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मध्य प्रदेश सरकार फिर ले रही है 4800 करोड़ का कर्ज, 5 माह में 13वीं बार

मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार एक बार फिर बाजार से कर्ज लेने जा रही है। मंगलवार को सरकार ने 4800 करोड़ रुपये का नया कर्ज उठाया है। इस वित्तीय वर्ष में यह 13वीं बार है जब सरकार कर्ज ले रही है। इससे पहले, सरकार ने 5 अगस्त को 4 हजार करोड़ रुपये और जुलाई में 9100 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। इस नए कर्ज के साथ, चालू वित्त वर्ष में लिया गया कुल कर्ज 27,900 करोड़ रुपये हो जाएगा।
आरबीआई के जरिए लिया जाएगा कर्ज
यह कर्ज भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ई-कुबेर सिस्टम के जरिए लिया जा रहा है। कुल 4800 करोड़ रुपये का कर्ज दो हिस्सों में बंटा है:
- पहला हिस्सा: 2300 करोड़ रुपये का कर्ज, जिसकी अवधि 18 साल है।
- दूसरा हिस्सा: 2500 करोड़ रुपये का कर्ज, जिसकी अवधि 20 साल है।
दोनों ही कर्ज पर सरकार को हर छह महीने में ब्याज का भुगतान करना होगा। इस कर्ज की रकम सरकार को 28 अगस्त को मिलेगी।
राज्य पर कुल कर्ज 4.49 लाख करोड़ के पार
इस नए कर्ज के बाद मध्य प्रदेश सरकार पर कुल कर्ज की राशि 4 लाख 49 हजार 640 करोड़ रुपये हो जाएगी। 31 मार्च 2025 तक यह आंकड़ा 4 लाख 21 हजार 740 करोड़ 27 लाख रुपये था। सरकार द्वारा बार-बार कर्ज लेने से राज्य की वित्तीय स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं, हालांकि सरकार का कहना है कि राजस्व में अभी भी मुनाफा (सरप्लस) है।
राजस्व सरप्लस के बावजूद क्यों लिया जा रहा है कर्ज?
सरकार के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2023-24 में राजस्व में 12487.78 करोड़ रुपये का मुनाफा था। इस साल 2024-25 में भी 1025.91 करोड़ रुपये का राजस्व सरप्लस बताया गया है। इसके बावजूद लगातार कर्ज लेना यह दिखाता है कि सरकार अपने विकास कार्यों और अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए बाहरी स्रोतों पर निर्भर है।
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