मध्यप्रदेश

आजादी के 75 साल बाद भी विंध्य के इस गांव तक नहीं पहुंची बिजली

sidhi mp
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शादी-ब्याह का समय चल रहा है। हर पिता अपनी बेटी शादी बडे ही धूम-धाम से करने का सपना संजोए रहता है।

शादी-ब्याह का समय चल रहा है। हर पिता अपनी बेटी शादी बडे ही धूम-धाम से करने का सपना संजोए रहता है। लेकिन मध्य प्रदेश रीवा संभाग के सीधी जिले में एक ऐसा गांव है जहां के लोग अपनी बेटी की शादी बिजली की चकाचौध रोशनी में नहीं करते हैं। बल्कि वह आज भी पिछले 100 वर्ष पूर्व मशाल की रोशनी में में शादी की रश्म पूरी करते हैं। यह एक आदिवाशी बाहुल्य गांव हैं। अब आपको ऐसा लगता होगा कि इस 21वीं सदी के दौर में मशाल की रोशनी में शादी करने का क्या मतलब है। आइये जाने इसका पूरा कारण।

क्या है गांव का परिचय

मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की सीमा पर बसे सीधी जिले के ताल गांव आपनी बदहाली पर आंशू बहा रहा है। रात होते ही गांव घुप्प अंधेरे के डूब जाता है। बता दें कि ताल गांव में 200 आदिवासी परिवार हैं, यहां की आबादी करीब 700 लोगों की है। 98 प्रतिशत केवल आदिवासी परिवार हैं। केरोसिन मिलता नही बडे जुगाड से उंजाला किया जात है।

गांव में प्राकृतिक छटा इतनी सुंदर है कि यहां जाने के बाद लोगों को वापस आने का मन नही करता। गांव की सीमा में बहने वाली मबई नदी इस गांव के लोगों, जानवरों तथा पेड़ पौधों को जीवन प्रदान करती है।

रोशनी की आस बंधी पर टिकी नही

बडे मान मनौवत के बाद नेता चुनाव का वायदा पूरा तो किया। 2015 में सोलर प्लांट चालू हुआ। लोगों की आस बंधी कि अब हमारे गांव में भी उजाला होगा। आदिवासी परिवार के लोगो ने बिजली आने की खुशी में जश्न मनाया। लेकिन रोशनी की यह आस ज्यादा दिनों तक कायम नही रह सकी। दिन बीते और एक दिन ऐसा आया जब पूरा गांव पुनः टीवी शो तमराज किलविस का इलाका बन कर रह गया। क्यांकि टीवी में एक तमराज किलविस नामक पात्र का फेमस डायलाग था 'अंधेरा कायम रहे'।

चोरी हो गई सोलर प्लेट

गांव के लोग बताते हैं कि सोलर प्लांट में लगाई गई सोलर प्लेट में से 18 नग सोलर प्लेट चोरी हो गईं। इसके बाद गांव में अंधेरा कायम हो गया। गांव के बडे़ बूढ़ें का कहना है कि हमारे गांव को बिजली नहीं सहती है। हुआ भी कुछ ऐसा क्योंकि जब से सोलर प्लेट चोरी गये दोबारा गांव में बिजली नहीं आई।

बिजली पहुंचे तो किसान हो सम्पन्न

यहां के लेगों का मुख्या व्यवसाय खेती किसानी है। लेकिन बिजली के अभाव में खेतों के पानी नहीं मिल पाता। आदिवासी परिवार आज भी खेती के लिए बारिश पर आश्रित हैं। गांव में बिजली न होने से गांव के लोग मोबाइल चार्ज करने और गेहूं पिसवाने के लिए 6 किमी दूर छत्तीसगढ़ के गांव जाते हैं।

Sandeep Tiwari | रीवा रियासत

Sandeep Tiwari | रीवा रियासत

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