से चल रही है।
Q2. क्या यह कानून केवल शहरों में लागू होगा?
नहीं, यह कानून ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों पर लागू होगा।
Q3. मकान मालिक कितने महीने का एडवांस ले सकता है?
आवासीय मकानों के लिए अधिकतम दो माह और व्यावसायिक परिसरों के लिए छह माह का एडवांस।
Q4. विवाद की स्थिति में क्या कोर्ट जाना पड़ेगा?
नहीं, विवाद निपटारे के लिए किराया प्राधिकारी और रेंट ट्रिब्यूनल की व्यवस्था होगी।
Q5. किराएदार की सुरक्षा के लिए क्या प्रावधान हैं?
मकान मालिक पानी, बिजली, गैस और अन्य जरूरी सेवाएं बंद नहीं कर सकते। घर खाली करने पर एडवांस उसी दिन लौटाना होगा।
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