मध्यप्रदेश

रतलाम/घर होते हुए भी 10 माह बेघर हुए 150 लोगों का परिवार, जमीनी विवाद बना...

रतलाम। मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के एक गांव के लोग घर होते हुए भी बेघर हैं। वह भी विगत 10 माह से वह अपने घर नही गये है। 150 लोगो का समूह गांव के बाहर डेरा जमाए हुए है। पुलिस के लाख प्रयास के बाद भी वह अपने घर जाने को तैयार नही है। उनका कहना है कि जबतक पुलिस की चैकी गांव में नहीं तैनात हो जाती वह अपने घर नहीं जाएंगे। बेघर हुए ग्रामीण बताते हैं कि गांव जाते ही दबंग हत्या का बदला लेेने के लिए कुछ भी कर सकते है। 

रतलाम। मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के एक गांव के लोग घर होते हुए भी बेघर हैं। वह भी विगत 10 माह से वह अपने घर नही गये है। 150 लोगो का समूह गांव के बाहर डेरा जमाए हुए है। पुलिस के लाख प्रयास के बाद भी वह अपने घर जाने को तैयार नही है। उनका कहना है कि जबतक पुलिस की चैकी गांव में नहीं तैनात हो जाती वह अपने घर नहीं जाएंगे। बेघर हुए ग्रामीण बताते हैं कि गांव जाते ही दबंग हत्या का बदला लेेने के लिए कुछ भी कर सकते है।

मिली जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के रावटी थाना छेत्र के गुंडियापाड़ा गांव के 150 लोग रविवार को थाने के सामने डेरा डाल दिये। उनका कहना है कि पुलिस गांव में अपनी चैकी बनाए। तभी वह गांव वापस जायेंगे। 10 महीने से गांव से बाहर रह रहे हैं। इनका कहना है कि वह बिना पुलिस की सुरक्षा के वह गांव नही जायेंगे।

इनका कहना है कि गांव के दबंगों द्वारा गांव में घुसने नहीं दिया जा रहा है। इनके द्वार कहा जाता है कि अगर गांव में प्रवेश किया तो खून का बदला खून से चुकाना पडेगा।

बताया जाता है कि 10 माह पहले गुंडियापाड़ा गांव के रहने वाले भाभर परिवार और कटारा परिवार के बीच विवाद हो गया। विवाद इतना बढ गया था कि भाभर परिवार के लोगों ने कटारा परिवार के 3 लोगोें की हत्या कर दी थी।

जिसके बाद से कटारा समाज के लोगों में भारी आक्रोश हैं। विवाद के बाद कटारा परिवार के लोगों द्वारा भाभर परिवार के लोगों का कच्चा मकान गिर कर गांव से निकाल दिया गया।

तब से यह भाभर परिवार के लोग गांव से बाहर दूसरे गांव में रह रहे हैं। पुलिस ने इन लोगों को गांव लेजाकर काई बार छोड आये है। लेकिन गांव के लेाग पुलिस के पीछे ही वापस आ जाते है।

गांव के लोगों को कहना है कि वह पुलिस की मौजूदगी में ही गांव में निवास कर सकती है। अगर पुलिस चली आयेगी तो हमारे साथ कोई भी अनहोनी हो सकती है। इसी डर से गांव के लोग अपने घरों की ओर नहीं जा रहे है।

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