मध्यप्रदेश

Kisan Karj Mafi In MP 2023: एमपी के 13.5 लाख किसानों के कर्ज माफ़ी को लेकर बड़ा ऐलान, जाने Full Info...

Kisan Karj Mafi In MP 2023
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Kisan Karj Mafi In MP 2023

Kisan Karj Mafi In Madhya Pradesh 2023: चुनावी साल में प्रदेश सरकार ने डिफाल्टर किसानों को राहत देने वाला निर्णय लिया है।

Kisan Karj Mafi In MP 2023 | Kisan Karj Mafi In Madhya Pradesh 2023: चुनावी साल में प्रदेश सरकार ने डिफाल्टर किसानों को राहत देने वाला निर्णय लिया है। सरकार 13.5 लाख डिफाल्टर किसानों पर बकाया ब्याज की राशि 2023 करोड़ को माफ करने के लिए ब्याज माफी योजना को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में ब्याज माफी योजना को मंजूरी दी।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जो किसान ऋण माफी के चक्कर में डिफाल्टर हो गए हैं, उनके ब्याज की राशि सरकार द्वारा भरी जाएगी।

मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद भदौरिया (Dr. Arvind Bhadoria) ने किसानों को लेकर ऐसी बात कही है. जिससे उन्हें बेहद खुशी होगी. डॉ. अरविंद भदौरिया ने कहा कि प्रदेश के उन 13.5 लाख किसानों के कर्ज का ब्याज मध्य प्रदेश सरकार भरेगी.

इसका लाभ जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों से संबद्ध प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स) के ऐसे डिफॉल्टर किसानों को मिलेगा, जिनका 31 मार्च 2023 की स्थिति में मूल एवं ब्याज मिला कर दो लाख रुपए तक का ऋण बकाया है। ब्याज माफी होने के बाद भी किसानों को 3356 करोड़ का मूलधन चुकाना होगा।

30 नवम्बर लास्ट डेट Madhya Pradesh Kisan Karj Mafi 2023 | Madhya Pradesh Kisan Karj Mafi In MP 2023

ब्याज माफी योजना का लाभ लेने के लिए डिफाल्टर किसानों को अपनी समिति में आवेदन करना होगा। इसके लिए अंतिम तारीख 30 नवंबर 2023 तय की गई है। इसके बाद डिफाल्टर किसानों के ऊपर बकाया ऋण एवं ब्याज आदि के विवरण वाली सूची को बैंक स्तर पर एक पोर्टल से सार्वजनिक किया जाएगा। साथ ही योजना में किसानों को कृषि कार्य के लिए खाद उपलब्ध कराने की विशेष सुविधा दी गई है। जितनी राशि किसान द्वारा अपने ऋण खाते में नगद जमा की जाएगी। उतनी राशि तक का खाद वे समिति से ऋण के रूप में प्राप्त कर सकेंगे।

छोटे किसानों के बीमा की प्रीमियम राशि मध्यप्रदेश सरकार जमा करवाएगी. प्रदेश के 48 लाख किसान छोटे किसान हैं. राज्य सरकार किसानों की राशि में राशि जमा करेगी ताकि उनकी फसल खराब होने की स्थिति में उन्हें बीमा योजना का लाभ दिया जा सके.

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