मध्यप्रदेश

MP News: मध्यप्रदेश में हैं घड़ी वाले बाबा, पेड़ पर घड़ियां बांधने से बदल जाता है भक्तों का समय

Sanjay Patel
20 Jan 2023 10:33 AM GMT
MP News: मध्यप्रदेश में हैं घड़ी वाले बाबा, पेड़ पर घड़ियां बांधने से बदल जाता है भक्तों का समय
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मध्यप्रदेश में घड़ी वाले बाबा का एक ऐसा मंदिर है जहां पहुंचने वाले भक्त पेड़ पर घड़ी बांधते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनका बुरा समय बदल जाता है।

मध्यप्रदेश में घड़ी वाले बाबा का एक ऐसा मंदिर है जहां पहुंचने वाले भक्त पेड़ पर घड़ी बांधते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनका बुरा समय बदल जाता है। यह मंदिर उज्जैन से 45 किलोमीटर दूर महिदपुर और उन्हेल के बीच सड़क से सटा हुआ है। भक्तों द्वारा यहां आकर मन्नत मांगी जाती है जिसके बाद मन्नत पूरी होने पर यहां पेड़ व दीवारों पर घड़ी चढ़ाई जाती है। कुछ लोग यहां अपना खराब समय बदलने के लिए भी पहले ही घड़ी चढ़ा देते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां पहुंचकर घड़ी चढ़ाने वाले भक्तों का खराब वक्त बदलते देर नहीं लगती।

पेड़ की टहनियों पर लटकी हैं सैकड़ों घड़ियां

उज्जैन के उन्हेल से करीब 10 किलोमीटर दूर गुराड़िया सांगा गांव से थोड़ा आगे क्षिप्रा नदी के पास सड़क किनारे यह मंदिर स्थित है। इस मंदिर का नाम है घड़ी वाले बाबा का सगस महाराज मंदिर। बीते दो वर्षों में यह मंदिर इतना प्रसिद्ध हो गया गया कि छोटे से इस मंदिर में घड़ी रखने के लिए जगह ही नहीं बची। जिसके चलते यहां पहुंचने वाले भक्त अब मंदिर से सटे पेड़ पर ही घड़ियां बांधना प्रारंभ कर दिया। अब हालात यह हैं कि पेड़ की टहनियों पर भी घड़ी से फुल हो चुकी हैं। पेड़ में हर ओर घड़ियां ही लटकी नजर आती हैं। जबकि मंदिर के दीवार में भी 2 हजार से अधिक घड़ियां लटकी हैं।

मन्नत पूरी हुई तो चढ़ती हैं घड़ियां

यहां के रहवासियों की मानें तो मंदिर में आने वाले भक्त मन्नत लेकर आते हैं। जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो उनके द्वारा घड़ी चढ़ाई जाती है। सगस महाराज घड़ी वाले बाबा के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में आसपास के लोग ही नहीं बल्कि दूरदराज क्षेत्रों से भी लोगों द्वारा पहुंचकर मन्नत मांगी जाती है। मंदिर के कमरे में घड़ियां चढ़ाने के लिए जगह नहीं बची तो लोगों ने पेड़ों पर चढ़ाना प्रारंभ कर दिया। अब पेड़ पर भी घड़ी ही घड़ी नजर आती हैं। पेड़ पर दो हजार से अधिक घड़ियां लटकी हैं। जिससे यहां से गुजरने वाले लोगों को यहां पहुंचते ही टिक-टिक की तेज आवाज सुनाई देती है।

चोरी नहीं जाती घड़ियां

ग्रामीणों की मानें तो दस वर्ष पूर्व ही मंदिर अस्तित्व में आया। इस संबंध में किसी को जानकारी नहीं कि इस पेड़ के नीचे किसके द्वारा मूर्ति की स्थापना की गई और मन्नत पूरी होने के बाद पहली बार किसने घड़ी दान की। ग्रामीणों का कहना है कि बीते दो सालों में मंदिर में भक्तों ने इतनी घड़ियां भेंट कर दीं कि मंदिर में घड़ी लगाने के लिए जगह ही नहीं बची। यहां आने वाले भक्तों की मुराद पूरी होती गई और घड़ियों का अंबार लगता चला गया। बताया गया है कि इस मंदिर में कोई पुजारी भी नहीं है। सबसे अधिक हैरानी वाली बात यह है कि इस मंदिर व पेड़ पर बांधी गई घड़ियां कभी चोरी नहीं गईं।

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