मध्यप्रदेश

एमपी में मार्च महीने में चलने लगेंगे लू के थपेड़े, गर्मी तोड़ देगी 122 साल का पिछला रिकार्ड

Sanjay Patel
6 March 2023 1:30 PM GMT
एमपी में मार्च महीने में चलने लगेंगे लू के थपेड़े, गर्मी तोड़ देगी 122 साल का पिछला रिकार्ड
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MP Weather: पिछले 122 साल का रिकार्ड इस बार पड़ने वाली गर्मी तोड़ने जा रही है। मौसम विभाग ने मार्च महीने में लू के थपेड़े चलने की संभावना व्यक्त की है।

MP Weather: पिछले 122 साल का रिकार्ड इस बार पड़ने वाली गर्मी तोड़ने जा रही है। मौसम विभाग ने मार्च महीने में लू के थपेड़े चलने की संभावना व्यक्त की है। जिससे लोगों को जल्द ही गर्मी की मार झेलनी पड़ेगी। मौसम विभाग द्वारा इसके पीछे की जो वजह बताई जा रही है वह भरपूर बारिश का नहीं होना है। जिसके कारण इस बार गर्मी लोगों को ज्यादा बेचैन करेगी। फरवरी व मार्च महीने में ही गर्मी के तेवर 36 डिग्री तक पहुंच रहे हैं। मार्च माह में यह पारा 40 डिग्री के पार तक पहुंचने की संभावना जताई गई है।

मार्च माह में गर्मी दिखाने लगी तेवर

सूर्य देवता की तपिश ने इस बार लोगों को फरवरी महीने से बेचैन कर दिया है। तापमापी का पारा दिनों दिन बढ़ता ही जा रही है। मार्च माह में लू के थपेड़े चलने की संभावना मौसम विभाग ने व्यक्त की है। जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार लोगों को प्रचंड गर्मी का सामना करना पड़ेगा। जिसकी वजह मौसम विभाग द्वारा फरवरी महीने में बारिश का न होना मान रहा है। मौसम विभाग की मानें तो फरवरी महीने में बारिश होने के कारण तापमान में कमी आती थी किंतु इस बार बारिश नहीं हुई जिससे तापमान में वृद्धि हो रही है। इस तरह की स्थिति 122 वर्ष बाद निर्मित हो रही है।

लू को लेकर सतर्क रहने की सलाह

मौसम विभाग के मुताबिक इस बार मार्च महीने से गर्मी लोगों को परेशान करने लगी। फरवरी माह से तापमान बढ़ने लगा था जो अब 36 डिग्री तक पहुंच रहा है। ऐसे में मार्च माह के मध्य तक यह 40 डिग्री के आसपास पहुंच जाएगा। इस बार की गर्मी पिछले रिकार्ड को ध्वस्त कर देगी। मार्च महीने से ही गरम हवा के थपेड़े चलने लगेंगे जिससे बचने की सलाह मौसम विभाग द्वारा लोगों को दी गई है। इस दौरान लू से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी का उपयोग करें। इसके साथ ही अधिक तापमान और लू के थपेड़े चलने पर धूप में कम निकलने की सलाह लोगों के लिए जारी की गई है। आवश्यक कार्य होने पर धूप से बचने के लिए गमछे व छाते का सहारा भी लिया जा सकता है।

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