मध्यप्रदेश

एमपी में 42सौ करोड़ की लागत से स्थापित होगा पहला पंप स्टोरेज प्लांट, यह है प्रोजेक्ट

Sanjay Patel
23 July 2023 8:20 AM GMT
एमपी में 42सौ करोड़ की लागत से स्थापित होगा पहला पंप स्टोरेज प्लांट, यह है प्रोजेक्ट
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MP News: मध्यप्रदेश में पहली बार पंप स्टोरेज प्लांट स्थापित किया जा रहा है। यह खंडवा जिले के इंदिरा सागर डैम के पास बनेगा। 525 मेगावाट के इस प्लांट की लागत तकरीबन 42सौ करोड़ रुपए है।

मध्यप्रदेश में पहली बार पंप स्टोरेज प्लांट स्थापित किया जा रहा है। यह खंडवा जिले के इंदिरा सागर डैम के पास बनेगा। 525 मेगावाट के इस प्लांट की लागत तकरीबन 42सौ करोड़ रुपए है। जिसे वर्ष 2030 तक तैयार करने की योजना है। इस प्लांट के लिए ओंकारेश्वर और इंदिरा सागर दोनों जलाशयों का पानी इस्तेमाल किया जाएगा। इस परियोजना से पीक आवर्स में 1226.93 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया जाएगा।

बनाया जाएगा नहरनुमा चैनल

इंदिरा सागर डैम के निचले हिस्से में ओंकारेश्वर डैम स्थित है। ओंकारेश्वर डैम के बैक वाटर और इंदिरा सागर जल विद्युत परियोजना के टरबाइन से निकलने वाले पानी को एक जगह इकट्ठा किया जाएगा। ओंकारेश्वर डैम के बैक वाटर से पानी लाने के लिए एक नहरनुमा चैनल बनाया जाएगा। यह नहरनुमा चैनल 45 मीटर गहरा और 22 मीटर चौड़ा होने के साथ ही तकरीबन डेढ़ किलोमीटर लंबाई वाला होगा। दोनों जलाशयों के पानी से बिजली बनाने के लिए तकरीबन 84 हेक्टेयर वन भूमि अधिग्रहित की जाएगी।

4200 करोड़ की लागत से होगा निर्माण

एनएचडीसी के एमडी वीके सिन्हा के मुताबिक प्रदेश में इलेक्ट्रिसिटी की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए इस परियोजना की शुरुआत की जा रही है। जिससे पीक आवर्स में 1226.93 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा। मध्यप्रदेश सरकार के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग ने यह परियोजना एनएचडीसी को आवंटित की है। इंदिरा सागर बांध के पास 4200 करोड़ रुपए की लागत से परियोजना का निर्माण होगा। डीपीआर बनने के बाद लागत बढ़ भी सकती है। यह बजट एनएचडीसी स्वयं खर्च करेगा।

2030 तक पूरा हो सकता है प्रोजेक्ट

इंदिरा सागर डैम के पास पंप स्टोरेज प्लांट स्थापित किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार होने में करीब एक वर्ष का समय लगेगा। इसके बाद केन्द्रीय विद्युत और जल बोर्ड के अलावा वन विभाग की परमिशन मिलने में साल भर और लग जाएगा। पंप स्टोरेज स्थापित होने में 5 वर्ष का समय लगता है। इस हिसाब से वर्ष 2030 तक यह प्रोजेक्ट पूरा हो सकेगा। बिजली संकट से निपटने के लिए यह प्लांट स्थापित होगा। सौर ऊर्जा से बनने वाली बिजली धूप के समय मिलती है। जबकि शाम से रात तक इसकी डिमांड ज्यादा होती है। दिन में मांग कम होने पर बचने वाली बिजली से स्टोरेज पंप द्वारा पानी ऊपरी जलाशय में चढ़ाया जाएगा। इसके बाद शाम को यही पानी छोड़कर बिजली तैयार की जाएगी।

ऐसी बनती है बिजली

बिजली स्टोर करने का प्लांट पंप स्टोरेज हाइड्रोपावर (पीएसएच) होता है। जिसमें पानी के 2 रिजवायर बनाए जाते हैं। एक नीचे रहता है जबकि दूसरी ऊपर होता है। दोनों के बीच एलीवेशन ऐसा रखते हैं कि निचले जलाशय की तरफ बहता पानी टरबाइन से होकर निकलता है। जिससे बिजली उत्पन्न होती है। निचले जलाशय से ऊपर पानी पहुंचाने के लिए भी बिजली की आवश्यकता होती है। यह सिस्टम बड़ी बैटरी की तर्ज पर काम करता है। इससे कभी भी पानी प्रवाहित कर बिजली तैयार की जा सकती है।

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