मध्यप्रदेश

रीवा: कांग्रेस सरकार में लक्ष्मणबाग गौशाला की दुर्गति, निगम ने खरी-चुनी रोंकी, भूखें मरने लगें गौवंश

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:09 AM GMT
anuppur news
x
Get Latest Hindi News, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, Today News in Hindi, Breaking News, Hindi News - Rewa Riyasat

रीवा। स्मार्ट गौशालाएं बनाने का सब्जाबाग दिखाने वाली कांग्रेस सरकार के शासन में गौवंश असुरक्षित हैं। रीवा नगर निगम ने लक्ष्मणबाग गौशाला को कांजी हाउस घोषित करने के बाद मदद से हाथ खड़े किए तो गौवंश को पोषण आहार (खरी-चुनी) ही मिलना बंद हो गया। अब गौवंश अब सूखे भूसे के सहारे हैं। क्षमता से अधिक पशु होने के कारण यह भी अब गौवंश के लिए पूरा नहीं पड़ता। निगम का कांजी हाउस गौवंश के आश्रय की जगह बंदीगृह बनकर रह गया है। चौंकाने वाला तथ्य यह है यहां हर महीने करीब 30 गौवंश की मौत हो रही है। इसके पीछे सरकारी स्तर से गौवंश के चारे के लिए निर्धारित धनराशि की अनुपलब्धता और जिम्मेदारों की उदासीनता भी मुख्य कारण है।

500 पशुओं में कई बीमार गौवंश के लिए गौशाला बनाने वाली कांग्रेस सरकार की हकीकत बयां करने के लिए लक्ष्मणबाग का हाल ही काफी है। यहां रखे गए 500 से अधिक गौवंश में से कई बीमार हैं। शेष बचे पशुओं की दशा भी कमजोरी के कारण दीनहीन हो गई है। यहां क्षमता से अधिक रखे गए गौवंश के बीमार होने और उनके मरने के मामले असर सामने आ रहे हैं।

पशुओं के चारे का प्रबंध बनी समस्या पशुपालकों और पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार एक परिपक्व पशु को प्रतिदिन लगभग आठ किलोग्राम भूसे की आवश्यकता होती है। बाजार में भूसे की कीमत आठ रुपये है। इस प्रकार बिना चोकर और अनाज के ही सिर्फ भूसे की लागत ही तीस रुपये से अधिक पडऩे से पशुओं का पेट भरने को लेकर सवाल उठना स्वाभाविक है। आंकड़ों के अनुसार हर माह 7 क्विंटल भूसे की आवश्यकता होती है, पर यहां वह भी नसीब नहीं हो रहा है।

सूखा भूसा नहीं खा रहे पशु गौ सेवकों का कहना है, गौशाला में गौवंश के सामने भूसा तो डाल दिया जाता है, लेकिन इसमें चूनी-चोकर आदि नहीं डाले जाने से इसे गौवंश नहीं खा रहे हैं। भूख बर्दाश्त नहीं होने पर पशु थोड़ा ही भूसा खाकर दूर हट जा रहे हैं। बिना बांधे ही पशुओं के रखे जाने से आपस में इनके लडऩे से भी कमजोर पशु खड़े नहीं होने पा रहे हैं। हाल ही में पानी बरसने पर पशुओं के बाड़े की दीवार भी गिर गई है।

6 माह से नहीं मिला पोषण आहार पशु आहार के नाम पर कभी सूखा भूसा या गौशाला केंद्र के परिसर की जमीन में चरने के लिए छोड़ दिया जाता है। उधर, दूसरी तरफ प्रबंधन भी गौवंश को रखने में सक्षम नहीं है। पिछले 6 महीने से जब से शासन ने इसे कांजी हाउस घोषित किया है, तब से नगर निगम ने एक भी पैसा नहीं दिया, जबकि यहां 2 लाख 18000 प्रतिमाह आवश्यक खर्च है। जबकि आय 70,500 रुपये महीना है।

आय-व्यय एक नज़र में आय
  • पूर्व मंत्री एवं रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ला द्वारा गौशाला को प्रतिमाह दिया जाने वाला दान : 54,500 रूपए
  • पांथ ओरिएण्टल कंपनी द्वारा प्रतिमाह दान : 10,000 रूपए
  • दूध से प्रतिमाह आय : 6,000 रूपए
कुल आय : 70,500 रूपए

व्यय
  • गौ सेवकों का वेतन प्रतिमाह : 69,000 रूपए
  • दवा : 5,000 रूपए
  • चोकर एवं पशु आहार : 25,000 रूपए
  • बिजली बिल : 10,000 रूपए
  • गौ सेवकों का भोजन एवं अन्य खर्च : 20,000 रूपए
  • अन्य खर्च : 5,000 रूपए
  • भूसा : 84,000 रूपए
कुल व्यय : 2,18,000 रूपए

Aaryan Dwivedi

Aaryan Dwivedi

    Next Story